20वें तीर्थंकर मुनि सुब्रत स्वामी जी सहित 9 बिम्बों की अंजनशलाका प्रतिष्ठा धूमधाम से सम्पन्न- Shivpuri News

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शिवपुरी।
100 वर्ष पूर्व शिवपुरी में समाधि मरण करने वाले प्रसिद्ध जैनाचार्य विजय धर्म सूरि जी के मंदिर में विधिविधान पूर्वक 20वें तीर्थंकर मुनि सुब्रत स्वामी सहित 9 जिन बिम्बों की अंजनशलाका प्रतिष्ठा उत्साह के माहौल में धूमधाम पूर्वक सम्पन्न हुई। अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में 30 नबंवर से 5 दिसंबर तक अनेक धार्मिक आयोजन हुए। जिसमें जैन धर्मावलंबियों ने उत्साह के साथ भाग लिया। प्रतिष्ठा का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए जैन धर्मावलंबियों ने बढ़-चढ़कर बोलियां लगाई।

भगवान मुनि सुब्रत स्वामी जी की प्रतिष्ठा का लाभ इंदरमल-तेजमल, दीपक और अशोक सांखला परिवार को मिला। जबकि मुनि सुब्रत स्वामी के आजू बाजू में स्थित 16वें तीर्थंकर भगवान शांति नाथ की प्रतिष्ठा मुकेश-राजेश भांडावत और 23वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिष्ठा का लाभ विजय पारख परिवार को मिला। इसके अलावा नवीन जिन मंदिर में घंटाकरण महावीर देव, सरस्वती देवी, पदमावती देवी, नाकोडा भैरव, मणिभद्र जी, महालक्ष्मी देवी आदि विभिन्न बिम्बों की प्रतिष्ठा का लाभ भी जैन धर्माबलंबियों ने उठाया।

मंदिर के शिखर पर ध्वजा चढ़ाने का गौरव खजांची लाल कीमती कुमार प्रवीण लिगा परिवार को मिला। समारोह में प्रतिष्ठा महोत्सव के लाभार्थी परिवारों को भी श्वेताम्बर श्री संघ ने सम्मानित किया। विजयधर्म समाधि स्थल पर नवनिर्मित भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के मंदिर निर्माण से यह स्थल जैन तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होने जा रहा है। मंदिर निर्माण की कल्पना को साकार रूप आचार्य कुलचंद्र सूरि जी महाराज ने दिया। जिन्होंने गृह नक्षत्रों, राशि, स्थान, शहर आदि को दृष्टिगत रखते हुए बीटीपी समाधि स्थल पर भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के मंदिर के निर्माण का निश्चय किया। मंदिर में मुख्य भगवान मुनि सुब्रत स्वामी जी हैं।

जिनके दोनों ओर भगवान शांतिनाथ और भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई हैं। मदिर के बाहर 6 अधिष्ठायक देवी-देवता की प्रतिमा स्थापित की गई है। महा लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करने के लाभार्थी रतनलाल अग्रवाल आदि परिवार, सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने के लाभार्थी राजकुमार कोचेटा परिवार, देवी पदमावती के लाभार्थी सतपाल लिगा, घंटाकरण महादेव के लाभार्थी प्रवीण लिगा, नाकोड़ा भैरव प्रतिमा के लाभार्थी इंद्रकुमार वूरढ़ परिवार आदि रहे।

अंजनशलाका प्रतिष्ठा का मुख्य कार्यक्रम सुबह 11 बजे आचार्य कुलचंद्र सूरि जी और पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी के सानिध्य और विधिकारक की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ। लगभग 2 घंटे तक धार्मिक अनुष्ठान, मंत्रोच्चार आदि कार्यक्रम चलते रहे और इसके पश्चात अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। लाभार्थी परिवारों के अलावा समाज के अन्य लोगों ने नीचे बैठकर एलईडी पर पूरे कार्यक्रम का सजीव प्रसारण देखा। जैसे ही अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ, हर्षातिरेक में जैन श्रावक-श्राविकाएं और बच्चे नाच गाकर अपनी खुशी और आनंद को व्यक्त करने लगे और सभी ने एक-दूसरे को अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव की बधाईयां दीं।

विभिन्न संस्थाओं ने आचार्य श्री का किया अभिनंदन

शिवपुरी के समाधि मंदिर पर जो कार्य पिछले 100 वर्ष में पूर्ण नहीं हो पाया, वह कार्य आचार्य कुलचंद्र सूरि जी के 4 माह के चार्तुमास काल में सम्पन्न हो गया। समाधि स्थल जो कि चार माह पूर्व तक वीरान पड़ा हुआ था। अब वह एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो रहा है और उसकी छटा, रौनक और सुंदरता तथा भव्यता देखने लायक है। यहां भगवान मुनि सुब्रत स्वामी जी के भव्य मंदिर के अलावा आर्ट गैलरी, तीर्थ यात्रियों के ठहरने के कमरों आदि का निर्माण तूफानी गति से हुआ है।

इससे अभिभूत होकर जैन समाज के अलावा शहर की प्रमुख संस्था गणेश सांस्कृतिक समारोह समिति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया समिति, कालियामर्दन मंदिर समिति आदि ने आचार्य कुलचंद्र सूरि जी का सम्मान किया। इस अवसर पर समाजसेवी तेजमल सांखला, महेंद्र रावत, अशोक कोचेटा आदि ने अपने हृदय उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य कुलचंद्र सूरि जी को सम्मानित करते हुए खुद गौरवांवित हो रहे हैं।
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