जिले में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा की आधार शिला रख ब्रांड के रूप में स्थापित हुई शिक्षा मूर्ति शमा छिब्बर- Shivpuri News

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शिवपुरी।
आज जिले में प्राइवेट स्कूलों की बाढ़ है शहर में लेकिन सन 1961 में जिले में उच्च गुणवत्ता की आधार शिला रखी प्राइवेट स्कूल के रूप में,लगभग 60 साल पूर्व प्राइवेट स्कूल खोलना अर्थात बैलगाडी की रफ्तार के युग में बुलेट ट्रेन की स्पीड की कल्पना करना जैसा होगा। लेकिन अपनी दूरदर्शी सोच बाल शिक्षा निकेतन स्कूल को स्थापित कर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा में जिले में ब्रांड के रूप में स्थापित हुई शिक्षा मूर्ति श्रीमती शमा छिब्बर।

बाल शिक्षा निकेतन स्कूल में पढने वाले बच्चे से पूछिए कि कहां पढ़ते हो तो वह आप से कहेंगा कि छिब्बर स्कूल,स्कूल के पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति से भी पूछो की आप कहा रहते हो वह यही कहेगा कि छिब्बर स्कूल के पास.....यह सिद्ध करता है कि शिक्षा मूर्ति श्रीमती शमा छिब्बर एक ब्रांड थी,एक स्थापित लैंडमार्क की जगह उनका नाम लिया जाना उनके त्याग,समर्पण,और जीवन भर शिक्षा दान करने की तपस्या का परिणाम हैं।

श्रीमती शमा छिब्बर का का परिवार मूलतः ग्वालियर का रहने वाला था,छिब्बर मैडम के पति आर पी छिब्बर एक बीमा कंपनी मे काम करते थे,पति के ऑफिस चले जाने के बाद उन्होंने अपने घर ही आस पड़ोस के बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया,यह से क्रम शुरू हुआ छिब्बर मेडम का शिक्षक के रूप में जन्म,बच्चो की पढने की कला बच्चों सहित उनके पेरेंट्स को भी पसंद आने लगी,छिब्बर मेडम की शिक्षा के प्रति लगाव उनके डीएनए में था क्योंकि उनके पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर और प्राचार्य थे।

जिले का प्रथम प्राइवेट स्कूल खोलने के विचार जो उनके मन में था वह अब सामने आने आने लगा,स्कूल का नाम तलाश किया जाने लगा,विद्या मंदिर,कान्वेंट स्कूल,लेकिन छिब्बर मेडम का सोचना था कि स्कूल का नाम किसी धर्म विशेष की ओर इशारा न करे ऐसे में जन्म हुआ बाल शिक्षा निकेतन नाम के स्कूल का। शुरुआती दिनों मे यह स्कूल शिवपुरी क्लब में जब बच्चे उसमे समाते नहीं थे इसके बाद इस स्कूल का शिफ्ट किया गया डाक बंगला रोड पर जिसे अब छिब्बर स्कूल रोड आम बोलचाल की भाषा में कहा जाता हैं।

श्रीमती शमा छिब्बर ऐसे ही जगतगुरु थीः डाॅ डी के बंसल

डाॅ डीके बंसल ने भावांजलि पुस्तक में श्रीमती शमा छिब्बर के लिए लिखा था कि माॅ अपने अनुभव से अपने बच्चे को सीखाती हैं, और मां की बच्ची की प्रथम गुरु होती है,और जब वही माॅ अपने बच्चे के अलावा अन्य बच्चों को भी समान रूप से सिखाती हैं,तो वह जगत गुरू बन जाती है। श्रीमती शमा छिब्बर ऐसी ही जगतगुरु थी। उन्होंने जिस विद्यालय की स्थापना की वह समाज सेवा और ज्ञान दान का प्रमुख केन्द्र हैं। शमा छिब्बर मेडम ने अपने नाम के अनुरूप ही खुद को जलाकर समाज को रोशन किया हैं।

'जवानी है तो रगों में उबलता खून रखो
कुछ पाना है जिन्दगी में तो सर पर जुनून रखो'

चंद्रमौलेश्वर अवस्थी शिक्षक ने श्रीमती शमा छिब्बर के लिए भावांजलि पुस्तक में अपने लेख में लिखा कि वह लोगों को कैसे मोटिवेट करती थी,उनके विचार मानव जीवन के लिए अमृत के समान थे। सकारात्मक रहिए और सकारात्मक रहने के लिए अध्यात्म से जुडाव आवश्यक हैं,जब हम ईश्वर की ओर चलते है तो हमारा मस्तिष्क एक अलग ही अनुभूति प्राप्त करता है और हमारा मन असंभव काम करने में भी लगने लगता है और हम उस को संभव बना देते हैं।

जिस व्यक्ति के अंदर सकारात्मक विचार होते है वह अपने विचारो से अपनी और दूसरों की जिंदगी बदलने की ताकत रखता हैं,आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपके सिर पर जुनून सवार होना आवश्यक है। किसी भी लक्ष्य तक पहुँचने के लिए किसी व्यक्ति के सिर पर जुनून सवार हो जाता हैं उसे बस अपना लक्ष्य दिखाई पडता हैं।

शिवपुरी जिले में इंदिरा का प्रतिरूप

जय प्रकाश सक्सेना ने भावांजलि में लिखा हैं कि शिक्षा,समाज सेवा के साथ श्रीमती शमा छिब्बर ने राजनीति में भी काम किया हैं,वह नियमों के अनुशरण की मिसाल थी। शहर में उन्हें इंदिरा गांधी का प्रतिरूप कहा जाता था। कठिन परिस्थिती पर भी उन्होने विजय हासिल की थी। शिक्षा के गुण के आलावा घर का सुंदर रख रखाव,लजीज पककला,फैशन डिजाइनिंग,इंटीरियर डेकोरेशन और बहुत सी कलााओ में वह पारंगत थी।

84 वर्ष की आयु में देहावसान..............................

शिक्षामुर्ति शमा छिब्बर की बहू बिंदू छिब्बर जो वर्तमान में बाल शिक्षा निकेतन स्कूल की डारेक्टर है उनका कहना हैं कि जिले भर में समाज सेवा के निस्वार्थ स्तंभ की तहर साक्षरता अभियान,लाईफ लाइन एक्सप्रेस के माध्यम से पीडितो सेवा,रेड क्राॅस,स्काउट एंव गाइड आदि में निस्वार्थ भाव से सेवा की। वर्ष 2016 में 84 वर्ष की आयु में देहावसान के पूर्व तक बच्चो के उपर ममता रूपी वर्षा की।

मुझे तो 30 वर्ष के विदयालीन अनुभव यह बताया करती हैं कि शिक्षा को सिर्फ वही दे सकते हैं जिनके पास देने के लिए हो,ज्ञान,संसकार प्रेम बाकी सिर्फ व्यापार कर सकते हैं।
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