भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में लगातार चीतो की मौत के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर सवाल खड़े होने लगे है,चीतों की मौत पार्क प्रबंधन सामान्य बता रहा है,लेकिन पार्क के तर्को से इस परियोजना ही नहीं खत्म हो जाए,लगातार सवाल उठ रहे और यह सवाल पिछले 4 दिन में दो वयस्क चीतो (तेजस और सूरज) की मौत के बाद अधिक उठ रहे है। अब फिर कूनो से ऐसी खबर मिल रही है जो इस परियोजना के लिए दुखद है कि केएनपी में नर चीता पवन और गौरव घायल मिले है और मादा चीता पार्क प्रबधंन की रडार से गायब हो चुकी है।
चीतो की मौत की समीक्षा शुरू
इस दौरान नर चीता पवन और गौरव भी घायल बताए जा रहे हैं। उनकी गर्दन पर भी घाव हैं। पवन को तो ट्रेंकुलाइज कर पार्क लाकर उपचार किया जा रहा है। चीतों के गर्दन पर घाव का मुख्य कारण आईडी कॉलर बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि उसी की रगड़ से घाव हुए हैं, वर्षा का मौसम होने के कारण संक्रमण बढ़ गया है। उधर, प्रदेश के मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक जेएस चौहान कूनो पहुंच गए हैं। वे चीतों की मौत की समीक्षा करेंगे।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से अब तक पांच और भारत में जन्मे चार में से तीन शावकों की मौत हो चुकी है। पार्क प्रबंधन शावक और दो वयस्क चीतों की मौत प्राकृतिक एवं मादा चीता दक्षा, नर चीता तेजस और सूरज की मौत का कारण आपसी संघर्ष बता रहा है पर स्थिति कुछ और ही है। चीता सूरज की मौत गले में घाव होने से हुई है, जो आईडी कॉलर की रगड़ से हो सकता है।
वर्षाकाल के कारण संक्रमण तेजी से फैल गया। हालांकि कूनो के डीएफओ पीके वर्मा इसे मानने से मना कर रहे हैं। वे कहते हैं कि पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
निर्भया की लोकेशन नहीं मिल रही:
वर्षा के कारण जंगल में घूम रहे चीतों की लोकेशन ट्रेस करना भी मुश्किल हो रहा है। मादा चीता निर्भया की लोकेशन 11 जुलाई से नहीं मिल रही है। बताया जा रहा है कि उसके गले में लगी आइडी कालर में तकनीकी समस्या है। उधर, सूत्र बताते हैं कि दामिनी ओछापुरा रेंज मे घूम रही है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण दामिनी की लोकेशन भी ट्रैकिंग टीम को नहीं मिल रही है।
चीतो की मृत्युदर 50 प्रतिशत से अधिक
एनटीसीए ने यह भी साफ किया कि वैश्विक स्तर पर चीतों की मृत्युदर वैसे भी 50 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं है कि मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में लाए जाने के बाद ही इनकी मौत हो रही है। चीतों की मृत्यु अमूमन शिकार के दौरान चोटिल होने, आपसी लड़ाई में, बीमारी से, सड़क दुर्घटना में और शिकार आदि कारणों से हो सकती है।
सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की जा रही है। एनटीसीए ने अपने बयान में चीता परियोजना पर सवाल खड़ा करने वालों को भी जवाब दिया। कहा कि इस परियोजना को एक साल भी नहीं हुआ है। ऐसे में सफलता और विफलता को लेकर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।
चीता परियोजना के तहत कूनो अभयारण्य में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से तक कुल 20 चीते लाए जा चुके हैं। इनमें से अब तक पांच चीतों की मौत हो चुकी है। कूनो में जन्मे चार शावकों में से तीन की मौत हो चुकी है। इस परियोजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए चीतों को अभयारण्य में छोड़कर की थी
चीतो की मौत की समीक्षा शुरू
इस दौरान नर चीता पवन और गौरव भी घायल बताए जा रहे हैं। उनकी गर्दन पर भी घाव हैं। पवन को तो ट्रेंकुलाइज कर पार्क लाकर उपचार किया जा रहा है। चीतों के गर्दन पर घाव का मुख्य कारण आईडी कॉलर बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि उसी की रगड़ से घाव हुए हैं, वर्षा का मौसम होने के कारण संक्रमण बढ़ गया है। उधर, प्रदेश के मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक जेएस चौहान कूनो पहुंच गए हैं। वे चीतों की मौत की समीक्षा करेंगे।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से अब तक पांच और भारत में जन्मे चार में से तीन शावकों की मौत हो चुकी है। पार्क प्रबंधन शावक और दो वयस्क चीतों की मौत प्राकृतिक एवं मादा चीता दक्षा, नर चीता तेजस और सूरज की मौत का कारण आपसी संघर्ष बता रहा है पर स्थिति कुछ और ही है। चीता सूरज की मौत गले में घाव होने से हुई है, जो आईडी कॉलर की रगड़ से हो सकता है।
वर्षाकाल के कारण संक्रमण तेजी से फैल गया। हालांकि कूनो के डीएफओ पीके वर्मा इसे मानने से मना कर रहे हैं। वे कहते हैं कि पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
निर्भया की लोकेशन नहीं मिल रही:
वर्षा के कारण जंगल में घूम रहे चीतों की लोकेशन ट्रेस करना भी मुश्किल हो रहा है। मादा चीता निर्भया की लोकेशन 11 जुलाई से नहीं मिल रही है। बताया जा रहा है कि उसके गले में लगी आइडी कालर में तकनीकी समस्या है। उधर, सूत्र बताते हैं कि दामिनी ओछापुरा रेंज मे घूम रही है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण दामिनी की लोकेशन भी ट्रैकिंग टीम को नहीं मिल रही है।
चीतो की मृत्युदर 50 प्रतिशत से अधिक
एनटीसीए ने यह भी साफ किया कि वैश्विक स्तर पर चीतों की मृत्युदर वैसे भी 50 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं है कि मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में लाए जाने के बाद ही इनकी मौत हो रही है। चीतों की मृत्यु अमूमन शिकार के दौरान चोटिल होने, आपसी लड़ाई में, बीमारी से, सड़क दुर्घटना में और शिकार आदि कारणों से हो सकती है।
सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की जा रही है। एनटीसीए ने अपने बयान में चीता परियोजना पर सवाल खड़ा करने वालों को भी जवाब दिया। कहा कि इस परियोजना को एक साल भी नहीं हुआ है। ऐसे में सफलता और विफलता को लेकर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।
चीता परियोजना के तहत कूनो अभयारण्य में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से तक कुल 20 चीते लाए जा चुके हैं। इनमें से अब तक पांच चीतों की मौत हो चुकी है। कूनो में जन्मे चार शावकों में से तीन की मौत हो चुकी है। इस परियोजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए चीतों को अभयारण्य में छोड़कर की थी