शिवपुरी। सहकारी बैंक को उसके कर्मचारी दीमक की तरह चाट गए,इस कारण बैंक कंगाल हो गया,आमजन के खाते पर लॉक गया और अपने की जमा पैसो के लिए बैंकों के चक्कर लगाना पड़ रहा है। बैंक के चपरासी से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी बैंक को कंगाल करने में लगे हुए है। कोलारस सहकारी बैंक के घोटाले की 5 प्रतिशत भी वसूली नहीं हो सकी है,इधर नरवर के सहकारी बैंक में लाखो रूपए की घोटाले की जांच कछुआ चाल से भी धीमी चल रहा है। वही इस ऋण माफी घोटाले के सबूतों को मिटाने के लिए घोटालेबाज बैंक अधिकारी पुन:बैंक का मैनेजर बनाकर भेज दिया।
एक साल पूर्व अरविंद तोमर ने कलेक्टर को दर्ज कराई थी कि नरवर शाखा में शाखा प्रबंधक श्यामसुंदर मिश्रा एवं अन्य कर्मचारी जिसमें भृत्य घनश्याम वनपुरिया एवं उसकी पत्नी पवन जाटव तथा अन्य रिश्तेदारों के खाते में शाखा स्थित सदस्यों के ऋण वसूली की राशि उनके डीएमआर खातों में संपूर्ण राशि जमा न करते हुए अपने स्वयं के खातों में जमा कर गबन कर ली गई है।
इसमें भृत्य की पत्नी पवना जाटव के खाता क्र. 172001911156 में दिनांक 14 अगस्त 2018 से 31 मार्च 2022 तक करीब 8 लाख 25 हजार रुपये जमा किए। इसी प्रकार शाखा से संबंद्ध सहकारी संस्था के जिन सदस्यों से मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजनांतर्गत वसूली की गई। इधर कांग्रेस की सरकार ने किसानो का कर्ज माफ कर दिया था,और इन खातो धाकरो इसका लाभ मिला। इस कारण मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना में राशि जमा होने पर डीएमआर खातों में सीआर बैलेंस हो गया था।
इस राशि को शाखा प्रबंधक एवं अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा अन्य व्यक्तियों के खातों में ट्रांसफर कर गबन कर लिया गया। उदाहरणार्थ डीएमआर खाता क्र. 172000812939 में गया चंद रावत के खाते से रुपये 52205 खाता क्र. 672060022037 जवाहर गुर्जर के खाते में जमा कर राशि हड़प ली गई। इसी प्रकार शाखा की समितियों में वर्ष 2019 में लाखों रुपये ऋण माफी लेना नामे पर राशि किस मद में कहां जमा कर ली गई, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है। शाखा प्रबंधक द्वारा सीबीएस सिस्टम से जमा राशि का विवरण प्राप्त न होना बताया जाता है।
बैंक मैनेजर को हटाया,फिर सबूत मिटाने वही पहुंचा दिया
शिकायतकर्ता के अनुसार इस घोटाले की अवधि के दौरान पदस्थ रहे शाखा प्रबंधक श्यामसुंदर मिश्रा को तत्कालीन सीईओ सहकारी बैंक भदौरिया द्वारा शाखा बदरवास स्थानांतरित किया गया था। इसके बाद कोलारस में गबन सामने आने के बाद अरस्तु प्रभाकर को बैंक का सीईओ बनाया गया। इनके द्वारा फिर से शाखा प्रबंधक को नरवर में पदस्थ कर दिया जिससे गबन की राशि को रफा दफा किया जा सके। इसकी जांच काफी समय से सहकारिता विभाग में लंबित है। शिकायतकर्ता का कहना है कि संभव है कि पदस्थ शाखा प्रबंधक द्वारा विभाग से जांच न कराये जाने का के लिए कोई कार्रवाई की गई हो।
इनका कहना है
पूर्व में भी हमारे द्वारा कोलारस के गबन का मामला उठाया गया था। इतना बड़ा गबन होने के बाद फिर से घटना हो रही है वह निंदनीय है। इसकी निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई नहीं हुई तो लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भी शिकायत करेंगे। अरविंद तोमर, बैंक के मार्केटिंग प्रतिनिधि एवं शिकायतकर्ता