शिवपुरी का गोलाकोट जैन मंदिर-23 तीर्थंकर की प्रतिमा है यहां, भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा नहीं ,पढ़िए क्यों- Shivpuri News

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अतुल जैन @खनियांधाना।
शिवपुरी जिले की सबसे बड़ी तहसील खनियांधाना से महज दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तीर्थोदय अतिशयकारी गोलाकोट जैन मंदिर आपको बता दें कि खनियांधाना के गोलाकोट जैन मंदिर में 23 तीथंकरों की प्रतिमाएं बिराजमान है

मंदिर की प्राचीनता इस बात से भी सिद्ध होती है कि चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की कोई भी प्रतिमा मंदिर में नही है जैन धर्म के अनुसार अभी तक चौबीस तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया है चौबीसवें भगवान महावीर स्वामी 2578 वर्ष पूर्व मोक्ष गए इसलिए गोलाकोट जैन मंदिर 3000 वर्ष पुराना है

ऐसा कहा जाता है कि यहां पर किसी जमाने में 700 कुएं और 84 बावड़िया होती थीं और एक ही गोत्र के 700 परिवार निवास करते थे ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर रोज पूजन और अभिषेक करने से कैंसर जैसे बड़े से बड़े रोग ठीक हो जाते हैं इसके भी जीते जागते प्रमाण मौजूद है अतिशयकारी गोलाकोट जैन मंदिर जंगल के बीचों बीच एवं 150 फ़ीट ऊंचे पहाड़ पर स्थित है

मंदिर तक पहुंचने के लिए खनियांधाना से 8 किलोमीटर दूर गूडर गांव से 2 किलोमीटर अंदर जंगल में जाना पड़ता है पहाड़ पर जाने के लिए एक रास्ता सीढ़ियों से होकर जाता है जिसकी सीढ़िया 350 के करीब है और दूसरा रास्ता पहाड़ को राउंड करके आरसीसी से बनाया गया है इस रास्ते से भी मंदिर तक पहुंच सकते है

इस जैन मंदिर पर दर्शन करने भारत के बहुत से राज्यों से हजारों श्रद्धालु आते हैं और तो और बिदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं इस जैन मंदिर में प्रथम तीथंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है इस प्रतिमा को अतिशयकारी इसलिए भी कहा जाता है यहां पर 2008 में कुछ मूर्ति चोरों ने छेनी हतोड़ियों से प्रतिमाओं को काटा गया जैसे ही मूलनायक भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पर छेनीयां रखीं तो छेनी अपने आप टूट गईं और चोरों के सरदार को आंखों से दिखना बन्द हो गया था

मूलनायक की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे दूसरी घटना 2010 में खनियांधाना से 16 किलोमीटर दूर पचराईजी जैन मंदिर पर हुए पंचकल्याणक एवं प्रतिमाओं के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में गोलाकोट के मूलनायक भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को ले जाया गया और पाँच दिनों चले कार्यक्रम के बाद जैसे ही प्रतिमा को बापस गोलाकोट मंदिर लाया गया तो प्रतिमा मंदिर में नही जा रही थी

सैकड़ों लोगों ने भी प्रतिमा को नही हिला पाया था लोहे के गाटर भी टेड़े पड़ गए थे फिर चिन्मय सागर महाराज ; जंगल बाले बाबा द्ध को इस घटना के बारे में बताया तब जंगल बाले बाबा ने 2 घंटे की साधना के बाद सिर्फ 4 लोगों को बुलाकर प्रतिमा को उठवाया मानो फूल की तरह प्रतिमा उठ गई और सिंहासन पर विराजमान की गई तुरंत ही अपने आप देवों द्वारा प्रतिमा का अभिषेक किया गया जो हजारों लोगों ने अपनी आंखों से देखा था।

यहां मुख्य आकर्षण के केंद्र पांच सितारा अतिथि विश्राम गृह ए हेलीपैड ए तितली आकार का बगीचा ए पांच सितारा भोजनालय' मुनियों की कुटिया, कुटिया के पास बना जलाशय एवं बगीचे के बीचों बीच बना स्विमिंग पूल और लाल पत्थरों से निर्माणाधीन त्रिकाल चौबीसी लाल मंदिर हैं।
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