शिवपुरी। शिवपुरी जिले के खूबत बाबा मंदिर को सभी जानते और पहचानते है,यह मंदिर देश में लैंडमार्क के रूप में खूबत बाबा की घाटी के नाम से भी जाना जाता हैं,खुबत की घाटी शिवपुरी-ग्वालियर फोरलेन सडक पर सतनवाड़ा से पहले स्थित है।शिवुपरी शहर से यह मंदिर ग्वालियर की ओर मात्र 12 किलोमीटर दूर है। शिवपुरी समाचार इस लैंडमार्क वाले मंदिर की कथा और इतिहास को पहली बार प्रकाशित कर रहा है। यह मंदिर चमत्कारों से भरा है,खूबत बाबा मंदिर पर विराजमान सिद्ध संत ने आजादी से पूर्व बिछाई जा रही रेल की पटरी को मंदिर के आगे से नहीं निकलने दिया था। हैरान परेशान इंजीनियरों ने इस रेल की पटरी को फिर मंदिर के पीछे से निकाला,इस मंदिर की प्रतिमा शेर के रूप में है कहां जाता है कि यह साक्षात सिद्ध है इस मंदिर पर आज तक लाखों लोगों की मनोकामना पूर्ण हुई है।
क्या है खूबत बाबा के मंदिर का इतिहास
धोबी समाज रजक में वर्षो पूर्व एक सुत हुआ करते थे,जिन्है बरैठा बाबा के नाम से जाना जाता था। इनकी पत्नि का नाम कलावती था ओर यह संत बरैठा बाबा भगवान शंकर के भक्त थे,और सिद्ध बाबा को अपना गुरु मानते थे, वह एक बार बंगाल गए वहा से वह जादू सीख कर आए थे वह जादू उन्होंने अपनी पत्नी कलावती को भी बताई एक दिन कलावती से बरैठा बाबा ने कहा की मैं तुम्हें जादू बताता हूं बरैठा बाबा ने एक लोटा जल लिया और उसे पढ़कर अपनी पत्नी के पास रख दिया, बाबा ने बोला कि जब मैं शेर का रूप धारण कर लूं उसके बाद तुम इस जल को मेरे ऊपर छिड़क देना।
लेकिन जैसे ही बाबा ने शेर का रूप धारण किया तो उनकी पत्नी कलावती डर गई और उनसे धोखे से वह जल का लोटा फैल गया, और उसी दिन से वह शेर का रूप धारण करे हुए हैं वह शेर का रूप धारण करके इस जंगल में आए और उन्होंने यहां जिन्दा समाधि लेली।
एक दिन मोहन बंजारा अपने परिवार के साथ आया और वह इस जंगल में रुका वह निसंतान था उसके यहां संतान नहीं हो रही थी, बाबा ने उसके सपने में आकर उसे दर्शन दिए और कहा कि अगर तेरे यहां संतान पैदा हो जाए तो मेरा एक छोटा सा चबूतरा बनवा देना जब बंजारे के यहां संतान हो गई तो उसने हंसकर बाबा का चबूतरा बनाया उसके बाद धीरे-धीरे इसका पक्का निर्माण हुआ और फिर इसे खूबत बाबा के नाम से जाना जाने लगा, शुरुआत में सतनवाड़ा के पास ममोनी गांव के रहने वाले धोबी समाज के लोगों ने इसकी पूजा की इसके बाद समय बीतता गया और फिर एक शिवहरे समाज के व्यक्ति को इसकी पूजा करने के लिए बोला गया इसके बाद इस मंदिर की देखरेख और पूजा रामपाल आदिवासी निवासी मामोनी गांव कर रहा है।
यह है प्रत्यक्ष उदाहरण खूबत बाबा के
कहा जाता है कि आजादी से पूर्व शिवपुरी-ग्वालियर की रेल लाइन के लिए रेल की पटरी बिछाई जा रही थी। इस पटरी को खूबत बाबा के मंदिर के आगे से निकाला जा रहा था। इस पटरी को खूबत बाबा के मंदिर के आगे से निकाला तो यह पटरी रात के समय अपने आप अपना स्थान छोड़ जाती थी,सुबह ऐसा लगता था कि किसी ने यह पटरी उठाकर रख दी। दिन में फिर इसे पुन:सही किया जाता लेकिन रात में फिर यह पटरी उखड़ी हुई मिलती थी। इंजीनियर इस कारण परेशान थे।
