SHIVPURI NEWS - अपना घर आश्रम में ठाकुरजी को भेजा जाता है डिमांड नोट,मनुष्य रूप में आकर करते है पूर्ति

Bhopal Samachar

काजल सिकरवार। एक प्रसिद्ध भजन है कि कौन कहता है कि भगवान आते है नहीं,लोग मीरा जैसे बुलाते नही। यह भाव सिद्ध होता है शिवपुरी के अपने घर आश्रम में । अपना घर आश्रम में सभी मांग पत्र का ठाकुर मनुष्य रूप में आकर पूर्ति करते है। इसी आस्था और विश्वास के बल पर यह आश्रम संचालित किया जाता है। अपना घर आश्रम में ऐसे लावारिस व्यक्तियों की सेवा और इलाज किया जाता है जिनका कोई नहीं है वह लावारिस है। वर्तमान समय में इस आश्रम में 214 प्रभु जी निवास है जिनका भोजन,रहने खाने पीने सहित कपड़े और दवाओ और इलाज शिवपुरी के अपना घर आश्रम में किया जाता है,नर सेवा नारायण सेवा के महा मंत्र पर चलने वाले इस आश्रम के कई ऐसे व्यक्ति स्वस्थ होकर अपने घर वापस गए है जो वर्षो से मानसिक रोगी थे।

 लड्डू गोपाल को लिखी जाती हैं चिट्ठी
अपना घर आश्रम में एक कमरे  मे ठाकुर जी का मंदिर मौजूद हैं जिसमें लड्डू गोपाल विराजमान हैं और उसी रूम में तमाम सारे वोर्ड हैं वहीं उन सभी वोडों में एक एक ऐसा बोर्ड  वहां मौजूद हैं जिस पर लिखा हुआ हैं ''ठाकुर जी को अपना घर की आवश्यकताओं की चिट्ठी'' यानी जिस चीज की यहां मौजूद प्रभुओं को जरूरत होती हैं उस सामग्री को बोर्ड पर लिख दिया जाता हैं और ऐसा माना जाता हैं कि उस चिट्ठी को ठाकुरजी पढ़ लेते हैं और किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा वो सामान भिजवा देते हैं। ऐसी असीम कृपा ठाकुरजी की आश्रम में मौजूद भक्तों पर हैं।

जिनका कोई नहीं उनके प्रभुजी हैं
वहीं आपको बता दें कि ठाकुर जी की कृपा से, मानसिक विक्षिप्त लोगों के लिए आश्रम में 4 समय का भोजन दिया जाता हैं, वहां मौजूद लोग ठाकुर जी की दोनों टाइम पूजा भी करते हैं और अच्छे से साफ-सुधरे रहते हैं सभी को एक प्रकार की ड्रेस दे दी जाती हैं और सभी लोग वहां बहुत खुश रहते हैं,क्योंकि वहां ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हें स्वयं उनके घरवाले नहीं संभाल पाते हैं वो लोग मौजूद हैं जिनकी किसी कारणवश मानसिक स्थिति खराब हो जाती हैं और वह अपने घर से भाग जाते हैं ऐसे लोगों को यहां आश्रम में छोड़ दिया जाता हैं और फिर यहां आश्रम में इनकी देखरेख,खानपान आदि व्यवस्थाऐं अच्छे से की जाती हैं और कुछ ही दिनों में इतनी स्थिति में सुधार हो जाता हैं फिर इनका इनके घर को पता कर घर छोड़ दिया जाता हैं,यहां पर वो लोग भी मौजूद हैं जिनका इस संसार में कोई नहीं हैं वह लोग यहीं रह जाते हैं क्योंकि इस आश्रम का नाम ही 'अपना घर आश्रम' हैं।

जो भी इस आश्रम में आते हैं वह स्वयं का भाग्य लेकर आते हैं
अपना घर आश्रम शिवपुरी के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे गौरव जैन ने बताया कि अपना घर आश्रम की विचारधारा हैं कि यहां पर जो भी प्रभु जी आते हैं वह अपना स्वयं का भाग्य लेकर आते हैं तो आश्रम में कभी भी कोई भी बाहर मांगने नहीं जाता हैं,यहां पर परमेश्वर को चिट्ठी लिखते हैं जिस चीज की भी आवश्यकता हो,ठाकुरजी स्वयं किसी मानव रूप में आते हैं और वह आश्रम पर उस चीज की पूर्ति करते हैं अगर इसमें कुछ रह जाता हैं कोई चीज नहीं आती तो लगता हैं कि इस आश्रम में कोई ना कोई चीज की कमी हैं इसलिए इस चीज की पूर्ति नहीं हुई।

एक बार की घटना,तत्काल पढ़ी थी ठाकुर जी ने चिट्ठी—
एक बार की बात हैं जब यह आश्रम खुला था तब दो कुकर की आवश्यकता थी तो हमने उसी दिन बोर्ड पर लिखा था कि कुकर की आवश्यकता हैं तो रात में ही हमारे पर किसी एक व्यक्ति का फोन आया और उसने कहा कि कुकर देने आ रहे हैं तो तत्काल ठाकुर जी ने सुन ली थी। और वहीं कुकर के साथ ही पूरा राशन का सामान भी आ गया था। वहीं इस आश्रम में 146 महिलाएं हैं और बाकी से पुरुष हैं टोटल 214 प्रभुजी हमारे आश्रम में हैं।

यह हैं प्रभुजियों दिनचर्या
सबसे पहले दैनिक नित्य क्रियाऐं कराई जाती हैं फिर उसका अभिषेक स्नान कराना जाता हैं,शाखा लगाई जाती हैं उसके बाद पूजा,हनुमान चालीसा का पाठ आदि कराई जाती हैं वहीं उसके बाद ब्रेकफास्ट और फिर 3 टाइम का भोजन कराया जाता हैं भोजन में दाल,रोटी,चावल सब्जी आदि कराया जाता हैं। वहीं हमारे यहां 90 प्रतिशत मानसिक रोगी हैं।

ऐसे रोगी है अपना घर आश्रम में
1.व्यक्तित्व विकार
2.मंदबुद्धि
3.नेत्रहीन
4.लकवा एवं पोलियोग्रस्त
5.अंग-विहीन
6.मूक बघिर
7.जख्मी
8.अस्थि भंग
9.मिर्गी
10.अन्य रोगी
11.स्वस्थ हुए प्रभुजन