SHIVPURI NEWS - किसानों को करोड़पति बना रही है मक्का, सोयाबीन से हुआ मोहभंग

Bhopal Samachar

शिवपुरी। सरकार का एक नारा था खेती को लाभ का धंधा बनाएंगे,किसानों की आय को दोगुना होगी,और इसके लिए देश में मोटे अनाज के नाम से पहचाने जाने वाली शुद्ध भारतीय फसल मक्का अब किसानों को करोड़पति बना रही है,इस कारण ही लगातार मक्के का रकबा बढ़ रहा है। शिवपुरी के किसानों को भी मक्के की फसल का मुनाफा पसंद आ रहा है कि इसलिए शिवपुरी के कुल रकवे पर आधे रकवे पर इस साल मक्का की फसल की बुवाई की तैयारी शिवपुरी जिले का किसान कर रहा है।

इस कारण बना रहा है किसान करोड़पति
हम और आप यही जानते हैं कि कर में डाला जाने वाले पेट्रोल के लिए कच्चा तेल (Crude Oil) खाड़ी देशों से आता है। लेकिन आपको यह पता नहीं होगा कि इस पेट्रोल में मिलाने के लिए जो इथेनॉल बनाया जा रहा है, वह भुट्टे के दाने से बन रहा है। वर्तमान में पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 13 प्रतिशत है,मक्का फसल के उत्पादन का आंकड़ा बढ़ेगा तो पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। मक्का वाले इथेनॉल से बना पेट्रोल से प्रदूषण कम होता है इस कारण भारतीय फसल मक्का से तैयार हुआ इथेनॉल की मांग विदेशों से भी आ रही है इस कारण ही मक्के की फसल के दाम बढे है।

सोयाबीन रूलाता था,अब मक्का मुस्कराने का अवसर दे रही है
शिवपुरी जिले की बात करे तो जिले का किसान वैसे तो बाजरा, मक्का, सोयाबीन, उड़द सभी फसल करते हैं, लेकिन पहले सबसे अधिक फसल सोयाबीन की होती थी। सोयाबीन का कुल रकबा एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था। दरअसल सोयाबीन बाजार में 4 से 4500 रुपये क्विंटल के हिसाब से बिकती है। अच्छे दाम के मोह में पहले किसान सोयाबीन की फसल ही अधिक करते थे। हालांकि सोयाबीन की फसल में कीड़े लगने का खतरा अधिक होता है, जिससे देखरेख अधिक करना पड़ती है। फसलों को बचाने में भी काफी खर्चा करना पड़ता है। साथ ही एक बीघा में महज दो से ढाई क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता था।

मक्का की रेट मार्केट में बढ़ने के कारण किसान अब मक्का की फसल कर रहे है। जिसका परिणाम है कि सोयाबीन का रकवा अब महज 80 हजार हेक्टेयर रह गया है। इसकी वजह ये है कि मक्का की मांग में सोयाबीन का रकबा पहले एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था, लेकिन बीते कुछ सालों में रकबा घटकर 80 हजार हेक्टेयर रह गया है। इसकी जगह मक्का का रकबा बढ़कर अब 85 हजार हेक्टेयर हो चुका है।

भारतीय जंगली फसल है मक्का
एक पुरानी कहावत है मोटा खाओ और मोटा पहनो,अब लगता है देश इसी ओर लौट रहा है। मार्केट में माइग्रेन आटे की शुरूआत हो चुकी है,लोग गेहूं के आटे से दूरी बना रहे है माईग्रेट आटा भारतीय पुराना व्यंजन का सत्तू का ही एक रूप है इसमें लगभग 5 तरह का अनाज मिक्स होता है। इसमें मक्का भी एक मुख्य अनाज है।

मक्का की फसल करने से किसान को कई फायदे है,इस बीघा में मक्का 8 से 10 क्विंटल की पैदावार होती है,वही फसल में अति वर्षा और कम वर्षा से अधिक फर्क नही पडता है साथ में मक्के फसल मे कीड़े भी कम लगते है,वही फसल में कोई रोग नहीं होता है इससे किसानों को दवाओं का खर्च कम होता है। इससे लागत पर फर्क पड़ता है।

सोयाबीन की फसल एक बीघा में अधिकतम 3 क्विंटल की पैदावार करता है,साथ में कई बार कई प्रकार की उपयोग भी फसल मे करना पडता है। मक्का का भाव 2 हजार प्रति क्विंटल से लेकर ढाई हजार क्विंटल तक है,पैदावार अधिक होने के कारण सोयाबीन से 60 प्रतिशत अधिक मुनाफा है और लगात की बात करे तो सोयाबीन के अनुपात में 30 प्रतिशत कम लागत है। इस कारण किसानों को करोड़पति बना रही है   

किसानों को मक्का का उत्पादन अधिक मिलता है, साथ ही कीड़ों की चिंता भी नहीं होती है। ये बदलाव केवल शिवपुरी ही नहीं बल्कि अशोक नगर और गुना में भी आया है।
डा. एमके भार्गव, वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि, विकास केंद्र शिवपुरी।