शिवपुरी। शिवपुरी जिले में विकास पर ब्रेक लग गया है,इंजीनियर अवैध हड़ताल पर है और प्रशासन हड़ताली संविदा इंजीनियरो को वापस काम पर लाने के लिए कड़े कदम नहीं उठा रहा है,कार्यवाही नहीं कर रहा है केवल विकल्प की तलाश का रहा है। मनरेगा अभियंता संघ शिवपुरी के हड़ताल पर जाने के कारण जिले में जिला पंचायत,मनरेगा सहित विधायक निधि और सांसद निधि के काम भी रुक गए है। कुल मिलाकर पिछले 16 अगस्त से विकास पर ब्रेक लग गया है। 
वेतन विसंगति, सेवा सुरक्षा समेत अन्य मांगों को लेकर मनरेगा अभियंता संघ के बैनर तले जिले के मनरेगा संविदा इंजीनियर ढाई महीने पहले हड़ताल पर चले गए थे। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा समेत सांसद निधि के करीब 200, विधायक निधि के 500, और 5वें व 15वें वित्त के लगभग 1500 कार्य भी रुक गए हैं। क्योंकि इनकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी इन्हीं पर है। जिला पंचायत के प्रोजेक्ट ऑफिसर विशाल प्रताप तोमर का कहना है कि कर्मचारियों के काम पर न आने से योजनाएं प्रभावित हुई हैं और काम में तेजी लाने के लिए उनका लौटना जरूरी है।
इंजीनियरों की अवैध हड़ताल से रुके यह काम
1. जिले में 54 हजार काम मनरेगा से स्वीकृत हैं, इसमें मजदूरों को सीधा भुगतान मिलता है और इसकी पूरी जानकारी विभाग के पोर्टल पर भी दर्ज करनी होती है। लेकिन काम पूर्ण न होने से विभाग की रिपोर्ट प्रदेश स्तर पर न्यूनतम प्रगति वाले जिलों में शामिल है।
2. मां की बगिया अभियान के तहत जिले में एक सैकड़ा से अधिक बगिया बननी थी और इसका काम अब तक शुरू हो जाना था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। क्योंकि कर्मचारी हड़ताल पर हैं इसलिए यह काम भी अटका हुआ है।
3. जिले में जितने भी पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन, खेत तालाब योजना के काम और अन्य पंचायत स्तर से स्वीकृत कार्य की मनरेगा के इंजीनियर ही मॉनिटरिंग करते हैं और वही इसे आगे बढ़ाते हैं। लेकिन हड़ताल के चलते यह काम भी अटके हुए हैं।
4. सामुदायिक पंचायत भवन का पैसा स्वीकृत हुए 2 साल हो गए। निर्माण कार्य भी शुरू हुआ। लेकिन पिछले दो महीने में एक इंच भी इनका निर्माण कार्य नहीं बढ़ा। इस तरह की अन्य भवन और निर्माण कार्य न होने से जिले के विकास कार्य ठप पड़े हैं।
क्या है संविदा इंजीनियर की मांगें:
मनरेगा अभियंता संघ के जिलाध्यक्ष हरीश शर्मा ने बताया कि उनकी आठ सूत्रीय मांगें हैं। मुख्य मांगें वेतन विसंगति (नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन), सेवा सुरक्षा (निलंबन का प्रावधान न कि सीधे बर्खास्तगी), अनुकंपा नियुक्ति, और ग्रेच्युटी का लाभ देना हैं। इसके अलावा, वे समय पर वेतन और अनावश्यक अतिरिक्त कार्यभार से मुक्ति की मांग कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर संविदा इंजीनियर और सब इंजीनियर हड़ताल पर हैं।
मांगों को लेकर हम 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं
हम 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं। जब तक हमारी आठ सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होंगी, हम काम पर नहीं लौटेंगे। हमारी हड़ताल से सिर्फ मनरेगा ही नहीं, बल्कि सांसद, विधायक और अतिरिक्त मद के सभी स्वीकृत कार्यों पर विराम लग गया है, क्योंकि इनकी प्रगति देखने वाला कोई नहीं बचा।
हरीश शर्मा, जिलाध्यक्ष मनरेगा अभियंता संघ शिवपुरी
सरकार ने हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है
