बदरवास। शिक्षा के नाम पर सरकार भले ही करोड़ों का बजट खर्च कर रही होए लेकिन धरातल पर हकीकत यह है कि बिल्डिंग में दरारें आ जाने से बारिश न होने पर क्लास खुले आसमान के नीचे लगाते हैं। बदरवास जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले गीदखेड़ा स्कूल की बिल्डिंग 2002 में बनाई गई। विगत 5 वर्ष पूर्व से प्राथमिक विद्यालय गीदखेड़ा की बिल्डिंग के चारों तरफ इतनी गहरी दरारें आ गई, कि कभी भी धराशाई हो सकती हैं।
इन हालातों में ग्राम गीदखेड़ा के इस प्राथमिक विधालय पर आने वाले छात्र.छात्राओं को स्कूल भेजने से डर रहे हैं कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए। हालांकि विद्यालय के शिक्षकों के द्वारा विभाग को विगत तीन वर्ष से लिखकर जर्जर बिल्डि़ंग की लिखित में सूचना दी जा रही है, इसके बावजूद जिम्मेदारों के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस विद्यालय में छात्र संख्या 44 है एवं दो शिक्षक पदस्थ हैं। वर्तमान में हालात यह हैं कि गीदखेड़ा स्कूल में अध्ययन करने आए छात्रों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जा रहा है और बारिश होने पर स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है।
कब-कब दी विभाग को सूचना
15 जुलाई 2022 को विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा विकासखंड कार्यालय में शासकीय प्राथमिक विद्यालय गीदखेड़ा का शाला भवन 2021.22 में जो भारी बारिश के कारण दीवारों में भारी दरारें पड़ चुकी हैं और छत भी झोल ;झुकद्ध मार गई है, जिससे उसमें शाला का संचालन करना हैए सुरक्षित नहीं है जिससे कभी भी भवन गिर सकता है।
अतिरिक्त कक्ष की मांग
विगत लगातार 5 वर्षों से शासकीय प्रावि गीदखेड़ा की बिल्डिंग भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त है, जिससे शाखा भवन के अंदर क्लास लगाने में असुरक्षित महसूस होती है। इसलिए स्कूल में अतिरिक्त कक्ष बनवाया जाए। इस तरह के कई पत्र अभी तक लिखे जा चुके हैं।
अब हालत गंभीर हो गई:प्रधानाध्यापक
हमारे द्वारा विद्यालय क्षतिग्रस्त होने एवं चारों ओर से दीवारों में दरार आने तथा छत भी झुकने की सूचना हमारे द्वारा हमारे विभाग के अधिकारियों को दे दी गई है। अब हालात गंभीर हैं तो हम उस भवन में स्कूल लगाने की बजाए बाहर स्कूल का संचालन करते हैं।
भूपेंद्र राजपूत, प्रधानाध्यापक प्रावि गीदखेड़ा
अतिरिक्त कक्ष के प्रयास करेंगे बीआरसीसी
मामला संज्ञान में आया है। हम मौके पर ही जाकर पड़ताल करके आएंगे तथा जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर अतिरिक्त कक्ष की स्वीकृति के प्रयास करेंगे।
अंगद सिंह तोमर, बीआरसीसी बदरवास