SHIVPURI NEWS: डॉक्टर बोले हत्या है वही फॉरेंसिक रिपोर्ट में आया हादसा, लापरवाही हत्यारा बना सकती थी

Bhopal Samachar

शिवपुरी। कुंए में गिरकर मजदूर युवक की मौत मामले में अब यू टर्न सामने आया है।। पुलिस ने डॉक्टर के पैनल से पीएम कराया था। पीएम रिपोर्ट में गर्दन के निशान के आधार पर हत्या बता दिया गया था। पुलिस पहले ही चश्मदीद गवाहों के बयान ले चुकी थी। वीडियो व फोटोग्राफी भी कराई थी। पीएम रिपोर्ट पर संदेह हुआ तो शासकीय मेडिकल कॉलेज शिवपुरी के फॉरेंसिक विभाग को सारी जानकारी भेजी। एचओडी ने खामी पकड़ी और दुर्घटना की रिपोर्ट सौंप दी। इसी आधार पर पुलिस ने विवेचना में हत्या की जगह लापरवाही से मौत की धारा का इजाफा कर चालान पेश कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक सिरसौद निवासी मजदूर युवक शिवम पुत्र कमलेश लोधी की 14 मई 2025 को निर्माणाधीन कुंए में गिरने से मौत हो गई थी। लेकिन डॉक्टर के पैनल ने पीएम रिपोर्ट में हत्या की टीप लिख दी। पुलिस को संदेह हुआ तो फॉरेंसिक जांच कराई। अमोला थाना पुलिस का कहना है कि हम कुए पर मौके पर गए। व्यक्ति वर्कर था, काम कर रहा था, कुएं में गिर गया। उसकी गर्दन पर चोट के निशान थे, लेकिन कहीं पर भी लिवेचर मार्क नहीं था।

डॉक्टर ने लिखा लिवेचर मार्क ओ टाइप, जो हत्या में ही आता है। हत्या लिखा तो हमने चश्मदीद साक्षियों के कथन लिए और मौके पर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई थी। हम अचंभित हो गए कि डॉक्टर ने हत्या कैसे लिख दिया। फोटो का अवलोकन किया तो सोचा कि हो सकता, हमारा कैमरा खराब हो। फिर हमने डॉक्टर से क्यूरी कराई। डॉक्टर से पीएम करते समय के फोटो मंगाए। उनके फोटो में भी लिवेचर मार्क नहीं था। मैंने क्यूरी कराई तो पैनल के डॉक्टर तो अपनी बात पर अडिग रहे। फिर फॉरेंसिक से जांच कराई तो उन्होंने बोल दिया कि ये हत्या नहीं, एक्सीडेंटल है।

बहुत सारी चीजें संतोषजनक नहीं लिखी, संदेहास्पद थीं
शव को बाकायदा कुंए से निकाला था। मेरे हिसाब से हत्या जैसा उसमें कुछ था ही नहीं। उस समय उन डॉक्टरों ने क्यों लिखा, मैं नहीं कह सकता है। मुझे नहीं लगा कि वो हत्या है। मुझे तो लगा कि वो एक्सीडेंटली गिर गया है। गिरने के दौरान उसके गले से कोई चीज टकरा गई है, वो निशान बन गया। क्योंकि लिवेचर मार्क तो गर्दन के दोनों तरफ होना चाहिए था। उसके यहां निशान एक ही साइड व बीच में थोड़ा सा था। यदि दबाएंगे तो अंदर हड्डी वगैरह भी टूटी मिलना चाहिए। वो भी चीज उन्होंने नॉर्मल लिखा था कि गले की हड्डी नहीं टूटी हुई है। अंदर गले में खून के धब्बे नहीं है। बहुत सारी चीजें ऐसी थीं जो संतोषजनक नहीं लिखी गई थी, संदेहास्पद थीं। इसलिए हमें जो लगा कि गिरने के दौरान यह चोट आ सकती हैं, वही हमने लिख दिया। पता नहीं उन्होंने उसे कैसे लिवेचर मार्क समझ लिया ? 
डॉ राजेंद्र प्रसाद मौर्य, एचओडी, फॉरेंसिक विभाग जीएमसी शिवपुरी

गले में निशान थे, उसी आधार पर हमने लिखा
पुलिस को पीएम हाउस के फोटो, सब कुछ लगाकर दिया है। निशान थे, इसीलिए तो लिखा था। हम दोनों डॉक्टरों का एक ही ओपीनियन था। गले में निशान थे, उसी आधार पर हमने लिखा है। पानी में डूबने का हवाला दिया था। लंग्स क्लियर थे। टिविया बोन, हार्ड जब्त कराया था। फॉरेंसिक रिपोर्ट का पता नहीं है। हमें जांच नहीं मिली।
डॉ. नारायण कुशवाह, पैनल डॉक्टर

डूबकर मौत नहीं हुई, गले में रस्सियों का निशान
डूबकर मौत नहीं हुई है। गले में रस्सियों का निशान है। हमने फोटो पुलिस को दी है। वीडियो बनाकर विवेचना के लिए दी है।
डॉ अखिलेश शर्मा, पैनल डॉक्टर 

यह बोले थाना प्रभारी
अगर डॉक्टर ने फायरल ओपिनियन हत्या का दिया था तो उसको बिसरा जब्त नहीं करना था। टिबिया बोन जब्त क्यों की। जब्त इसलिए करते हैं कि फाइनल ओपिनियन देंगे। फॉरेंसिक रिपोर्ट में हत्या नहीं थी। इसी आधार पर मामले में धारा 106 (1) का मुकदमा दर्ज किया। विवेचना पूरी चालान भी कट गया है।
अंशुल गुप्ता, थाना प्रभारी, पुलिस थाना अमोला