शिवपुरी। आज के समय में यह आश्चर्यजनक है कि किसी प्राध्यापक को गुरु शिष्य भाव संबंधों के सदृश उनके देहावसान के 10 वर्ष बाद भी उनके शिष्यों द्वारा प्रतिवर्ष बहुत गरिमा से स्मरण किया जा रहा है और उनकी स्मृति में उनके नाम पर स्थापित सम्मान के माध्यम से समाज जीवन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सेवाभावी व्यक्तित्वों का सम्मान किया जा रहा है।
आमतौर पर सक्षम परिवार के लोग अपने रक्त संबंधियों, परिजनों की स्मृति में ऐसा करते हैं, लेकिन यह अपने तरह का विशिष्ट कार्यक्रम है जिसमें इस समारोह की आयोजन समिति में उनका कोई परिजन, कोई रक्त संबंधी नहीं है। गुरु के प्रति शिष्यों की ऐसी अविचल श्रद्धा प्रोफेसर सिकरवार के महान व्यक्तित्व को रेखांकित करती है। प्रोफेसर सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह गुरु शिष्य भाव संबंधों की रोचक बानगी है। उक्त विचार प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के माननीय न्यायमूर्ति श्री हृदेश जी ने व्यक्त किए।
11वें प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए जस्टिस हृदेश जी ने कहा कि ऐसी विशाल शख़्सियत के आशीर्वाद की छांव में आज हम खड़े हैं जिन्होंने अपने विद्यार्थियों को ज्ञान से भरने की बजाय, उनमें ज्ञान की लौ प्रज्वलित की और अपनी परिस्थितियों से परे जाकर सपने देखने की काबिलियत उन्हें प्रदान की।
एक सच्चा शिक्षक वो होता है जो स्वयं को एक सेतु की तरह अपने विद्यार्थियों को उस सेतु से निकलने के लिए प्रेरित करता है और उनके निकलने के बाद अपने विद्यार्थियों को स्वयं के सेतु बनाने के लिए प्रेरणा देते हुए खुशी खुशी स्वयं को अकिंचन मानकर नई पौध के लिए स्वयं को पुनः प्रस्तुत कर देता है। ज्ञान के इस बगीचे में प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार ने एक ऐसे शांत माली की तरह कार्य किया जिसने अपनी बगिया के मस्तिष्कों की रुपाई की, उनकी आत्मा का विकास किया और ऐसे बीज बोए जो उनके जाने के बाद आज भी पुष्पित पल्लवित हो रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्मृति सम्मान 2025 से विभूषित सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गीता ज्ञान के मर्मज्ञ ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने गुरु-शिष्य संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु श्रीकृष्ण और शिष्य अर्जुन की भांति होना चाहिए। गुरु अपने शिष्य के जीवन में कौशल को विकसित करने वाला हो। गीता श्लोक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कर्म की कुशलता ही योग है। मनुष्य के कर्म में कुशलता होनी चाहिए और कुशलता में कर्म होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोटिवेशनल स्पीकर लक्ष्य को चिन्हित कर अथाह पुरुषार्थ करने की सलाह देते हैं, सभी पुरुषार्थ करने वालों को सफलता मिल जाये यह संभव नहीं। जैसे यूपीएससी परीक्षा में 10 लाख विद्यार्थी बैठते हैं,15 हजार मुख्य परीक्षा में बैठ पाते हैं, लगभग 03 हजार साक्षात्कार में जाते हैं और लगभग एक हजार अंततः सफ़ल हो पाते हैं। लगभग पंद्रह हजार विद्यार्थी जो मुख्य परीक्षा में बैठते हैं वह सफल विद्यार्थियों से कतई कम नहीं हैं लेकिन लक्ष्य उन्हें प्राप्त नहीं हुआ यह प्रारब्ध है।
समारोह को सारस्वत अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सोनी ने कहा कि प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार सर के बारे में लोगों से चर्चा के आधार पर जुटाई गयी जानकारी उनके विराट व्यक्तित्व के विषय में सोचने को विवश करती है। इतना बड़ा कार्यक्रम अनुशासन और गरिमा से हो रहा है यह शिष्यों में सिकरवार सर के गुणों और उनकी शिक्षाओं को परिलक्षित करता है।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट खंडपीठ ग्वालियर में मध्यप्रदेश शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि अपने ज्ञान और आचरण से ज़िन्दगी को समझने का सही नजरिया प्रोफ़ेसर सिकरवार सर ने इस अंचल के विद्यार्थियों को दिया. एक आदर्श प्राध्यापक का, एक आदर्श शिक्षक का जीवन कैसा होना चाहिए, यह सहजता के साथ उनके आचरण में परिलक्षित होता था. उन्होंने कभी भी अपनी राय से इस दुनिया को बदलने की कोशिश नहीं की, बल्कि हमेशा अपने आचरण और उदाहरण से लोगों को सही मार्ग पर ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के भाव के साथ चलने के लिए प्रेरित किया.
