चढोतरी के पैसों की लूट के लिए मंदिर के महंत के सिर पर पत्थर पटक कर मारने का प्रयास, महंत गंभीर - karera News

Bhopal Samachar
करैरा। जिले की करैरा विधानसभा के अंतर्गत आने वाले अमोला थाना क्षेत्र की सीमा में आने वाले गांव धबारा में स्थित हनुमान मंदिर के महंत के सिर पर पत्थर पटककर मारने का प्रयास किया। यह घटना रविवार सोमवार की रात की हैं। हमला मंदिर के चढोत्तरी के पैसो के लिए किया गया था हमलावर 45 हजार रुपए लूट ले गया। महंत को गंभीर हालत में इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया है। पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, ग्राम धबारा में रविवार को गांव के होतम सिंह गुर्जर के बेटे की शादी थी। उक्त शादी समारोह में ग्राम रमगढ़ा निवासी महेंद्र सिंह गुर्जर शामिल होने के लिए धबारा आया हुआ था। रात करीब 11 बजे ग्रामीण शादी में व्यस्त थे तब ही महेंद्र गुर्जर मंदिर पर पहुंचा और मंदिर के महंत अशोक महाराज के सिर पर पत्थर पटक कर उनकी हत्या करने का प्रयास किया।

पत्थर के प्रहार से जब महंत अशोक महाराज बेहोश हो गया तो महेंद्र गुर्जर ने उन्हें मरा हुआ जानकर मंदिर में रखे 45 हजार रुपये लूट लिए और वहां से फरार हो गया। कुछ देर बाद होश आने पर अशोक महाराज घायल अवस्था में गांव में पहुंचे। वहां ग्रामीणों को उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया।

सिर्फ मारपीट की धाराओं में प्रकरण कायम करने पर थाना प्रभारी अमित चतुर्वेदी का कहना है कि महंत 45 हजार रुपये लुटने की बात कह रहे हैं, लेकिन फिलहाल हम लूट के मामले की जांच करवा रहे हैं। महंत को गंभीर हालत में इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया है। मंदिर के पुजारी पर हमले और लूट की इस घटना के बाद गांव में आक्रोश बना हुआ है कि अब तो मंदिर के पुजारी तक सुरक्षित नहीं हैं, वह कैसे रहेंगे?

आरोपित दिन में भी आया था मंदिर

बताया जा रहा है कि आरोपित महेंद्र गुर्जर शादी समारोह में शामिल होने के लिए दिन में ही गांव में आ गया था। ऐसे में वह दिन में भी मंदिर पर आया था, बाबा के साथ बैठा और बातचीत की। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें आशंका है कि वह दिन में ही मंदिर में बाबा के पास रखे रुपयों को देख कर चला गया था और इसी के बाद उसके मन में बेईमानी आ गई व उसने सुनियोजित रणनीति के तहत इस घटना को अंजाम दिया। उसने बाबा पर इसलिए हमला किया कि उनके मरने के बाद किसी को यह भी पता नहीं चले कि आखिर इस वारदात को अंजाम किसने दिया है?

ग्रामीणों की चढ़ोत्तरी के थे रुपये

ग्रामीणों के अनुसार बाबा का कोई परिवार आदि नहीं है वह पिछले आठ साल से मंदिर पर ही रहते हैं। उनका जीवनयापन मंदिर पर आने वाली चढ़ोत्तरी और गांव के भक्तों द्वारा दिए जाने वाले भोजन आदि से ही होता है। बाबा ने यह पैसे मंदिर की चढ़ोत्तरी में से ही एकत्रित किए थे, ताकि बड़ी रकम होने पर मंदिर पर कुछ काम करवा सकें।
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