शिवपुरी। शिवपुरी शहर मे आवारा कुत्तों का आतंक है। शहर में प्रतिदिन आवारा कुत्तों के काटे जाने की घटनाए प्रकाश में आ रही है। हालात यह हैं कि शहर की शायद ही कोई गली, सड़क या फिर मोहल्ला हो यहां आवारा कुत्तों की दहशत लोगों के दिलों में न हो। बात अगर आंकड़ों की करें तो जिला अस्पताल में पिछले 7 दिनों मे 250 लोगों ने श्वान का शिकार होने के बाद अपना उपचार करवाया है।
इस हिसाब से हर रोज औसत 35 लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि आवारा कुत्ते कहीं भी किसी को भी अपना शिकार बना सकते हैं। आवारा श्वान ने आसान शिकार मानते हुए खेलते समय, घर से गुजरते समय अपना शिकार बनाया है। श्वान बच्चों पर खेलते और दौड़ते समय सर्वाधिक शिकार कर रहे हैं। अगर आवारा श्वान का शिकार बने लोगों की बात करें तो इनमें सबसे अधिक संख्या छोटे बच्चों की हैं।
आवारा कुत्तों की संख्या सबसे अधिक खानपान की दुकानों, मीट मार्केट एवं झुग्गी झोपड़ियों के आसपास होती है। दरअसल यहां से इनको खाने के लिए भोजन मिलता रहता है। जबकि कुछ डाग लवर्स भी इन आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं। जब कभी कुत्तों का आतंक बढ़ता है तो नगर पालिका इनको पकड़ने का अभियान भी चलाती है, लेकिन टीम जब दिन में पहुंचती है तो गली मोहल्लों में आवारा कुत्ते दिखाई ही नहीं देते हैं। जबकि रात होते ही हर चौक-चौराहे पर आवारा कुत्तों की भीड़ दिखाई देती है। इनका निशाना सड़कों से गुजरने वाले वाहन चालक होते हैं। कई बार लोग वाहन चालकों के पैर भी पकड़ लेते हैं, जिससे कई वाहन चालक गंभीर हादसे का शिकार भी हो चुके हैं।
छोटे बच्चे सॉफ्ट टारगेट
आवारा कुत्तों के लिए सॉफ्ट टारगेट बच्चे होते हैं। अक्सर बच्चे जब खाने की कोई चीज लेकर गुजरते हैं तो यह आवारा कुत्ते उन पर हमला कर देते हैं। हाल ही में रन्नौद और खनियाधाना में भी इसी प्रकार की घटना सामने आई थी। खास बात ये है कि लगातार डाग बाइट के केस बढ़ने के बाद भी अब तक जिला प्रशासन या नगरीय प्रशासन ने इसके लिए कोई ठोस योजना तैयार नहीं की है। जिससे कुत्तों का आतंक अब बढ़ता ही जा रहा है।
इस हिसाब से हर रोज औसत 35 लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि आवारा कुत्ते कहीं भी किसी को भी अपना शिकार बना सकते हैं। आवारा श्वान ने आसान शिकार मानते हुए खेलते समय, घर से गुजरते समय अपना शिकार बनाया है। श्वान बच्चों पर खेलते और दौड़ते समय सर्वाधिक शिकार कर रहे हैं। अगर आवारा श्वान का शिकार बने लोगों की बात करें तो इनमें सबसे अधिक संख्या छोटे बच्चों की हैं।
आवारा कुत्तों की संख्या सबसे अधिक खानपान की दुकानों, मीट मार्केट एवं झुग्गी झोपड़ियों के आसपास होती है। दरअसल यहां से इनको खाने के लिए भोजन मिलता रहता है। जबकि कुछ डाग लवर्स भी इन आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं। जब कभी कुत्तों का आतंक बढ़ता है तो नगर पालिका इनको पकड़ने का अभियान भी चलाती है, लेकिन टीम जब दिन में पहुंचती है तो गली मोहल्लों में आवारा कुत्ते दिखाई ही नहीं देते हैं। जबकि रात होते ही हर चौक-चौराहे पर आवारा कुत्तों की भीड़ दिखाई देती है। इनका निशाना सड़कों से गुजरने वाले वाहन चालक होते हैं। कई बार लोग वाहन चालकों के पैर भी पकड़ लेते हैं, जिससे कई वाहन चालक गंभीर हादसे का शिकार भी हो चुके हैं।
छोटे बच्चे सॉफ्ट टारगेट
आवारा कुत्तों के लिए सॉफ्ट टारगेट बच्चे होते हैं। अक्सर बच्चे जब खाने की कोई चीज लेकर गुजरते हैं तो यह आवारा कुत्ते उन पर हमला कर देते हैं। हाल ही में रन्नौद और खनियाधाना में भी इसी प्रकार की घटना सामने आई थी। खास बात ये है कि लगातार डाग बाइट के केस बढ़ने के बाद भी अब तक जिला प्रशासन या नगरीय प्रशासन ने इसके लिए कोई ठोस योजना तैयार नहीं की है। जिससे कुत्तों का आतंक अब बढ़ता ही जा रहा है।
कुत्तों की नसबंदी का टेंडर
नगर पालिका 2 साल पूर्व आवारा कुत्तों की नसबंदी का टेंडर कर चुकी है, लेकिन यहां के कुछ ऐसे लोगों ने जिन्हें टेंडर नहीं मिला तो उन्होंने माहौल खराब करना शुरू किया। कुछ लोग तो जीव कल्याण बोर्ड तक चले गए थे,पूर्व सीएमओ केशव सिंह सगर ने जिला पशु विभाग के प्रमुख को चिट्ठी लिखी थी, और जीव कल्याण बोर्ड का भी कोई जवाब नहीं आया। इस कारण कुत्तों की नसबंदी पर आगे काम नहीं हो सका है,शहर में आवारा कुत्तों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है शहर में लगभग 10 हजार आवारा कुत्तों की संख्या हो सकती है।
आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है,
लेकिन डाग लवर्स विरोध करते हैं। हम इसको लेकर कोई ठोस योजना बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे समस्या का स्थाई समाधान हो सके।
महेश जाटव, प्रभारी सीएमओ नगर पालिका, शिवपुरी।
नगर पालिका 2 साल पूर्व आवारा कुत्तों की नसबंदी का टेंडर कर चुकी है, लेकिन यहां के कुछ ऐसे लोगों ने जिन्हें टेंडर नहीं मिला तो उन्होंने माहौल खराब करना शुरू किया। कुछ लोग तो जीव कल्याण बोर्ड तक चले गए थे,पूर्व सीएमओ केशव सिंह सगर ने जिला पशु विभाग के प्रमुख को चिट्ठी लिखी थी, और जीव कल्याण बोर्ड का भी कोई जवाब नहीं आया। इस कारण कुत्तों की नसबंदी पर आगे काम नहीं हो सका है,शहर में आवारा कुत्तों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है शहर में लगभग 10 हजार आवारा कुत्तों की संख्या हो सकती है।
आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है,
लेकिन डाग लवर्स विरोध करते हैं। हम इसको लेकर कोई ठोस योजना बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे समस्या का स्थाई समाधान हो सके।
महेश जाटव, प्रभारी सीएमओ नगर पालिका, शिवपुरी।