SHIVPURI NEWS - DPC बने सिकरवार, विवादों से गहरा नाता रहा है ​​जिले की डीपीसी की कुर्सी का

Bhopal Samachar

शिवुपरी। जिला शिक्षा केंद्र शिवपुरी को करीब साल भर बाद एक बार फिर स्थायी जिला परियोजना समन्वयक मिल गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने को शुक्रवार चार जिलों में डीपीसी की नवीन पदस्थापना की है, जिनमें मुरैना जिले के पहाड़गढ़ ब्लाक अंतर्गत हाई स्कूल हुसैनपुर के प्राचार्य दफेदार सिंह सिकरवार को शिवपुरी के डीपीसी के पद पर प्रतिनियुक्ति दी है। सिकरवार ने राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पिछले साल आयोजित डीपीसी प्रतिनियुक्ति परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

उनकी पदस्थी की चर्चा लोकसभा चुनाव के पूर्व से चल रही थी लेकिन आचार संहिता के कारण आदेश अटका हुआ था। बता दें कि पिछले करीब एक साल से शिवपुरी डीपीसी का प्रभार उत्कृष्ट विद्यालय शिवपुरी के प्राचार्य विवेक श्रीवास्तव संभाले हुए थे और उनका कार्यकाल अच्छा रहा।

आज कर सकते हैं ज्वाइन

नव पदस्थ डीपीसी दफेदार सिंह ने नईदुनिया के से खास चर्चा में कहा है कि उनका प्रयास है कि वे शनिवार को ही पदभार ग्रहण कर लें। सिकरवार वर्तमान स्कूल से शुक्रवार को कार्यमुक्त भी हो गए हैं। जिले में उनकी प्राथमिकता को लेकर कहना था कि स्कूलों का नियमित  संचालन और शिक्षण कार्य को प्रभावी व म सार्थक बनाना उनकी प्राथमिकता है, साथ ही विभागीय योजनाओं का सही वक समय पर क्रियान्वयन प्रमुख लक्ष्य रहेगा और सभी के सहयोग से वे इस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

शिवपुरी जिले की बात करें तो सर्व  शिक्षा अभियान के अस्तित्व में आने के बाद से ही पिछले दो दशक में डीपीसी का पद यहां विवादों में रहा है। सबसे पहले डीपीसी केएन द्विवेदी पर गबन के आरोप में यहां एफआईआर दर्ज हुई। वहीं सुधाकर पाराशर झूलाघर के मामले में निलंबित हुए। इसके बाद प्रतिनियुक्ति पर ही नियुक्त डीपीसी अनिल कुशवाह पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जिला पंचायत की समीक्षा बैठक के दौरान स्याही तक फेंकी  गई और वह यहां से अन्यत्र भेज दिए गए। इसके बाद सबसे लंबी पारी खेलने वाले शिरोमणि दुबे का कार्यकाल भी विवादों से अछूता नहीं रहा। कभी उनकी कार्यशैली को लेकर आरोप लगते रहे तो वहीं छात्रावास में छात्राओं का बेहोशी काण्ड में डीपीसी शिरोमणि दुबे को निलबंन तक का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने डीपीसी अशोक त्रिपाठी को शिवपुरी डीपीसी बनाया, लेकिन कुछ महीनों बाद ही डीपीसी कार्यालय में शिवपुरी बीआरसीसी बालकृष्ण ओझा के साथ उनके मुंहवाद और हाथापाई के साथ अंगुली चबाने की घटना घटित हुई और मामला कोतवाली तक पहुंचा। विवाद इतना बढ़ा की त्रिपाठी को शिवपुरी से उज्जैन स्थानांतरित कर दिया गया।

हैरानी की बात यह है कि शिवपुरी में प्रभारी डीपीसी तो ठीक ठाक कार्यकाल पूरा कर लेते हैं लेकिन प्रतिनियुक्ति वाले अधिकांश डीपीसी किसी न किसी विवाद से जुड़े रहे हैं। इसे लेकर नव
पदस्थ डीपीसी सिकरवार का कहना है वह इस मिथक को तोड़ेंगे और सबके साथ मिलकर शिवपुरी में शिक्षा के क्षेत्र में यथा संभव सुधारात्मक कार्य करेंगे।