3 साल हो गए, शिवपुरी कलेक्टर भोपाल से अपना कलेक्ट्रेट नहीं ला पाए, ठेकेदार का बजट बढ़वा रहे हैं

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी में चमचमाती नई कलेक्ट्रेट का प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय से 3 साल से लेट हो चुका है। सरकार के पास इस भवन को बनाने के लिए पैसा नही था इस कारण इस प्रोजेकट को पुनर्घत्वीकरण योजना से जोडा गया। इस योजना के अंतर्गत पुराने बस स्टेंड और शहर के बीचो बीच बनी 14 नंबर कोठी की जमीन को बेचकर नया कलेक्ट्रेट भवन बनाना प्रस्तावित हुआ था।

पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत एमपी हाउसिंग बोर्ड को कलेक्ट्रेट भवन की जिम्मेदारी दी है। लैंडयूज परिवर्तन के लिए इंतजार में मामला टीएंडसीपी दफ्तर भोपाल में अटका पड़ा है। तीन साल बाद भी लैंडयूज परिवर्तन की अनुमति नहीं मिल सकी है। कुल मिलाकर नए कलेक्ट्रेट भवन बनने से पहले ईवीएम और अब नई तहसील व एसडीएम दफ्तर भवन बन चुके हैं।

जानकारी के मुताबिक पीआईयू (परियोजना क्रियान्वयन इकाई) शिवपुरी ने पांच साल पहले नए कलेक्ट्रेट भवन की डीपीआर बनाई थी। तीन साल पहले कलेक्ट्रेट बिल्डिंग लागत 26 करोड़ रुपए थे। बाद में अन्य काम जैसे कलेक्टर, एसपी बंगला सहित स्टाफ आवास भी बनना प्रस्तावित हुआ। लेकिन 14वें वित्त आयोग (एफएफसी) में बजट नहीं होने की वजह से कलेक्ट्रेट भवन प्रोजेक्ट को एमपी हाउसिंग बोर्ड को सौंप दिया। पुराने सरकारी बस स्टैंड और कोठी नंबर 14 की जमीन बेचकर कलेक्ट्रेट भवन बनना है, लेकिन अभी तक दोनों जमीनें बिकना तो दूर टी एनसीपी भोपाल से लैंडयूज परिवर्तन ही नहीं हो सका है। तीन साल से भोपाल स्तर पर परमिशन अटकी है।

हाउसिंग बोर्ड नए कलेक्ट्रेट भवन की आधारशिला भी नहीं रख पा रहा है। जबकि बाद में स्वीकृत तहसील कार्यालय और एसडीएम दफ्तर बनकर तैयार हो चुके हैं। लेटलतीफी की वजह से भवन की हर साल लागत बढ़ रही नया कलेक्ट्रेट भवन पहले 35 करोड़ की लागत से बनना था। बाद में इसकी लागत बढ़कर 40 करोड़ पहुंच गई। कलेक्टर और एसपी बंगला सहित अन्य 10-12 सरकारी आवास भी प्रस्तावित हुए हैं। इस तरह लागत 58 करोड़ पहुंच गई है। अब रिवाइज डीपीआर में फिर लागत बढ़ना लाजमी है।

आगे क्या : लैंडयूज परमिशन मिलते ही जमीन बेची जाएगी

शिवपुरी के मास्टर प्लान में पुराने सरकारी बस स्टैंड ट्रांसपोर्ट के रूप में दर्ज है। इसे कॉमर्शियल लैंडयूज के रूप में परिवर्तित होना है, लेकिन 12 मीटर रास्ते के लिए एक जमीन नगर पालिका की आ रही है, जिसकी टीएंडसीपी ने एनओसी मांगी। हाउसिंग बोर्ड ने नपा से एनओसी ले ली है। यदि टीएंडसीपी जल्द ही लैंडयूज की मंजूरी देता है तो हाउसिंग बोर्ड यह जमीन जल्द बेचकर कलेक्ट्रेट भवन निर्माण प्रारंभ करा सकेगा।