तारीख पर तारीख: नही हो पा रहा हैं मंत्रिमंडल का विस्तार, सिंधिया बन रहे हैं कारण / Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की केबिनेट का विस्तार लगातार टलता जा रहा है। तारीख पर तारीख लग रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दो-तीन बार कह चुके हैं कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। लेकिन कोई न कोई समस्या ऐसी आ जाती है, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार टल जाता है।

राज्यसभा चुनाव की तारीख भी 19 जून आ गई है और यह भी आशंका है कि मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान न पाने पर कुछ विधायक क्रॉस वोटिंग भी कर सकते हैं। इसलिए यह सुझाव भी दिया जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार किया जाए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अपने चहेते विधायकों भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह और राजेंद्र शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर दिक्कत आ रही है। सिंधिया खैमे के दबाव से भी परेशानी महसूस की जा रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए 8-9 पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा अपने सिर्फ 15 विधायकों को ही मंत्री बना पा रही है।

जबकि दावेदारों की संख्या 30 से अधिक है। कई संभागों में भी सिंधिया समर्थकों के आने से संतुलन बिगड़ा हुआ है। जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी उलझ गए हैं। सीएम को समझ नहीं आ रहा कि किसे वह मंत्रिमंडल में स्थान दें और किसे बाहर रखें। पार्टी हाईकमान और प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेताओं का दबाव भी अलग से बना हुआ है।

मध्यप्रदेश में हाल ही में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से 22 सीटे वे हैं, जो कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई हैं और वे पूर्व विधायक अब भाजपा से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं।

इनके  अलावा चंबल संभाग की जौरा सीट वहां के कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन से रिक्त हुई है। जबकि आलोट विधानसभा सीट भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल की मृत्यु से रिक्त है। इन 24 सीटों में से 15 सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं।

जिन पर सिंधिया का अच्छा प्रभाव माना जाता है। ये सीटें भाजपा सिंधिया के फेस को आगे रखकर चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। ऐसे में सिंधिया और उनके खैमे को नाराज न करना भाजपा की मजबूरी है। उपचुनावों का सामना करने के लिए सिंधिया खैमे के वे सभी पूर्व विधायकों का मंत्री बनना तय है, जो कमलनाथ की सरकार में मंत्री थे। इसके  अलावा भी तीन-चार अन्य पूर्व विधायक मंत्री पद पा सकते हैं।

सिंधिया खैमे का मुख्यमंत्री पर अपने लोगों को अच्छे विभाग देने का भी दबाव है। ग्वालियर चंबल संभाग में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि ऑपरेशन लोटस में मुख्य भूमिका में रहे अरविंद भदौरिया को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाए।  लेकिन सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नहीं चाहते कि श्री भदौरिया केबिनेट में आएं।

सागर संभाग से सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत मंत्री बन गए हैं। इस संभाग में मंत्री पद के दावेदार गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, प्रदीप लारिया में से किसे चुना जाए और किसे बाहर रखा जाए यह बहुत बड़ी समस्या है।

इंदौर संभाग में सिंधिया के विश्वासपात्र तुलसी सिलावट मंत्रिमंडल में स्थान पा सके हैं। जबकि इस संभाग से रमेश मेनदोला, ऊषा ठाकुर, मालिनी गौड़ भी प्रमुख दावेदार हैं। इनमें से किसे बाहर रखा जाए यह मुख्यमंत्री को समझ नहीं आ रहा। रमेश मेनदोला कैलाश विजयवर्गीय के बहुत निकटस्थ हैं।

विंध्य क्षेत्र से मीणा सिंह मंत्री बन चुकी हैं। जबकि इस क्षेत्र से दावेदारों की कमी नहीं है। राजेंद्र शुक्ल, केदार शुक्ला, गिरीश गौतम, कुंवरसिंह टेकाम और रामकिलावन प्रमुख दावेदार हैं। जबलपुर संभाग में भी दावेदारों की कमी नहीं है। संगठन ने अशोक रूहानी के नाम को आगे बढ़ाया है। जबकि यहां से अजय विशनोई भी प्रबल दावेदार हैं।

भाजपा में ये हैं मंत्री पद के प्रमुख दावेदार

भाजपा में मंत्री पद के दावेदारों की बात करें तो सबसे ऊपर नाम गोपाल भार्गव का है और उसके बाद भूपेंद सिंह, राजेंद्र शुक्ला, गौरीशंकर विसेन, यशोधरा राजे सिंधिया, विजय शाह, रामपाल सिंह, सीताशरण शर्मा, संजय पाठक, यशपाल सिंह सिसौदिया, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, गोपीलाल जाटव, ओमप्रकाश सकलेचा, राजेंद्र पांडेय, केदारनाथ शुक्ला, गिरीश गौतम, नीना वर्मा, मालिनी गौड़, ऊषा ठाकुर, रमेश मेनदोला, महेंद्र हर्डिया, विश्वास सारंग, अजय विश्रोई, पारस जैन, अरविंद भदौरिया, प्रदीप लारिया आदि के नाम हैं।

ये पूर्व विधायक बन सकते हैं मंत्री

सिंधिया के साथ कांग्रेस के जो 22 विधायक भाजपा में शामिल हुए उनमें तीन-चार नाम ऐसे हैं जो सिंधिया खैमे से नहीं जुडे हैं। इन 22 विधायकों में से जिनके मंत्री बनने की प्रबल संभावना है, उनके नाम हैं- प्रधुम्र सिंह, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभूराम चौधरी, विसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, ऐदल सिंह कंसाना और रणवीर जाटव। इनमें से विसाहूलालह्यह्य सिंह, हरदीप सिंह, ऐदल सिंह और रणवीर जाटव कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं थे।

निर्दलीय और बसपा विधायक भी मंत्री बनने की फिराक में

शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में बसपा और निर्दलीय विधायक भी मंत्री बनने की फिराक में हैं। बसपा विधायक रामबाई का तो कहनाह्य है कि भाजपा नेताओं ने उन्हें मंत्री बनने का आश्वासन दिया था। वहीं बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा तो भाजपा नेताओं के साथ बैंगलोर भी गए थे और वह मंत्री पद के प्रबल आकांक्षी हैं। लेकिन शिवराज सरकार में इनका सेट होना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।
लेखक अशोक कोचेटा, शिवपुरी के वरिष्ठ पत्रकार और शिवपुरी से प्रकाशित सांध्य दैनिक तरूण सत्ता के संपादक हैं
G-W2F7VGPV5M