शिवपुरी। सनातन धर्म के मानने वाले लोगों को लिए दिपावली का त्यौहार सबसे बडा होता है। यह त्यौहार धनतेरस से भाई दूज तक चलता है,लेकिन इस बार यह त्यौहार 6 दिन का हो गया हैं,आमतौर पर दिपवाली की दूसरी दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में गोवर्धन को अपनी तर्जनी उंगली के नख पर धारण किया जाता है,लेकिन आज अमावस्या तिथि आज मंगलवार 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी इस कारण गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर बुधवार को होगी।
शिवपुरी जिले में गोवर्धन पूजा का पूरे उत्साह और धार्मिक मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा वाले दिन अन्नकूट का भोग प्रसाद भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है। शिवपुरी में गोवर्धन पूजा वाले दिन से मंदिरो पर अन्नकूट का आयोजन शुरू हो जाता है और देवउठनी ग्यारस तक चलता है। शिवपुरी में बुधवार को शिवपुरी के प्रसिद्ध मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है। वही शिवपुरी के कई मंदिरों पर कल अन्नकूट होगा।
पहले आप समझे अन्नकूट क्या है
भगवान कृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। 'अन्नकूट' का मतलब है कई तरह के अनाजों (अन्न) का मिश्रण, जिसे भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन, जैसे हलवा, पूरी, सब्जियां और चावल, भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर, कृष्ण के सम्मुख गायों और ग्वाल-बालों की पूजा और परिक्रमा की जाती है। यह पर्व गोवर्धन पर्वत को बचाने और अन्नपूर्णा देवी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की याद में मनाया जाता है।
शिवपुरी जिले में गोवर्धन पूजा का पूरे उत्साह और धार्मिक मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा वाले दिन अन्नकूट का भोग प्रसाद भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है। शिवपुरी में गोवर्धन पूजा वाले दिन से मंदिरो पर अन्नकूट का आयोजन शुरू हो जाता है और देवउठनी ग्यारस तक चलता है। शिवपुरी में बुधवार को शिवपुरी के प्रसिद्ध मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है। वही शिवपुरी के कई मंदिरों पर कल अन्नकूट होगा।
पहले आप समझे अन्नकूट क्या है
भगवान कृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। 'अन्नकूट' का मतलब है कई तरह के अनाजों (अन्न) का मिश्रण, जिसे भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन, जैसे हलवा, पूरी, सब्जियां और चावल, भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर, कृष्ण के सम्मुख गायों और ग्वाल-बालों की पूजा और परिक्रमा की जाती है। यह पर्व गोवर्धन पर्वत को बचाने और अन्नपूर्णा देवी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की याद में मनाया जाता है।