4 लाख रुपये के चेक डिसऑनर का आरोपी शिरीष खंडेलवाल न्यायालय ने किया दोषमुक्त - Shivpuri News

NEWS ROOM
शिवपुरी।
न्यायालय जेएमएफसी उमेश भगवती द्वारा 4,00,000/- रुपये के चेक डिसऑनर के एक प्रकरण में आरोपी को दोषमुक्त किया है। आरोपी की ओर से पैरवी संजीव बिलगैया, अधिवक्ता द्वारा की गई।

अभियुक्त के अधिवक्ता संजीव विलगैयां एडवोकेट ने जानकारी देते हुए बताया कि परिवादी मोहन कुमार खंडेलवाल प्रो. खण्डेलवाल गोल्ड एण्ड सिल्वर निवासी-शिवपुरी द्वारा प्रकरण के आरोपी शिरीष खण्डेलवाल निवासी-शिवपुरी के विरूद्ध 4,00,000/- रु. के चेक डिसऑनर होने का परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत किया था। न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत के प्रकाश में प्रकरण प्रमाणित ना हो पाने के आधार पर आरोपी को दोष मुक्त किया है।

निर्णय में न्यायालय द्वारा यह अंकित किया है कि आरोपी के अधिवक्ता संजीव बिलगैया ने अपने बचाव में यह तथ्य लिया था कि फर्म के प्रोपराइटर के संबंध में प्रकरण के परिवादी अपने साक्ष्य को प्रमाणित नही कर पाये है तथा उनकी ओर से माननीय उच्चतम न्यायालय के जो न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किए गए हैं।

उसके अनुसार यदि किसी कंपनी या उसके कारोबार के संचालन के लिए किसी भारसाधक व्यक्ति या उस कंपनी के प्रति उत्तरदायित्व व्यक्ति के द्वारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत कोई अपराध किया जाता है, तब उक्त स्थिति में कंपनी को अभियुक्त के रूप में परिवाद पत्र में संयोजित किया जाना आवश्यक है।

प्रकरण के अवलोकन से यह युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित नही होता है कि अभियुक्त ने प्रश्नगत चेक किसी वैध ऋण अथवा दायित्व के उनमोचन हेतु जारी किया था। जब अभियुक्त द्वारा प्रश्नगत किसी वैध ऋण अथवा दायित्व के उनमोचन हेतु जारी किया जाना ही प्रमाणित नहीं हुआ है, तो अभियुक्त को दोष नही ठहराया जा सकता है और वह दोष मुक्ति का पात्र है। इस कारण आरोपी शिरीष खंडेलवाल को न्यायालय द्वारा चेक डिसऑनर के प्रकरण में दोषमुक्त किया जाता है।