अशोक कोचेटा-शिवपुरी। कांग्रेस में अपनी बेरूखी से तंग आकर ग्वालियर चंबल संभाग में खासा जनाधार रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में वापिसी उनके समर्थकों के लिए खासी उत्साहवर्धक रही और उनके समर्थकों को कांग्रेस शासनकाल में जितना महत्व मिलता था, उससे अधिक महत्व मिलना शुरू हो गया है।
भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया न केवल राज्यसभा में आ गए हैं बल्कि उन्हें मोदी सरकार में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। जहां तक उनके समर्थक मंत्रियों का सवाल है तो केबिनेट में उन्हें महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं।
वहीं ग्वालियर चंबल संभाग में सिर्फ केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना जिले को छोड़कर सभी जिलों में सिंधिया समर्थक प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। शिवपुरी जिले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने जिन 13 भाजपा नेताओं को प्रदेश कार्यसमिति सदस्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है, उनमें 7 सिंधिया समर्थक हैं।
इनमें हरवीर सिंह रघुवंशी, महेंद्र सिंह यादव और बैजनाथ सिंह यादव तीन-तीन कोलारस विधानसभा क्षेत्र से हैं। इनके अलावा शिवपुरी से विजय शर्मा, करैरा से संदीप माहेश्वरी, पोहरी से केशव सिंह तोमर, पिछोर से महाराज सिंह लोधी भी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाए गए हैं।
जिन 6 पूर्व भाजपाईयों को प्रदेश कार्यसमिति में लिया गया है, उनमें एक प्रदेश सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और दूसरे कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी हैं। इनके अतिरिक्त जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष राघवेंद्र गौतम, सुरेंद्र शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी और पूर्व विधायक प्रहलाद भारती ही कार्यसमिति में अपनी जगह बना पाए हैं।
पूर्व विधायक माखनलाल राठौर, देवेंद्र जैन, नरेंद्र बिरथरे और अरविंद बैडर सहित कई भाजपा नेता कार्यसमिति सदस्यों की सूची से बाहर ही रहे। हाल ही में भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर सिंधिया समर्थक आकाश शर्मा की ताजपोशी से मूल भाजपाईयों का गुस्सा फट पड़ा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आई हुई है और वे सिंधिया समर्थकों पर संगठन की मर्यादा को तार-तार करने का आरोप मढ़ रहे हैं। यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि जिनके कारण सिंधिया की लोकसभा चुनाव में हार हुई। वहीं आज भाजपा के राजनैतिक पटल पर हावी हैं। कोलारस के भाजपा नेता जगदीश जादौन सबसे अधिक मुखर हैं और वह बेपरवाह होकर सिंधिया समर्थकों पर हमलावर बने हुए हैं।
शिवपुरी जिले की राजनीति में यह चर्चा जोरशोर से होने लगी है कि क्या भाजपा राजनीति में बदलाव की बयार बह रही है। यह चर्चा इसलिए है क्योंकि इलाके की भाजपा राजनीति में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
जिस तरह 1980 में उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया कांग्रेस में आए थे, तब कांग्रेस पूरी तरह से सिंधिया रंग में रंग गई थी और पुराने कांग्रेसी पृष्ठभूमि में कहीं खो गए थे। इसका कारण यह है कि ग्वालियर चंबल संभाग में अभी तक जो रिकॉर्ड रहा है, उसके आधार पर निश्चिंत रूप से यह कहा जा सकता है कि यहां न कांग्रेस और न ही भाजपा का प्रभाव है बल्कि ग्वालियर महल जिस रास्ते पर चलता है उस रास्ते पर यहां की राजनीति कदम बढ़ाती है।
स्व. माधवराव सिंधिया के सन 1980 में कांग्रेस में आने के बाद इस दल को नया जीवनदान मिला था और 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने शिवपुरी जिले की सभी 5 सीटों पर विजय प्राप्त की थी और खास बात यह थी कि इनमें से करैरा के दाऊ हनुमंत सिंह को छोड़कर सभी 4 विधायक कट्टर सिंधिया समर्थक थे। जिनका कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं था सिर्फ सिंधिया के कांग्रेस में आने के बाद वह भी कांग्रेस में आ गए थे।
शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से जब स्व. माधवराव सिंधिया ने गणेश गौतम को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया तो इसे आश्चर्य के रूप में देखा गया। पहले तो लोगों ने यह माना कि अखबारों में गौतम शर्मा के स्थान पर गलत रूप से गणेश गौतम छप गया है। फिर जब पुष्टि हो गई कि गणेश गौतम को ही टिकट मिला है तो उनकी हार की कल्पना की जाने लगी। क्योंकि उस समय गणेश गौतम की छवि कुछ ठीक नहीं थी। सिंधिया ने इसी तरह कोलारस से पूरन सिंह बेडिया, पिछोर से भैया साहब लोधी को उम्मीदवार बनाया।
