ललित मुदगल एक्सरे शिवपुरी। मंडी का टैक्स चोरी रोकने के लिए संभागीय उड़नदस्ता लगातार सडको पर भ्रमण करता रहता है। समय समय पर समाचार प्रकाशन भी होते है कि संभागीय उड़न दस्ते ने बिना गेट के अनाज से भरे ट्रकों को पकडा और जुर्माना वसूला गया,लेकिन संयुक्त संचालक ग्वालियर के द्वारा बनाए गए उड़न दस्ते के कर्मचारियों की एक 13 पेज की पीडीएफ वायरल हो रही है। जिसमे लगभग 100 गाड़ियों की रिश्वत की लेनदेन का हिसाब है। इस मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू को की गई है। इसमें खास बात है कि यह शिकायत उस व्यक्ति ने की है जो इस गिरोह का सक्रिय सदस्य था।
ऐसे समझे मामले को
संयुक्त संचालक एस के कुम्हरे के द्वारा टैक्स चोरी रोकने के लिए उड़न दस्ते का गठन किया था। इस उड़न दस्ते में दिग्विजय सिंह नदीरिया ए.एस.आई पंकज तोमर, ए.एस.आई अनिल दोहरे, ए.एस.आई सतेन्द्र सिंह जादौन, ए.एस.आई बृजेश धाकड है।
उक्त सभी मंडी के कर्मचारी मुझे पहचानते है। इन लोगों ने उन गाड़ियों के नंबर लेने का मेरे पर दबाव बनाया जिन गाड़ियों में शिवपुरी के व्यापारी अनाज लोड करते थे। इन लोगों ने मेरे से कहा कि जहाँ-जहाँ गाड़ियों माल लेकर जाती है उनकी जानकारी तुम्हें रहती है हम लोगों द्वारा आपको बताये गये व्यापारियों से संपर्क कराकर कुछ राशि दिलाया करेंगे इन गाड़ियों का नंबर व्हाट्सएप करो उन गाड़ियों को मंडी संबंधित टैक्स की कोई समस्या नहीं आयेगी यदि आएगी तो उसकी जबाबदारी हमारी रहेगी।
शिकायतकर्ता ने इस शिकायत के साथ 13 पेज की पीडीएफ व्यापारियों के हिसाब की भेजी है। इसमें सबसे प्रमुख बात यह है कि इन सभी कर्मचारियों को शिकायतकर्ता तोमर के अकाउंट से भेजी गई रिश्वत की फोन पे की डिटेल है,और लाखों रुपए रिश्वत के रूप में भेजे गए है।
मंडी गेट पास की चोरी के साथ जीएसटी चोरी
इस शिकायत के बाद यह समझ में आ रहा है कि उक्त कर्मचारी जिनकी ड्यूटी टैक्स चोरी पकड़ने की थी वह कर्मचारी टैक्स की चोरी के गिरोह में शामिल हो गए। इसी पीडीएफ में ट्रकों के फोटो,रिश्वत का हिसाब और कर्मचारियों को पेमेंट किया गया उसके स्क्रीन शॉट,इस पीडीएफ मे लगभग 100 ट्रको का हिसाब है। यह गिरोह टैक्स चोरी की पूरी जवाबदारी लेता था। अगर इन गडियो की जीएसटी का हिसाब जोडा जाए तो करोडो रुपए की जीएसटी होगी।
लेनदेन के विवाद के कारण ही तोमर ने की थी एएसआई की मारपीट
कुछ माह पूर्व दीपू तोमर ट्रांसपोर्टर ने एक मंडी एएसआई की बदरवास क्षेत्र में मारपीट की थी। यह रिश्वत के विवाद का कारण बताया जा रहा था। यह ट्रांसपोर्टर ही इस मामले में शिकायतकर्ता है और रिंकू तोमर ही इस गिरोह से मिलकर जीएसटी और मंडी चोरी के कार्य को अंजाम देता था।
संयुक्त संचालक भी संदेह के घेरे में
इस पूरे मामले में नजर डाली जाए तो संयुक्त संचालक एसके कुम्हरे भी संदेह मे आते है,इस रिश्वत भरी शिकायत को ईओडब्लू मे किया गया है। इसके नोटिस भी निकल चुके है और ईओडब्ल्यू ने इन संदिग्ध से पूछताछ भी शुरू कर दी है,लेकिन इसके बावजूद भी संयुक्त संचालक ने किसी भी प्रकार की कार्यवाही इन मंडी के कर्मचारियों पर नहीं की है,यह सबसे बडा संदेह है कही ना की संयुक्त संचालक की एनओसी से ही यह खेल पनप रहा था।
एएआई तोमर के फोनपे पर भेजी गई रिश्वत
ईओडब्ल्यू पुलिस को सौंपी गई रिश्वत से भरी लेनदेन पीडीएफ में एएसआई तोमर के नंबर पर बने फोनपे पर लाखो रूपए की रिश्वत का लेनदेन के स्क्रीन शॉट है। सवाल यह उठता है कि एक ट्रांसपोर्टर मंडी के कर्मचारी को पैसा क्यों दे रहा है। स्वाभाविक है यह सब रिश्वत का पैसा है जो मंडी टैक्स चोरी और जीएसटी चोरी के एवज में दिया गया है। अब आप इस एक प्रकरण से अंदाजा लगा सकते है कि जब एक ट्रांसपोर्टर 100 गाड़ियों की चोरी करवा सकता है तो कई ट्रांसपोर्टर कितनी गाड़ियों की टैक्स चोरी करवा रहे होगें।
सालों से संभागीय उडनदस्ते में जमे है यह कर्मचारी
बताया जा रहा है कि मंडी बोर्ड के कर्मचारी दिग्विजय सिंह नदीरिया ए.एस.आई पंकज तोमर, ए.एस.आई अनिल दोहरे, ए.एस.आई सतेन्द्र सिंह जादौन, ए.एस.आई बृजेश धाकड सालो से इस संभागीय उड़न दस्ते में जमे है। यह आफिस भी नही जाते है। अगर मंडी टैक्स की चोरी रोकनी है तो सबसे पहले इस पूरी की पूरी उडनदस्ता टीम को बदलना होगा।