निर्वाचन प्रमाणपत्र के लिए ₹100000 रिश्वत ले रहे नायब तहसीलदार गिरफ्तार

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर लोकायुक्त पुलिस की छापामार कार्रवाई की हैं। अपने अभी तक लोकायुक्त पुलिस को भ्रष्ट अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ धरे होने की खबर पडी होगी,लेकिन यह रिश्वत लोकतंत्र को बेचने जैसी हैं,क्यों की यह रिश्वत जनता के मत से चुनकर आए सरपंच पद के प्रत्याशी को विजयी प्रमाण पत्र को देने के एवज में तहसीलदार के द्वारा मांगी गई थी।

खनियाधाना तहसीलदार सुधाकर तिवारी को लोकायुक्त पुलिस ने एक लाख रूपए की रिश्वत लेते हुए उनके सरकारी निवास से गिरफ्तार किया है। तहसीलदार ने ग्राम पंचायत भरसूला के सरपंच पद पर विजयी प्रत्याशी उमाशंकर लोधी से जीत का प्रमाण पत्र देने के एवज में तीन लाख रूपए की मांग की थी और बाद में यह सौदा डेढ़ लाख रूपए में तय हो गया था।

जिसकी पहली किस्त 50 हजार रूपए सरपंच ने 4 जुलाई को दी और 5 जुलाई को लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने आज सुबह तहसीलदार को उनके सरकारी निवास पर सरपंच से एक लाख रूपए लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए विजयी उम्मीदवार से पहले मांगे थे 15 लाख

भरसूला पंचायत से सरपंच पद पर विजयी उम्मीदवार उमाशंकर लोधी ने जानकारी देते हुए बताया कि सरपंची का चुनाव वह 5 मतों से जीत लिया था। उस समय प्रशासन ने उन्हें जीत का प्रमाण पत्र नहीं दिया। जब वह तहसीलदार से अपना प्रमाण पत्र लेने पहुंचे तो तहसीलदार सुधाकर तिवारी ने उससे कहा कि तुम महज 5 मतों से जीते हो और प्रशासन के हाथ में है कि वह किसी को भी विजयी घोषित कर दें। हारा हुआ प्रत्याशी उन्हें 15 लाख रूपए देने को तैयार है। अगर तुम इतना रूपए दे सकते हो तो जीत का प्रमाण पत्र तुम्हें मिल जाएगा। जिस पर उसने तहसीलदार से कहा कि उसके पास जो भी पूंजी थी, उसने चुनाव में खर्च कर दी। वह इतना पैसा कहां से देगा।

डेढ़ लाख रूपए में प्रमाण पत्र देने का सौदा हुआ तय

जब विजयी उम्मीदवार ने 15 लाख रूपए देने से इंकार किया तो तहसीलदार ने उसे 3 लाख रूपए का ऑफर दिया। लेकिन बात वहां भी नहीं बनी और अंत में डेढ़ लाख रूपए में पूरा सौदा तय हो गया। जिसकी पहली किस्त 50 हजार रूपए उसने 4 जुलाई को तहसीलदार को दे दी और 5 जुलाई को वह लोकायुक्त में शिकायत करने पहुंचा।

जहां उसकी शिकायत पर आज कार्रवाई करना तय हुआ और उसे रिश्वत के नोट रंगकर तहसीलदार के शासकीय निवास पर भेजा। जहां तहसीलदार को उसने रिश्वत की रकम दी और बाहर खड़ी टीम को इशारा किया, वैसे ही टीम तहसीलदार के निवास में प्रवेश कर गई और मौके से ही तहसीलदार को एक लाख रूपए के साथ गिरफ्तार कर लिया। बाद में उनके हाथ से नोट लेकर उनके हाथ केमिकल में धुलवाए तो केमिकल का रंग गुलाबी हो गया।
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