बताया जाता है कि इस घटना के बाद इंजीनियर और उसका परिवार बीमार रहने लगा,काम रुक गया। एक दिन बैरठा संत सपने में आए और आदेश किया कि पटरी मंदिर के आगे से नहीं पीछे से निकालो। इंजीनियर को समझ मे आ गया कि इस मंदिर की शक्ति इस पटरी को मंदिर के आगे से नहीं निकलने देना चाहती है। फिर इंजीनियर ने नई प्लानिंग कर रेललाइन को मंदिर के पीछे से शिफ्ट किया था।
फारेस्ट ने भी मंदिर को हटाने के लिए कई बार प्रयास किया है लेकिन वह इस मंदिर के धार्मिक कार्यक्रम और मंदिर नही हटा सके,कोई ना कोई कारण ऐसा बन जाता था कि मंदिर नहीं हट सका है। आज भी शिवपुरी जिले सहित आसपास के जिलों पर लोग अपनी मन्नत पूरी होने के बाद खूबत बाबा के मंदिर पर गोठ करने आते है। यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय मंदिर है।
रजक समाज की बैठक हुई यह निर्णय लिया गया
वर्तमान में खूबत बाबा मंदिर पर मंदिर की मर्यादा को कुछ असामाजिक तत्व किस्म के लोगो द्वारा भंग किया जा रहा है जैसे मंदिर में ही दारू पीना, मीट खाना, शराब पीकर मंदिर में ही सोना, गंदगी फैलाना, साथ ही मंदिर पर आने वाली चढ़ोतरी को हड़प लेना, अभी वर्तमान में पूजा कर रहे रामपाल आदिवासी ने बताया कि मंदिर की अभी वर्तमान में मंदिर पर आने वाली पूरी चढ़ोतरी को दीपक शिवहरे नाम का व्यक्ति ले जाता है पिछले करीब 5 सालो से दीपक शिवहरे का परिवार ही मंदिर की चढ़ोतरी हड़प रहा है अभी तक शिवहरे ने चढ़ोतरी से मंदिर का कोई निर्माण कार्य नहीं कराया है।
हर दिन मंदिर पर करीब 1 हजार से लेकर 3 हजार तक की चढ़ोतरी होती है जिसे रोजाना दीपक शिवहरे नाम का व्यक्ति ले जाता है, रजक समाज के सुप्रसिद्ध खूबत बाबा मंदिर पर हुई रजक समाज की बैठक में समाज के द्वारा निर्णय लिया गया कि अब खूबत बाबा की देखरेख,साफ सफाई और चढ़ने वाले दान का समिति हिसाब रखेगी, मंदिर पर रजक समाज के खूबत बाबा का एक बोर्ड लगाया जाएगा, मंदिर पर कलर और रिपेयरिंग का काम किया जाएगा, मंदिर में एक स्टील की दान पेटी बनाकर मंदिर के अंदर ही चुनवाया जाएगा।
जिसे हर अगले महीने में होने वाली मीटिंग पर समिति के समस्त सदस्यों के सामने खोला जाएगा, इस पैसे से मंदिर का निर्माण कार्य, धर्मशाला, गार्डन, पानी की टंकी,और मंदिर पे पास में लोगों को बैठने की उत्तम व्यवस्था की जाएगी, रजक समाज के द्वारा अगली मीटिंग 3 अगस्त 2025 को रखी गई है जिसमें शिवपुरी, डबरा, मुरैना, भिंड, गुना,अशोकनगर,के रजक समाज के सभी लोग शामिल होंगे, 3 अगस्त को होने वाली मीटिंग में मंदिर संचालन ओर जनहितकारी निर्णय लिए जाऐगें।
3 अगस्त 2025 से मंदिर की समिति बनाकर अब फिर से रजक समाज मंदिर की जिम्मेदारी लेगा, खूबत बाबा पर हुई रजक समाज की बैठक में शिवपुरी जिले के सभी समाज बंधुओं के साथ संभागीय प्रभारी दामोदर रजक, संभागीय अध्यक्ष बच्चू राम रजक, जिला अध्यक्ष अशोक रजक, युवा समिति जिला अध्यक्ष रामेश्वर रजक, युवा संभागीय अध्यक्ष जसवंत रजक, वरिष्ठ समिति सदस्य श्रीलाल रजक, कल्याण रजक, बल्लू रजक, दीपक रजक, कप्तान रजक, बृजेश रजक सचिव, कैलाश रजक महामंत्री, सत्यवान रजक आदि समस्त रजक समाज एकत्रित हुआ।