शिवपुरी। लगातार लापरवाही के कारण सुर्खियो में रहने वाले जिला अस्पताल से एक भंयकर लापरवाही भरी खबर आ रही है कि जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुपोषित 12 बच्चों के साथ टीबी बीमारी से ग्रसित तीन बच्चों को भर्ती कर दिया गया है। इन बच्चों के साथ रह रहीं दो माताएं भी टीबी की चपेट में हैं। अस्पताल प्रबंधन की इस लापरवाही से कुपोषित 12 बच्चों को भी टीबी बीमारी का खतरा है। टीबी बीमारी होते हुए भी पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती रखने पर सवाल उठ रहे हैं।
जिला अस्पताल की एनआरसी में बुधवार की स्थिति में 15 बच्चे भर्ती हैं। इन बच्चों में तीन बच्चों को टीबी की बीमारी है। यही नहीं, इनमें से दो बच्चों की मां भी टीबी से ग्रसित हैं। इसके बावजूद भी एनआरसी में सामान्य अति कुपोषित बच्चों में भी टीबी बीमारी फैलने की आशंका है। कायदे से अस्पताल प्रबंधन को टीबी से ग्रसित बच्चों को अलग वार्ड में भर्ती कर इलाज कराने की व्यवस्था करनी थी। इस अनदेखी के दुष्परिणाम दूसरे बच्चों को भुगतने पड़ सकते हैं।
अति कुपोषित बच्ची के बगल के बेड पर टीबी ग्रसित बच्चा
अति कुपोषित डेढ़ वर्षीय शिवानी पुत्री वीरेंद्र आदिवासी निवासी मामौनी सतनवाड़ा एनआरसी में भर्ती है। इसी के बगल बेड पर टीबी ग्रसित बच्चा भर्ती है। इस बच्चे की मां भी टीबी की मरीज है। ऐसे हालात में अति कुपोषित बच्ची को भी खतरा है।
टीबी मरीजों के लिए कायदे से अलग वार्ड होना चाहिए
टीबी के मरीज बच्चों को कुपोषित बच्चों से दूर भर्ती रखना चाहिए। टीबी मरीजों के लिए कायदे से अलग वार्ड होना चाहिए। यह व्यवस्था सिविल सर्जन को करना चाहिए। हमारे यहां टीबी स्पेशलिस्ट हैं, फिर भी अलग वार्ड नहीं है। -डॉ. आशीष व्यास, जिला क्षय अधिकारी, क्षय केंद्र जिला शिवपुरी
तीन बच्चे और उनकी माताओं की रिपोर्ट दिखवा लेते हैं
तीन बच्चे और उनकी माताओं की रिपोर्ट दिखवा लेते हैं। यदि टीबी मरीज हैं तो उनको दूसरे बच्चों से अलग करा देंगे। -डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल शिवपुरी
टीबी बीमारी वाले बच्चों को कायदे से अलग वार्ड जरूरी
जिला अस्पताल में फिलहाल कोई टीबी वार्ड नहीं है। कायदे से अलग से टीबी वार्ड में बच्चों व उनकी माताओं को भर्ती रखना चाहिए लेकिन अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया है।