इतिहास लिख गया सन 2021 का यह घोटाला: चपरासी इतना मास्टर माइंड कि 103 करोड लूट ले गया- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में हुए महाघोटाले से जुडी हुई हैं, शिवपुरी जिले मे इस वर्ष 2021 मे हुआ यह घोटाला जिले मे अभी तक सामने आए घोटालों मे सबसे बडा घोटाला है। बैंक में हुआ यह महाघोटाला 103 करोड का है।

इस घोटाले मे इतनी बडी धन राशि की बात सामने आने के बाद यह खबर केवल जिले ही नही अपितु पूरे प्रदेश मे चर्चा का विषय बन गया था। यही घोटाला वर्ष 2021 के लिए याद किया जाएगा। कि कैसे एक चपरासी से कैशियर बने राकेश पाराशन ने शासन को करोडो का चूना लगाया। इसके साथ ही इसने अपने क्षैत्र में बखूबी यह बात फैला दी कि उसे मंदिर से गढा धन मिला है।  

इस घोटाले के उजागर होते ही पूरे प्रदेश मे तहलका मच गया था जिसके बाद सहकारिता आयुक्त भोपाल ने एक जांच टीम इस घोटाले की जांच के लिए बनाई। इस टीम ने शिवपुरी आकर अपनी जांच की। 10 अगस्त से इस टीम के सदस्यो ने जांच शुरू कर दी थी। प्रारंभिग जांच में इस महाघोटले के 5.31 करोड रूपए संज्ञान में आ चुके थे कि यह कहां गए और किसने खाए,लेकिन 97 करेाड 69 लाख रूपए का अभी पता नही है वह कहां है।

इस घोटाले की प्रांरभिक जांच में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक शिवपुरी की कोलारस शाखा में गबन की जांच में कैशियर और दो शाखा प्रबंधकों के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। प्रारंभिक जांच में 12 महीने में ही 5.31 करोड़ का गबन सामने आया था, जबकि भोपाल का दल शाखा में कई साल में हुए गबन की जांच कर रहा है।

सीसीबी शाखा कोलारस के वर्तमान शाखा प्रबंधक जनार्दनसिंह तोमर ने कोलारस पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने कोलारस शाखा के तत्कालीन कैशियर राकेश कुमार पाराशर और तत्कालीन शाखा प्रबंधक ज्ञानेंद्रदत्त शुक्ला व रमेश कुमार राजपूत के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

3 अगस्त 2020 से 15 जुलाई 2021 तक 5 करोड़ 31 लाख 51 हजार 444 रु. बैंक से निकालकर खुद ही उपयोग कर लिया। दरअसल यह रकम सीसीबी शाखा कोलारस से निकालकर एसबीआई खाते में जमा करने के नाम पर निकाली गई, लेकिन एसबीआई खाते में यह राशि जमा नहीं कराई। यह राशि कई बार में निकाली गई है।

कैशियर के साथ दोनों शाखा प्रबंधक जिम्मेदार, इसलिए केस दर्ज
5.31 करोड़ के गबन में कैशियर के संग दोनों शाखा प्रबंधक जिम्मेदार हैं इसलिए तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। दरअसल सॉफ्टवेयर में एंट्री के वक्त दो पासवर्ड रहते हैं, जिसमें पहला कैशियर और दूसरा ब्रांच मैनेजर का रहता है।

इसी तरह लॉकर से पैसे निकालने के लिए भी दो चाबी रहती हैं, जिसमें पहली कैशियर और दूसरी मैनेजर के पास रहती है। एक-साथ चाबी लगाने पर ही कैश निकाला जाता है। बिना मैनेजर की सहमति के इतनी मोटी रकम का गबन मुमकिन नहीं है। एफआईआर करने के बाद कोलारस पुलिस इस मामले मेें आरोपी बनाए गए केशियर राकेश पाराशर के घर पहुुंची लेकिन वहां पुलिस को ताला लटका मिला।

कोलारस शाखा में एक साल की प्रारंभिक जांच में ही 5.31 करोड़ का घपला सामने आया है, जबकि इससे पहले आठ से दस साल के गबन की भी जांच चल रही है इसलिए घपला 30 से 40 करोड़ के आसपास होने का कयास लगाया जा रहा है,वही पूरे जिले में यह महाघोटाला 103 करोड का हैं।
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