अपना घर अपना विद्यालय: कहीं मेरा कोरोना तेरा घर, जन्म न ले ले यह अभियान / SHIVPURI NEWS

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शिवपुरी। शिवपुरी जिले में पिछले 3 दिन में कोरोना का विस्फोट हो चुका हैं,पिछले 3 दिवस में कोरोना के 34 मामले समाने आए हैं। अगर इससे पहले के 34 मरीजो के समय की बात करे तो पिछले 2 माह में इतने मरीज सामने नही आए थे। ऐसे में शिक्षा विभाग का अपना घर अपना विदयालय अभियान कही कोरोना का कोरियर ना कर दे।

इस अभियान पर लगतार सवाल खडे हो रहे हैं कि वर्तमान समय में बच्चो का स्वास्थय ज्यादा आवश्यक हैं कि शिक्षा। हम शिक्षा के बेहत्तर होने की बात करते हैं लेकिन इस समय परिस्थती अनुकूल नही है। कोरोना की स्थिती की बात करे तो शहर में कोरोना अब समाजिक हो चुका हैं।

ऐसे मरीजो की पुष्टि हो चुकी हैं जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नही हैं। और यह बात भी तय हो चुकी है कि पिछले माह जून में हुई शादियो में कोरोना मिठाई की तरह बटा हैं। प्रशासन ने उन लोगो से भी अपील की हैं जो लोग शादियो में गए थे वह कॉरेटाईन हो जाए और अपनी जांच कराए। 

अब बात इस अभियान की करते हैं

कोरोनाकाल में बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना घर अपना विद्यालय अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में घर पर अभिभावकों के बीच पढ़ाई तक की बात तो ठीक थी, लेकिन इसके लिए जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूल में पदस्थ करीब 6 हजार शिक्षकों को इन मोहल्ला स्कूलों में घर-घर जाकर प्रेरित करने और मॉनिटरिंग करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

जिले में 70 फीसदी से अधिक शिक्षक ब्लॉक या जिला मुख्यालय से गांव में जाते हैं। ऐसे में संक्रमण के इस दौर पर इन शिक्षकों की बिना सुरक्षा के गांव-गांव और घर-घर जाने की कवायद कोरोना के गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है। कर्मचारी संघों से लेकर जानकार भी इस कवायद को बच्चों के लिए खतरा बता रहे हैं, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी लकीर के फकीर बने हुए हैं।

अभियान को लेकर अधिकारी प्रदेश स्तर पर अपने अंक बढ़ाने के लिए शिक्षकों पर लगातार दबाव बना रहे थे, लेकिन इसके लिए जब सोमवार से अभियान से शुरू हुआ तो जिले के किसी भी विकासखंड में इन 6 हजार प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों की स्क्रीनिंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई और बिना परीक्षण के इन शिक्षकों को गांव के घर में बच्चों के बीच पहुंचने का फरमान दे दिया गया। ऐसे में यदि इन 6 हजार शिक्षकों में से कोई भी संक्रमित हुआ तो स्थिति कितनी भयाभय होगी इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

साधन बंद, महिला शिक्षिकाओं के सामने संकट

यहां ये अभियान कोरोना संक्रमण को लेकर बच्चों व ग्रामीणों की सुरक्षा से खिलबाड़ है तो वहीं इन 6 हजार शिक्षकों में करीब 3 हजार महिला शिक्षिकाएं भी हैं जो दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ हैं और वे मुख्यालय से अपडाउन करती थीं, लेकिन इन दिनों बसों सहित अन्य परिवहन साधन बंद हैं। ऐसे में उनके लिए परेशानी और अधिक बढ़ गई है। कार्रवाई के डर के बीच जैसे-तैसे सोमवार को महिला शिक्षिकाएं भी अपने स्कूलों तक पहुंची, लेकिन ये पूरी कवायद फिलहाल मुसीबत और खतरे का सबब बनी हुई है।

शहर में कोरोना अधिक है ग्रामीण क्षेत्रो के अनुपात

इसमें सबसे गौर करने लायक बात यह हैं कि गामीण क्षेत्रो में कोरोना पाजीटिव मरीजो की संख्या नग्णय है,लेकिन शहरी क्षेत्र में अधिक। शिंक्षक शहर से गांवो में जाऐंगें तो ग्रामीण क्षेत्रो में संक्रमण का खतरा बड सकता हैं। ऐसे में इस अभियान को सुचारू रूप से जारी रखना मेरा कोरोना तेरा में अभियान का जन्म भी हो सकता हैंं। अभी शहर शादियो का आनंद लेकर निबटा हैं और शादियो ने शहर का स्वास्थय निबटा दिया हैं। कौन सा शिक्षक किस शादी में शिरकत करके आया है किसी को जानकारी नही हैं। ऐसे में इस अभियान पर सवाल उठ रहे हैं।


ये बोले अधिकारी

अपना घर अपना विद्यालय अभियान राज्य स्तर से शुरू किया गया है जिसमें अभिभावकों को घर पर ही अपने बच्चों को पढ़ाना है। शिक्षकों को तो सिर्फ मॉनिटरिंग करना है और उन्हें प्रेरित करना है। जहां तक स्क्रीनिंग का सवाल है फिलहाल ऐसे कोई निर्देश नहीं है फिर भी हम स्वास्थ्य विभाग की सहायता लेकर प्रयास करेंगे कि शिक्षकों की स्क्रीनिंग कराएं।
अंगदसिंह तोमर, बीआरसीसी शिवपुरी
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