ये दोनों भी उनके कट्टर समर्थक थे और नौकरी छोड़कर सिंधिया के अनुयायी बनकर राजनीति करने मैदान मेें आए थे। सिंधिया ने पोहरी से हरिवल्लभ और करैरा से हनुमंत सिंह दाऊ को उम्मीदवार बनाया। इस सफलता के बाद जिले की पूरी कांग्रेस सिंधिया के रंग ेमें रंग गई थी। जिसकी कि पहले कल्पना भी नहीं की जाती थी। सिंधिया समर्थकों का सत्ता और संगठन पर कब्जा हो गया। ठीक ऐसे ही हालात अब भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद नजर आने लगे हैं।
श्री सिंधिया भाजपा में काफी मजबूती से अपने कदम जमा रहे हैं। पार्टी के हर वरिष्ठ और कनिष्ठ नेता के साथ वह समन्वय बनाने में जुटे हुए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का रूख भी वह अपने पक्ष में करने में सफल होते हुए प्रतीत हो रहे हैं। उनकी संघ के कई वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हो चुकी है। भाजपा में जो नेता महल विरोधी माने जाते हैं उनसे भी संबंध बनाने में सिंधिया लगातार प्रयासरत हैं।
सिंधिया के भाजपा में आने के बाद पार्टी ने उन्हें तुरंत राज्यसभा सदस्य तो बना दिया। लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण उन्हें पार्टी में अपने वर्चस्व को मजबूती देने में कुछ विलंब अवश्य हुआ। लेकिन जब कोरोना से हालात सामान्य हुए तो भाजपा में सिंधिया का रंग जमता हुआ नजर आने लगा।
इसके साथ ही उनके समर्थकों को भी पद मिलना शुरू हो गए हैं और इस हद तक उनकी लॉटरी खुल रही है कि मूल भाजपाई अपनी पहचान खोते हुए नजर आने लगे हैं। एक वरिष्ठ भाजपाई ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी तक भाजपा में स्टेप वाई स्टेप प्रोग्रेस होती थी।
प्रदेश स्तर पर जाने के लिए बहुत तपस्या करनी पड़ती थी। जिला स्तर पर भी संगठन में पद पाने के लिए पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान बनाना होता था। लेकिन अब कुछ ऐसा बदलाव हो रहा है, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पार्टी एक नई दिशा में जा रही है और इसका अंजाम क्या होगा शायद भविष्य ही इस सवाल का जबाव देगा।
भाजपा नेता जगदीश जादौन की पोस्ट चर्चा का विषय बनी
फेसबुक पर कोलारस के भाजपा नेता जगदीश जादौन की भाजपा में हो रहे बदलाव को चिन्हित करती एक पोस्ट चर्चा का विषय बन रही है। उन्होंने एक अन्य पोस्ट का स्क्रीन शॉर्ट जारी किया है। जिसमेें भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष बनने पर आकाश शर्मा अपने समर्थकों और वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ स्व. माधवराव सिंधिया के प्रतिमा पर जाकर उनका आर्शीवाद लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।
लेकिन इस पोस्ट में यह लिखा गया है कि स्व. माधवराव सिंधिया का आर्शीवाद प्राप्त कर जिला कांग्रेस अध्यक्ष जी का मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस पोस्ट के माध्यम से श्री जगदीश जादौन ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा है कि इस तरह की कार्यप्रणाली से आज मूल भाजपाई अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं।
उनके अनुसार श्रीमंत सिंधिया जी के नाम पर एक गैंग अपनी राजनैतिक दुकान चला रही है। इस गैंग को इस बात से बिल्कुल मतलब नहीं है कि संगठन की क्या मर्यादा है और हमारी कार्यप्रणाली से जनता में क्या संदेश जा रहे हैं। साथ ही श्रीमंत की छवि पर क्या असर पड़ेगा।
इनका कहना है-
मुझे भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर आकाश शर्मा की नियुक्ति से कोई शिकायत नहीं है। आकाश मेरा छोटा भाई है और भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर उसकी नियुक्ति पर उसे बधाई। लेकिन जिस तरह से भाजपा के अनुशासन को तार-तार किया जा रहा है, उससे में व्यथित हूं।
भाजपा के कार्यक्रमों में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान अभी तक रहता था। लेकिन पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि स्टेज पर धक्कामुक्की की जा रही है और वरिष्ठों का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा। भाजपा में यदि वे आए हैं तो उन्हें भाजपा की रीति और नीति का भी पालन करना होगा। कांग्रेस संस्कृति भाजपा में कतई नहीं है।
जगदीश जादौन, जिला संयोजक भाजपा फीडबैक प्रतिक्रिया विभाग