शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पांचों विधानसभा में कोलारस का किसान अधिक जागरूक और संपन्न है,आधुनिक खेती की ओर निकल चुका है। वर्तमान समय में सोयाबीन एमएसपी 5328 रु. का लाभ दिलाने के लिए प्रदेश सरकार भावांतर योजना के तहत खरीदी करने जा रही है।
शिवपुरी जिले में 3255 किसानों के पंजीयन हो गए हैं। सबसे ज्यादा पोहरी व बैराड़ में 58% से अधिक पंजीयन हुए हैं। जबकि अन्य तहसीलों में कम पंजीयन हुए हैं। किसानों को भले ही भावांतर योजना से अंतर की राशि से पूरी एमएसपी रेट मिल रही है, लेकिन उत्पादन बहुत घट गया है।
जानकारी के मुताबिक शिवपुरी जिले में सोयाबीन बेचने के लिए किसानों के 3 अक्टूबर से पंजीयन प्रारंभ किए गए थे। 17 अक्टूबर तक शिवपुरी जिले में कुल 3255 किसानों के पंजीयन हो चुके हैं। सबसे ज्यादा बैराड़ में 1117 और पोहरी में 782 किसानों के पंजीयन हुए है। पूरे जिले में किसानों ने कुल 10 हजार 71 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया है। लेकिन सोयाबीन पैदावार बहुत कम रह गई है। अधिक बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बता दें कि मंडियों में सोयाबीन के रेट यदि गिरते हैं तो भावांतर योजना के तहत किसानों को अधिकतम 799 रु. का भुगतान सरकार करेगी।
करैरा में मूंगफली और कोलारस में मक्का ने पकड़ा जोर पकड़ा है कोलारस विधानसभा के किसान ने सोयाबीन फसल का त्याग कर दिया और मक्का की फसल का उत्पादन कर रहा है। इस साल अधिक बारिश होने के बावजूद मक्का की फसल का आंशिक नुकसान हुआ है। मक्का की फसल सोयाबीन की फसल से प्रति बीघा ढाई गुना अधिक का उत्पादन होता है। मक्का की फसल पर मौसम-कीट और बीमारियां अधिक प्रभावी नही होती है। मक्का से एथेनॉल बनता है जो पेट्रोल में मिलाया जाता है। इस कारण मक्का की फसल के दाम 4 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंच गए है।
वही मक्का का तेल जिसे मकई आयल कहते है। इसका उपयोग खाने के साथ सााि साबुन,शैंपू घरेलू क्लीनर सहित कई सौंदर्य प्रोडक्ट में किया जाने लगा है। इस कारण भी मक्के अब खेत का गोल्ड भी बोला जाने लगा है। अगर आंकड़ों की बात करे तो सोयाबीन के भावांतर योजना में बैराड में सबसे अधिक हुआ है। शिवपुरी जिले में बैराढ़ में सबसे अधिक पंजीयन ओर पोहरी दूसरे नंबर पर है। पंजीयन तालिका में शिवपुरी का स्थान तीसरे नंबर पर है और सबसे कम पंजीयन नरवर में हुए हैं कुल मिलाकर 3255 हुए है।
जानकारी के मुताबिक शिवपुरी जिले में सोयाबीन बेचने के लिए किसानों के 3 अक्टूबर से पंजीयन प्रारंभ किए गए थे। 17 अक्टूबर तक शिवपुरी जिले में कुल 3255 किसानों के पंजीयन हो चुके हैं। सबसे ज्यादा बैराड़ में 1117 और पोहरी में 782 किसानों के पंजीयन हुए है। पूरे जिले में किसानों ने कुल 10 हजार 71 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया है। लेकिन सोयाबीन पैदावार बहुत कम रह गई है। अधिक बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बता दें कि मंडियों में सोयाबीन के रेट यदि गिरते हैं तो भावांतर योजना के तहत किसानों को अधिकतम 799 रु. का भुगतान सरकार करेगी।
करैरा में मूंगफली और कोलारस में मक्का ने पकड़ा जोर पकड़ा है कोलारस विधानसभा के किसान ने सोयाबीन फसल का त्याग कर दिया और मक्का की फसल का उत्पादन कर रहा है। इस साल अधिक बारिश होने के बावजूद मक्का की फसल का आंशिक नुकसान हुआ है। मक्का की फसल सोयाबीन की फसल से प्रति बीघा ढाई गुना अधिक का उत्पादन होता है। मक्का की फसल पर मौसम-कीट और बीमारियां अधिक प्रभावी नही होती है। मक्का से एथेनॉल बनता है जो पेट्रोल में मिलाया जाता है। इस कारण मक्का की फसल के दाम 4 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंच गए है।
वही मक्का का तेल जिसे मकई आयल कहते है। इसका उपयोग खाने के साथ सााि साबुन,शैंपू घरेलू क्लीनर सहित कई सौंदर्य प्रोडक्ट में किया जाने लगा है। इस कारण भी मक्के अब खेत का गोल्ड भी बोला जाने लगा है। अगर आंकड़ों की बात करे तो सोयाबीन के भावांतर योजना में बैराड में सबसे अधिक हुआ है। शिवपुरी जिले में बैराढ़ में सबसे अधिक पंजीयन ओर पोहरी दूसरे नंबर पर है। पंजीयन तालिका में शिवपुरी का स्थान तीसरे नंबर पर है और सबसे कम पंजीयन नरवर में हुए हैं कुल मिलाकर 3255 हुए है।