सांस लेने को तड़प रहे है जाधव सागर के मिस्टर मगरमच्छ, जलकुंभी को मिटाने सुरसरी की आवश्यकता- Shivpuri News

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शिवपुरी।
शिवपुरी के जाधव सागर को जलकुंभी ने पिछले 6 माह से जकड़ रखा है। इस कारण इसके कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे है। जलकुंभी को खत्म करने के पास कोई ठोस योजना नही है। जाधव सागर पर जलकुंभी की चादर फैलने के कारण मगरमच्छ को सांस लेने में समस्या आ है,वही जल में ऑक्सीजन की कमी आ रही है सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंच रही है जिससे जलीय जीव संतुलन पर असर पड रहा हैं। पर्यटन भी प्रभावित हो रहा हैं।

जलकुंभी से होने वाले नुकसान

जलकुंभी गर्म देशों में पाया जाने वाला एक जलीय खरपतवार है जो वार्षिक या बहुवर्षीय एवं स्वतंत्र रूप से तैरने वाला पौधा है। यह जलीय पौधों की फैमली पोंटेडरिएसी का सदस्य है। ब्राजील में जन्मा यह पौधा यूरोप को छोड़कर सारी दुनिया में पाया जाता है। जलकुंभी से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे मछलियों की वृद्धि के अलावा अन्य जलीय वनस्पतियों और जीवों का दम घुटने लगता है। यह पानी के बहाव को 20 से 40% तक कम कर देती है। बड़े बांधों में जलकुंभी बिजली उत्पादन को प्रभावित करती है। जलकुंभी की उपस्थिति के कारण पानी के “वाष्पोत्सर्जन” की गति 3 से 8 प्रतिशत तक अधिक बढ़ जाती है। जिससे पानी का जल स्तर तेजी से कम होने लगता है।

ऑक्सीजन की कमी से बड़ा नुकसान,बिगड़ेगा संतुलन

जलकुंभी से सबसे पहले नुकसान यह होता है कि सूरज की रोशनी पानी में पहुंचना बंद हो जाती हैं। इससे पानी में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जाधव सागर पूरी तरह जलकुंभी से अट गया है, तो इसका अर्थ है कि वहां ऑक्सीजन की मात्रा अत्यल्प हो गई होगी। यह समस्त जलीय पादपों को खत्म कर देगी। मछलियां भी मर जाएगी, जो मगरमच्छ का स्वाभाविक भोजन होती हैं। तब मगरमच्छ को भोजन की तलाश के लिए बाहर निकलना पड़ेगा।


जलकुंभी उसे निकलने से नहीं रोक सकेगी, लेकिन वह बाहर निकलेगा तो बस्तियों में ही भोजन खोजेगा। समझ सकते हैं कि मगरमच्छ-मानव द्वंद्व के हालात पैदा कर रहे हैं। यह बहुत खतरनाक स्थिति हो जाएगी। इन हालात को प्रशासन ही रोक सकता है। बहुत जगह से जलकुंभी साफ की जाती है। यहां भी करनी चाहिए। जलकुंभी बाहरी प्रजाति है। इसे हटाने में किसी तरह का संकोच नहीं होना चाहिए।

जाधव सागर में जलकुंभी से पर्यटन को नुकसान

जाधव सागर में जलकुंभी तैरने के कारण शिवपुरी के पर्यटन को नुकसान हो रहा है। जाधव सागर में नौका विहार के लिए एमपी टूरिज्म ने इंतजाम भी किया गया था। शिवपुरी में अक्सर गर्मियों के मौसम में नौका विहार को झील में पानी की कमी के चलते बंद कर दिया जाता था, लेकिन इस बार तो बरसात के मौसम में ही नौका विहार को बंद कर दिया गया।

इसकी मुख्य वजह जलकुंभी है। जलकुंभी ने जाधव सागर की वोट सहित राजकुमारी बड़ी वोट को पूरी तरीके से जकड़ रखा है। जलकुंभी के जाल में फंसने के बाद यह वोट अपनी जगह से हिल भी नहीं सकती है इसके बावजूद जिम्मेदारों ने इस समस्या से निपटारे के विकल्प खोजने की अपेक्षा अपनी जिम्मेदारी से मुह मोड़ रखा है जिसके चलते पर्यटकों में उदासीनता का माहौल देखने को मिल रहा है।

आसपास की आबादी के लिए भी खतरा

मगरमच्छ नाले के बाहर निकल कर बैठ रहे हैं। अभी उन्हें तालाब में भोजन मिल रहा है, लेकिन जलकुंभी का जाल बढ़ता गया तो उन्हें भोजन की तलाश के लिए बाहर जाना पड़ेगा। ऐसे में मगरमच्छ भूख मिटाने के लिए नाला छोड़कर रिहायशी इलाकों की तरफ भागेंगे। यह स्थिति आसपास की आबादी के लिए बड़ा खतरा बन जाएगी।

सुरसरी कीड़ा खत्म कर सकते है जलकुंभी को—बिना बजट के खत्म

सुरसरी के जातक अण्डों से निकलकर तने में छेद कर इसमें घुस जाते हैं और धीरे-धीरे उत्तकों को खाकर तने को खोखला कर देते हैं जिससे जलकुंभी ऊपर से सूखने लगती है। वयस्क सुरसरी द्वारा पत्नी को खुरच-खुरच कर खाने के कारण पत्ती में हरित लवक की कमी होने लगती है।


वयस्क सुरसरी कोमल और बिना खुली पत्तियों को काफी पसंद करती है जिस कारण जलकुंभी का पौधा इनके आक्रमण से छोटी अवस्था में ही कमजोर हो जाता है। ग्रव उत्तकों को खा-खाकर तना खोखला कर देते हैं जिससे उनमें पानी भरने लगता है और धीरे-धीरे पौधा सूखकर पानी में ही सड़-गल डूब जाता है।

साल दर साल यह प्रक्रिया चलती रहती है। जिससे कुछ वर्षो में ही ऐसे जलाशयों में जलकुंभी का पूर्णतः: नियंत्रण हो जाता है। ये कीट नदियों या नहरों की जलकुंभी की अपेक्षा झीलों और तालाबों की जलकुंभी, जहां पानी ठहरा हुआ रहता है, अधिक सक्रिय रहते हैं। अत: झीलों और बड़े-बड़े जलाशयों में जलकुंभी का जैवकीय नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।

गॉसिपिंग जरूरी होता है
मगरमच्छों को पानी से बाहर निकलकर ग्रॉस्पिंग (सांस लेना) जरूरी होता है। जलकुंभी फैलने से पानी का तापमान भी अनुकूल नहीं हो पाता है, जो नुकसानकारक है। दूषित पानी भी मगरमच्छों के जीवन में लिए बड़ा खतरा है।
डॉ. जितेंद्र जाटव, वन्यजीव चिकित्सक, माधव नेशनल पार्क

नपा से साफ कराएंगे

राजस्व एरिया में जाधव सागर तालाब व करबला एरिया है तो उसमें जमा हुई जलकुंभी को हम नगरपालिका से साफ करवाएंगे। इस संबंध में नपा सीएमओ से बात करते हैं, और जल्दी ही उसे साफ करवाने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर, शिवपुरी
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