शिवपुरी। शिवपुरी जिले में न तो कोई बडी फैैक्ट्री है और न ही बडे कोई उघोग जिसके चलते लोगों को रोजगार के लिए दूसरे शहरों में पलायन करना पडता है। जिले में कई रोजगार मेले आयोजित हुए लेकिन उनमें भी जिले के कुछ ही युवाओं को रोजगार मिला।
बाकी के युवा अब रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हैं। तो दसूरी ओर लॉकडाउन के बाद जो हालात बने हैं उससे बेरोजगारी और बढ गई हैं। ऐसे में अब काम की तलाश में युवाओं को दूसरे राज्यों में भी जाना पड रहा है।
कोरोना के लॉकडाउन से छिना कईयों का रोजगार
दो साल से कोरोना देश में कोहराम मचा रहा है। ऐसे में कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया जाता है जिससे काम पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है और लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पडता है।
मेले लगे 100 से अधिक, रोजगार 500 को भी नहीं
जिले में यदि रोजगार मेलों की बात करें तो कोरोना से पहले जिले में कई बार रोजगार मेले आयोजित हुूए और कई कंपनियां भी आई लेकिन इन रोजगार मेलों में युवक से लेकर युवतियां भी पहुंची लेकिन उनके लिए जॉब तक रोजगार मेले में नहीं मिली।
ऐसे में कई युवाओं को निराशा हाथ लगी तो कुछ तो गार्ड और अन्य नौकरी मिल गई। यदि रोजगार मेलों की बात करें तो जिले में 100 से अधिक बार मेले लग गए लेकिन यह मेले जिले के 500 युवाओं को भी रोजगार नहीं दिला सके हैं।
पलायन को मजबूर, रोजगार के लिए
कोरोना काल के दो साल के दौरान लोगों की हालत पतली हो गई है ऐसे में लोगों के पास जो पैसा था वह भी वह पेट भरने में खा गए लेकिन अब रोजगार के लिए अपने शहर से पलायन कर दूसरे शहरों और दूसरे राज्यों में लोग जाने को मजबूर हो रहे हैं।
यह बोले युवा
रोजगार मेले में गया लेकिन रोजगार न मिल सका। कोरोना के दौरान पिता गुजर गए ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी मेरे उपर आ गई है। इसलिए गुजरात जा रहा हूं काम के लिए।
हरकिशन प्रजापति
पढ लिखकर भी रोजगार नहीं मिला तो कपडेे की दुकान खोली लेकिन लॉकडाउन में वह भी घाटा दे गई। ऐसे में काम की तलाश में दिल्ली जा रहा हूं।
प्रवेश सिंह
रोजगार कार्यालय में पंजीयन से लेकर रोजगार मेलों में कई बार गए लेकिन कंप्यूटर से संबंधित जॉब नहीं मिली। लॉकडाउन से बेरोजगारी और बढ गई तो एक दुकान पर कंप्यूटर चलाकर किसी तरह से अपने परिवार का गुजारा कर रहा हूं।
सुनील कुमार शर्मा