शिवपुरी । शिक्षा और ज्ञान पर्यायवाची शब्द नहीं है। शिक्षा प्राप्त कर आप धन कमा सकते है और अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकते है लेकिन आध्यात्मिक जिम्मेदारी की पूर्ति ज्ञान से ही संभव है। ज्ञान ही आपको धर्म के रास्ते पर ले जाने में सक्षम है। धर्म के मर्म को ज्ञान के माध्यम से ही समझा जा सकता है उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने आज पोषद भवन में चार्तुमास स्थापना के अवसर पर आयोजित एक विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए।
धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी ने चार्तुमास में धर्म आराधना को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया। साध्वी जयश्री जी ने इस अवसर पर जीवन नैया पार हो मेरी, क्या तुने ऐसा सोचा है, क्या खोया है क्या पाया है क्यों दुनिया में तू आया हैै, भजन का सुमधुर स्वर में गायन कर धर्म प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि प्रत्येक धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चार्तुमास में हिन्दू धर्म के अनुयायी तप और त्याग में लीन हो जाते है मंदिरों में रौनक रहती है। चार्तुमास में हमें यह सोचने का अवसर मिलता है कि हमने अपने जीवन में क्या खोया है, क्या कमाया है। उन्होंने जीवन उत्थान के लिए धर्म की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञान के माध्यम से ही धर्म मार्गर् पर आगे बढ़ा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि आज शिक्षा पर बहुत अधिक जोर है, शिक्षा प्राप्त कर करोड़ों के पैकेज प्राप्त किए जा सकते है। संसार चलाने के लिए शिक्षा अनिवार्य है, लेकिन शिक्षा धर्म नहीं है और धर्म के लिए ज्ञान आवश्यक है। ज्ञान आत्मा का गुण है और ज्ञान के माध्यम से ही जीवन के लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मोक्ष प्राप्त करने के जो चार रास्ते है उनमें सबसे पहला मार्ग ज्ञान का है। ज्ञान से ही हमें सही और गलत की पहचान होती है।
चार्तुमास में हमें सम्यक ज्ञान के साथ पुरुषार्थ करना चाहिए। मोक्ष का दूसरा मार्ग श्रद्धा है हमें अपने ज्ञान, गुरुजनों और ईश्वर पर अगाध श्रद्धा रखनी चाहिए। श्रद्धा और जिनवाणी श्रवण से मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हुआ जा सकता है। मोक्ष का तीसरा मार्ग चरित्र है। चरित्र का अर्थ संसार त्याग कर दीक्षा लेना है, लेकिन संसारिक व्यक्ति भी सामायिक कर कुछ समय के लिए संत बन सकता है। मोक्ष का चौथा मार्ग तप है। चार्तुमास में रात्रि भोजन के त्याग से लेकर नवकारसी, पोरसी, इकासना, आयमविल, उपवास और मासखमण तप कर मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हुआ जा सकता है। आत्मा का घर मोक्ष है और संसार में हमारा आगमन अपनी आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने के लिए हुआ है।
समाज के विकास में योगदान करने वाले पितृ पुरुष को किया गया याद
चार्तुमास स्थापना के अवसर पर चार्तुमास कमेटी के उपाध्यक्ष राजकुमार जैन ने जैन समाज के उन पितृ पुरूषों को याद कर उन्हें वंदन किया जिन्होंने समाज के विकास में अपना पूरा जीवन लगा दिया था। इस अवसर पर उन्होंने स्थानकवासी जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा को उनके जन्मदिवस पर बधाई देते हुए कहा कि हम इस अवसर पर यही कामना करते है कि आपका आगे का जीवन धर्म के लिए समर्पित रहेगा। जन्म दिवस के अवसर पर राजेश कोचेटा परिवार की ओर से निशुल्क भोजन सेवा और प्रसाद वितरण का लाभ भी लिया गया। जिसकी अनुमोदन साध्वी रमणीक कुवर जी ठाणा पांच सतियों ने की।