स्मृति सम्मान समारोह में मंच पर पूर्व विधायक प्रहलाद भारती, कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक अमन राठौड़ मुख्य रूप से उपस्थित रहे। स्वागत भाषण तरुण अग्रवाल ने रखा। प्रोफेसर सिकरवार के जीवनवृत का रेखांकन केशव शर्मा ने किया। कार्यक्रम के संचालन की कमान प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने संभाली। आभार भरत भार्गव ने व्यक्त किया।
आमतौर पर सक्षम परिवार के लोग अपने रक्त संबंधियों, परिजनों की स्मृति में ऐसा करते हैं, लेकिन यह अपने तरह का विशिष्ट कार्यक्रम है जिसमें इस समारोह की आयोजन समिति में उनका कोई परिजन, कोई रक्त संबंधी नहीं है। गुरु के प्रति शिष्यों की ऐसी अविचल श्रद्धा प्रोफेसर सिकरवार के महान व्यक्तित्व को रेखांकित करती है। प्रोफेसर सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह गुरु शिष्य भाव संबंधों की रोचक बानगी है। उक्त विचार प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के माननीय न्यायमूर्ति श्री हृदेश जी ने व्यक्त किए।
11वें प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए जस्टिस हृदेश जी ने कहा कि ऐसी विशाल शख़्सियत के आशीर्वाद की छांव में आज हम खड़े हैं जिन्होंने अपने विद्यार्थियों को ज्ञान से भरने की बजाय, उनमें ज्ञान की लौ प्रज्वलित की और अपनी परिस्थितियों से परे जाकर सपने देखने की काबिलियत उन्हें प्रदान की।
एक सच्चा शिक्षक वो होता है जो स्वयं को एक सेतु की तरह अपने विद्यार्थियों को उस सेतु से निकलने के लिए प्रेरित करता है और उनके निकलने के बाद अपने विद्यार्थियों को स्वयं के सेतु बनाने के लिए प्रेरणा देते हुए खुशी खुशी स्वयं को अकिंचन मानकर नई पौध के लिए स्वयं को पुनः प्रस्तुत कर देता है। ज्ञान के इस बगीचे में प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार ने एक ऐसे शांत माली की तरह कार्य किया जिसने अपनी बगिया के मस्तिष्कों की रुपाई की, उनकी आत्मा का विकास किया और ऐसे बीज बोए जो उनके जाने के बाद आज भी पुष्पित पल्लवित हो रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्मृति सम्मान 2025 से विभूषित सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गीता ज्ञान के मर्मज्ञ ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने गुरु-शिष्य संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु श्रीकृष्ण और शिष्य अर्जुन की भांति होना चाहिए। गुरु अपने शिष्य के जीवन में कौशल को विकसित करने वाला हो। गीता श्लोक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कर्म की कुशलता ही योग है। मनुष्य के कर्म में कुशलता होनी चाहिए और कुशलता में कर्म होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोटिवेशनल स्पीकर लक्ष्य को चिन्हित कर अथाह पुरुषार्थ करने की सलाह देते हैं, सभी पुरुषार्थ करने वालों को सफलता मिल जाये यह संभव नहीं। जैसे यूपीएससी परीक्षा में 10 लाख विद्यार्थी बैठते हैं,15 हजार मुख्य परीक्षा में बैठ पाते हैं, लगभग 03 हजार साक्षात्कार में जाते हैं और लगभग एक हजार अंततः सफ़ल हो पाते हैं। लगभग पंद्रह हजार विद्यार्थी जो मुख्य परीक्षा में बैठते हैं वह सफल विद्यार्थियों से कतई कम नहीं हैं लेकिन लक्ष्य उन्हें प्राप्त नहीं हुआ यह प्रारब्ध है।
समारोह को सारस्वत अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सोनी ने कहा कि प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार सर के बारे में लोगों से चर्चा के आधार पर जुटाई गयी जानकारी उनके विराट व्यक्तित्व के विषय में सोचने को विवश करती है। इतना बड़ा कार्यक्रम अनुशासन और गरिमा से हो रहा है यह शिष्यों में सिकरवार सर के गुणों और उनकी शिक्षाओं को परिलक्षित करता है।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट खंडपीठ ग्वालियर में मध्यप्रदेश शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि अपने ज्ञान और आचरण से ज़िन्दगी को समझने का सही नजरिया प्रोफ़ेसर सिकरवार सर ने इस अंचल के विद्यार्थियों को दिया. एक आदर्श प्राध्यापक का, एक आदर्श शिक्षक का जीवन कैसा होना चाहिए, यह सहजता के साथ उनके आचरण में परिलक्षित होता था. उन्होंने कभी भी अपनी राय से इस दुनिया को बदलने की कोशिश नहीं की, बल्कि हमेशा अपने आचरण और उदाहरण से लोगों को सही मार्ग पर ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के भाव के साथ चलने के लिए प्रेरित किया.
स्मृति सम्मान समारोह में मंच पर पूर्व विधायक प्रहलाद भारती, कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक अमन राठौड़ मुख्य रूप से उपस्थित रहे। स्वागत भाषण तरुण अग्रवाल ने रखा। प्रोफेसर सिकरवार के जीवनवृत का रेखांकन केशव शर्मा ने किया। कार्यक्रम के संचालन की कमान प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने संभाली। आभार भरत भार्गव ने व्यक्त किया।