श्रीमंत सरकार के संसदीय क्षेत्र में आधा साल बंद रहता है यह सरकारी स्कूल ,पढ़िए खबर - SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले का बदनाम शिक्षा विभाग की एक और पोल खोलती खबर मिल रही है कि शिवपुरी जिले का एक स्कूल साल भर में आधा साल बंद रहता है,जब इसकी शिकायत क्षेत्रीय सांसद और भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को की गई तो शिक्षा विभाग ने भ्रामक रिर्पोट तैयार कर भेज दी। सीधे शब्दों में लिखे तो ग्रामीणों ने मंत्री और विधायक से शिकायत की लेकिन वह भी इस स्कूल को साल भर आपन नहीं करा सके। स्कूल कागजों में नियमनुसार खुलता है लेकिन धरातल पर माने तो गर्मियों सहित मानसून काल में इस स्कूल पर गेट पर लटका ताला राज करता है।

शिवपुरी जिले के बदरवास जनपद की ग्राम पंचायत टीला कलां के अंतर्गत ग्राम गोरा के चारो ओर से सिंध नदी ने घेर रखा है। इस गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है नदी को पार कर गांव जाना पड़ता है। मानसून काल में स्थिति और भी अधिक गंभीर हो जाती है। ग्रीष्म काल के अवकाश के बाद मानसून काल शुरू हो जाता है और मानसून काल के समय सिंध में अपनी वेग को धारण कर लेती है। ऐसे में चार माह और यह स्कूल बंद रहता है स्कूल के गेट पर ताला लटका रहता है। इस दौरान न तो कोई शिक्षक पढ़ाने आता है और न ही कोई अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करता है। साल भर में भी स्कूल हफ्ते में एक या दो दिन ही खुलता है। ग्रामीणों ने इस समस्या की शिकायत केंद्रीय मंत्री तक की है, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें झूठी जानकारी देकर भ्रमित कर दिया है।

आजादी के बाद आज तक सड़क नहीं
ग्राम गोरा तक आजादी के बाद एक भी पहुंच मार्ग नहीं बन सका है। ग्रामीणों को सिंध नदी के बीच से होकर गांव आना-जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में नदी में पानी बढ़ जाने से ग्रामीण जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं, जबकि यहां के सरकारी स्कूल के शिक्षक बारिश के मौसम में स्कूल नहीं आते। इस कारण स्कूल पर ताला लटक जाता है।

सिंधिया को सौंपी भ्रामक रिपोर्ट
गांव में शिक्षा की इस खराब व्यवस्था को देखते हुए ग्रामीणों ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके जन समस्या निवारण शिविर में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद शिक्षा विभाग ने एक जांच रिपोर्ट भेजी, जिसमें बताया गया कि सीएसी रन्नौद के माध्यम से जांच की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि दो शिक्षिकाएं स्कूल में पदस्थ हैं, लेकिन शिकायतकर्ता राकेश केवट का आरोप है कि शिक्षा विभाग ने यह रिपोर्ट उन्हें भ्रमित करने के लिए तैयार की है। धरातलीय सच्चाई इससे काफी भिन्न है।

रोड बने तो हो समस्या का समाधान
ग्रामीणों के अनुसार आजादी के बाद से आज तक गांव में पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं बनवाई गई है। इस कारण लोगों को नदी के बीच में से ही गांव आना-जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में उफनती के नदी के बीच में से ही ग्रामीण आते-जाते हैं, परंतु शिक्षक अपनी जान जोखिम में नहीं डालते हैं।

जहां शिकायत हो सकती है वहां की,लेकिन
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के लिए क्षेत्रीय विधायक महेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यालय में आवेदन दे चुके हैं। ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है, लेकिन आज तक गांव-गांव तक पहुंच मार्ग बनाने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना उनके गांव तक पहुंच मार्ग नहीं बना पाई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह पहुंच मार्ग बन जाए तो समस्या का समाधान स्वतः हो जाएगा।

इनका कहना है
यह बात सही है कि गांव में जब नदी चढ़ी होती है तो वहां जाना संभव नहीं है। स्कूल में दो महिला शिक्षिकाएं हैं, वह चढ़ती नदी के दौरान नहीं जा सकती हैं। मैं दिखवाता हूं कि स्कूल कब से नहीं खुला है। कोई व्यवस्था करने का प्रयास करते हैं।
अंगद सिंह तोमर, बीआरसीसी बदरवास ।