मनरेगा के संविदा इंजीनियर की हड़ताल से काम तो प्रभावित हुए हैं। सरकार ने इनकी हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। हमने व्यवस्था बनाने के लिए विभाग के अन्य इंजीनियरों से कार्यों की मॉनिटरिंग करा रहे हैं।
जीके श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री आईएस, शिवपुरी
  
वेतन विसंगति, सेवा सुरक्षा समेत अन्य मांगों को लेकर मनरेगा अभियंता संघ के बैनर तले जिले के मनरेगा संविदा इंजीनियर ढाई महीने पहले हड़ताल पर चले गए थे। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा समेत सांसद निधि के करीब 200, विधायक निधि के 500, और 5वें व 15वें वित्त के लगभग 1500 कार्य भी रुक गए हैं। क्योंकि इनकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी इन्हीं पर है। जिला पंचायत के प्रोजेक्ट ऑफिसर विशाल प्रताप तोमर का कहना है कि कर्मचारियों के काम पर न आने से योजनाएं प्रभावित हुई हैं और काम में तेजी लाने के लिए उनका लौटना जरूरी है।
इंजीनियरों की अवैध हड़ताल से रुके यह काम
1. जिले में 54 हजार काम मनरेगा से स्वीकृत हैं, इसमें मजदूरों को सीधा भुगतान मिलता है और इसकी पूरी जानकारी विभाग के पोर्टल पर भी दर्ज करनी होती है। लेकिन काम पूर्ण न होने से विभाग की रिपोर्ट प्रदेश स्तर पर न्यूनतम प्रगति वाले जिलों में शामिल है।
2. मां की बगिया अभियान के तहत जिले में एक सैकड़ा से अधिक बगिया बननी थी और इसका काम अब तक शुरू हो जाना था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। क्योंकि कर्मचारी हड़ताल पर हैं इसलिए यह काम भी अटका हुआ है।
3. जिले में जितने भी पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन, खेत तालाब योजना के काम और अन्य पंचायत स्तर से स्वीकृत कार्य की मनरेगा के इंजीनियर ही मॉनिटरिंग करते हैं और वही इसे आगे बढ़ाते हैं। लेकिन हड़ताल के चलते यह काम भी अटके हुए हैं।
4. सामुदायिक पंचायत भवन का पैसा स्वीकृत हुए 2 साल हो गए। निर्माण कार्य भी शुरू हुआ। लेकिन पिछले दो महीने में एक इंच भी इनका निर्माण कार्य नहीं बढ़ा। इस तरह की अन्य भवन और निर्माण कार्य न होने से जिले के विकास कार्य ठप पड़े हैं।
क्या है संविदा इंजीनियर की मांगें:
मनरेगा अभियंता संघ के जिलाध्यक्ष हरीश शर्मा ने बताया कि उनकी आठ सूत्रीय मांगें हैं। मुख्य मांगें वेतन विसंगति (नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन), सेवा सुरक्षा (निलंबन का प्रावधान न कि सीधे बर्खास्तगी), अनुकंपा नियुक्ति, और ग्रेच्युटी का लाभ देना हैं। इसके अलावा, वे समय पर वेतन और अनावश्यक अतिरिक्त कार्यभार से मुक्ति की मांग कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर संविदा इंजीनियर और सब इंजीनियर हड़ताल पर हैं।
मांगों को लेकर हम 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं
हम 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं। जब तक हमारी आठ सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होंगी, हम काम पर नहीं लौटेंगे। हमारी हड़ताल से सिर्फ मनरेगा ही नहीं, बल्कि सांसद, विधायक और अतिरिक्त मद के सभी स्वीकृत कार्यों पर विराम लग गया है, क्योंकि इनकी प्रगति देखने वाला कोई नहीं बचा।
हरीश शर्मा, जिलाध्यक्ष मनरेगा अभियंता संघ शिवपुरी
सरकार ने हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है
मनरेगा के संविदा इंजीनियर की हड़ताल से काम तो प्रभावित हुए हैं। सरकार ने इनकी हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। हमने व्यवस्था बनाने के लिए विभाग के अन्य इंजीनियरों से कार्यों की मॉनिटरिंग करा रहे हैं।
जीके श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री आईएस, शिवपुरी
