मौत के बाद कोरोना योद्धाओं का अपमान: मौत का कारण कोरोना का संक्रमण लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना दोषमुक्त - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कोरोना काल में कई परिवारो ने अपनो को खो दिया,उनकी मौत का कारण कोरोना है,लेकिन स्वास्थय विभाग मृत्यु प्रमाण पत्रो में कोरोना को दोषमुक्त कर रहा हैं। ऐसे में इन परिवारो को शासकीय लाभ मिलने से वंचित हो रहे हैं। ऐसे कई मामले लगातार प्रकाशित हो रहे हैं,पर इनकी सुनवाई नही हो रही हैं,लगतार विभाग इन कोरोना योद्धाओ का अपमान कर रहा हैं,मौत हुई हैं जानलेवा कोेरोना से लेकिन मृत्यु का कारण समान्य बता रहा है।

शिक्षक की कोविड वार्ड में मौत,मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना दोषमुक्त

कोलारस के बालक मिडिल स्कूल में पदस्थ शिक्षक सुरेंद्र कुशवाह उम्र 42 साल निवासी गायत्री कॉलोनी की 20 अप्रैल को मौत हो गई। उनकी कोविड जांच नहीं हो सकी थी जबकि सीटी स्कैन में 85% संक्रमण आया था। सुरेंद्र शर्मा को इलाज के लिए 18 अप्रैल को भर्ती कराया गया था। इलाज के लिए कोविड वार्ड में भर्ती किया गया था। कोविड वार्ड में ही उनकी मौत हुई, इसके बाद भी प्रमाण पत्र सामान्य मौत का बनाकर दे दिया गया है।

शिक्षक की मौत: मौत की कारण वाली जगह पर रिक्त स्थान

शिक्षक वीरेंद्र कुमार जैन उम्र 55 साल निवासी कृष्णगंज पोहरी की 26-27 अप्रैल की रात हालत बिगड़ी तो उन्हें पोहरी के हॉस्पिटल से जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। शिवपुरी पहुंचे तब तक मौत हो चुकी थी। चचेरे भाई मनोज जैन का कहना है कि दो दिन बुखार रहने पर वीरेंद्र 23 अप्रैल पोहरी के अस्पताल गए लेकिन सैंपल टेस्ट नहीं किया।

फिर 25 अप्रैल को दूसरी बार गए तो दवाएं देकर घर भेज दिया। अगले दिन 26-27 अप्रैल की रात हालत बिगड़ी तो तीसरी बार फिर पोहरी अस्पताल ले गए। चेक करने पर पता चला कि ऑक्सीजन लेवल काफी कम है। इसके बाद रैफर कर दिया गया। अब जो मृत्यु प्रमाण पत्र दिया है, उसमें मौत के कारण वाली जगह खाली छोड़ दी है।

इन योद्धा का तो मृत्यु प्रमाण तक नही दे रहे हैं

शिक्षक धर्मेंद्र खरे उम्र 40 साल पुत्र डीपी खरे निवासी खनियांधाना 1 मई को कोरोना पॉजिटिव निकले थे। 2 मई को जिला अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया। गंभीर हालत के चलते 5 मई को जीएमसी हॉस्पिटल शिवपुरी रैफर कर दिया लेकिन भर्ती करने के इंतजार में धर्मेंद्र की एंबुलेंस में ही माैत हो गई। उनके परिजन को 27 दिन बाद भी मृत्यु प्रमाण नहीं मिला है।

भाई जितेंद्र खरे ने बताया कि रैफर हो जाने की कहकर जिला अस्पताल वाले मृत्यु प्रमाण पत्र देने से मना कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में कहा जा रहा है कि मरीज हमारे रिकाॅर्ड में ही नहीं आया। हालात यह हैं कि 1 जून तक की स्थिति में परिजन को मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं मिल पाया है।

जांच के अभाव में सचिव की कोविड मौत नहीं मानी जबकि पत्नी, भाई और मां भी कोरोना संक्रमित हुईं

पंचायत सचिव सुदामा प्रसाद शर्मा उम्र 50 साल निवासी सिरसौना की 30 अप्रैल को जिला अस्पताल के कोविड आईसीयू में मौत हो गई। 1 मई को कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंत्येष्टि भी करा दी गई लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र कोविड की जगह सामान्य बना दिया। सुदामा प्रसाद के शिक्षक भाई रामगोपाल का कहना है कि सुदामा प्रसाद की पत्नी सरोज शर्मा उम्र 45 साल भी 23 अप्रैल को पॉजिटिव निकली थीं।

इसके बाद 28 अप्रैल को अचानक सुदामा प्रसाद की तबियत खराब हुई थी। कोविड टेस्ट से पहले ही उनकी मौत हो गई। उनकी मां गौराबाई शर्मा (75) 7 मई को पॉजिटिव निकली थीं और 12 मई को उनकी भी मौत हो गई। रामगोपाल ने बताया कि वह भी इलाज कराकर हाल ही में लौटे हैं।
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