शिवपुरी। कुपोषण से लडने के लिए सरकार ने एक पूरा का पूरा विभाग बना रखा है। महिला बाल विकास विभाग में शिवपुरी जिले में अधिकारी से लेकर हजारो कर्मचारी है करोडो रूपए खर्च फिर भी कुपोषण घटने की जगह बढ़ रहा हैं। बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पोषण आहार देने से लेकर जिला मुख्यालय व अंचल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में अति कुपोषित बच्चों को भर्ती करने के बाद भी स्थिति में सुधार होने की जगह हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे है।
महिला बाल विकास विभाग ने पिछले तीन महीने में जिले भर में 685 कुपोषित बच्चे चिह्नित किए हैं। इनमें से 80 से अधिक बच्चे जिला अस्पताल की एनआरसी सहित अंचल की एनआरसी केंद्र में भर्ती है। इन तीन महीनों से पहले भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी, बल्कि पहले यह आंकड़ा 670 से 700 के बीच था। बड़ी बात यह है कि यह आंकड़े तो विभाग के हैं, जबकि हकीकत में कुपोषित बच्चों की संख्या हजारों में है।
जानकारी के मुताबिक शहर में तो आंगनबाड़ी केन्द्र फिर भी समय पर खुलते है, लेकिन ग्रामीण अंचल में आंगनबाड़ी खुलने का कोई समय तय नहीं है। इसके बाद इन केंद्रों पर जो पोषण आहार बच्चों के लिए आता है, वह आकर भी मेन्यू के हिसाब से नहीं आता। जिन समूहों को पोषण आहार देने का काम है, वह घटिया स्तर का आहार भेजते है, जिससे बच्चों को पोषण नहीं मिल पा रहा और कुपोषित बच्चों की संख्या में हर रोज इजाफा हो रहा है।
ये हैं कुपोषण के लक्षण
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ० से लेकर 6 साल तक के बच्चों को देखा जाता है। इनमें उम्र के मुताबिक वजन व ऊंचाई न होने अथवा लगातार किसी न किसी संक्रमण के कारण बीमार बना रहने पर उस बच्चे को चिह्नित कर कुपोषण जिसको अब सेम बोला जाता है की श्रेणी में रखा जाता है। इन बच्चों में से कई बच्चों को तो पोषण आहार देने का काम घर पर आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से किया जाता है। स्थिति ज्यादा खराब होने पर उनको एनआरसी केन्द्र सहित जिला अस्पताल के पीआईसीयू से लेकर चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती कराया जाता है। एनआरसी केन्द्र में इन बच्चों को 14 से 15 दिन तक रखकर उनको पोषण आहार देने के साथ आवश्यक दवाइयां दी जाती है। इसके बाद आगे की स्थिति देखकर उसको डिस्चार्ज किया जाता है।
शहर सहित अंचल भर में कुल 685 कुपोषित बच्चे है। इनमें से बदरवास में 121, करैरा में 44, खनियाधाना में 65, कोलारस में 125, नरवर में 33, पिछोर में 38, पोहरी में 105, शिवपुरी शहर 23 व शिवपुरी ग्रामीण में 131 की संख्या शामिल है। सबसे अधिक स्थिति शिवपुरी ग्रामीण में खराब है और उसके बाद बदरवास, कोलारस, पोहरी में भी कुपोषण रोकने के लिए महिला बाल विकास कोई बेहतर काम नहीं कर रहा। यह आंकड़ा पिछले 3 महीनों का है, क्योकि कुपोषित चिह्नित होने के बाद संबंधित बच्चे को सही होने में कम से कम 3 माह का समय लगता है।
एनआरसी में बुधवार को आए 5 बच्चे
जिला अस्पताल के एनआरसी केंद्र में बुधवार की स्थिति में कुल १७ बच्चे भर्ती हैं। इनमें से 5 बच्चे तो बुधवार को ही भर्ती हुए हैं। इसके अलावा अंचल के केन्द्रों को मिलाकर कुल 80 बच्चे एनआरसी केंद्र में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। कुछ बच्चे जो कि ज्यादा बीमार हैं, उनका इलाज अस्पताल में होता है। कुल मिलाकर महिला बाल विकास व स्वास्थ्य महकमे की तमाम प्रयास कुपोषित बच्चों की संख्या को कम नहीं कर पा रहे और हालात ठीक नहीं है।
यह बात सही है कि पिछले तीन महीनो में जिलेभर में कुपोषित बच्चों की संख्या 685 है। अधिकांश को पोषण आहार व आयरन की दवाई देने का काम स्थानीय स्तर पर घर के पास बनी आंगनबाड़ी केन्द्र पर ही हो जाता है। वर्तमान में करीब 80 बच्चे विभिन्न एनआरसी केंद्र में भर्ती हैं जहां उनको पोषण आहार दिया जा रहा है। हम प्रयास कर रहे है कि इनका आंकड़ा आगामी समय में कम रहे।
धीरेन्द्र सिंह जादौन, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग