महावीर भगवान के सिद्धांतों पर चल कर ही कोरोनावायरस से बचाव संभव:मुनि सुव्रत सागर जी / Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। नगर के श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र छतरी मंदिरद्ध में विराजमान मुनि श्री 108 सुव्रत सागर जी महाराज कोरोना के चलते मंदिर में अपनी सारी क्रियाओं को करते हुए धर्म साधना करते हैं परंतु इस समय सामूहिक रूप से स्वाध्याय और प्रवचन आदि सभी बंद हैं।

इसी बीच में जितने भी त्यौहार आए भी सभी लोगों ने अपने अपने घरों में ही मनाएं इसी के चलते मुनि श्री का 22 वां दीक्षा दिवस कल दिनांक 30 अप्रैल 2020 को को गुरुवार के दिन वैशाख शुक्ल सप्तमी पर पड़ रहा है इस अवसर पर मुनि श्री ने समाज जनों से भक्त गणों से अपने संदेश में दिया।

इस संदेश में मुनिश्री ने कहा की आप सभी लोग अपने घरों पर रहकर कोरोनावायरस से बचने के लिए घर में रह कर भक्ति अर्चना करें और लॉक डाउन का पालन करें लेकिन सामूहिक रूप से भीड़ एकत्रित ना करते हुए दीक्षा दिवस  बड़ी धूमधाम से इस तरह से मनाएं कि आपके साथ मुनि श्री हैं।

आप सभी को हमारा गुरु जी का आशीर्वाद सदा सर्वदा है हम आपके साथ हमेशा हैं हमेशा थे और हमेशा ही रहेंगे ऐसा विश्वास कर दीक्षा दिवस मनाए और कोरोनावायरस में देश की विश्व की मदद करें इस अवसर पर मुनि श्री ने किसी भी प्रकार के कोई भी सामूहिक कार्यक्रम करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी हैं।

वह अपने कक्ष में साधना रहते हुए अपने लेखन पाठक ज्ञान में लगे रहते हैं सिर्फ आहार चर्या में ही निकलते हैं मुनि श्री का यह कहना है की रत्नात्रय का व्यापार करो संयम की दुकानें खोलो आज मनाओ मुनियों का दीक्षा दिवस और अपनी दीक्षा होने का इंतजार करो लॉक डाउन के चलते मुनि श्री प्रतिदिन एक कोरोनावायरस के लिए मुक्ति पाने के लिए देश को समाज को जागरूक करने के लिए और कोरोना से लडऩे के लिए गीत कविता गजल भजन इत्यादि के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयासरत हैं।

मुनि श्री के भक्त गण उनकी कविताओं को लेकर सोशल साइट पर वायरल करते हैं जिससे लोगों को घर बैठे ही मुनि श्री का संदेश उपदेश प्राप्त हो जाता है और परोक्ष में मुनि श्री से मिलने का अवसर प्राप्त हो जाता है आपको बता दें कि मुनि श्री ने लगभग 35 40 कविताएं कोरोना से लडऩे हेतु लिखी है और अभी भी उनकी लेखनी प्रतिदिन चलती ही रहती हैं।

मुनि श्री ने 22 अप्रैल दो 1999 में परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के कर कमलों से सिद्ध क्षेत्र नेमावर इंदौर में देवास में 23 दिशाओं में दीक्षा ली थी उनके 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं और तिथि के अनुसार कल से उनका 22 वां वर्ष प्रारंभ होगा मुनि श्री ने 21 वर्षों में साधना करते हुए हर वर्ग के व्यक्तियों को धर्म से जोडऩे का प्रयास किया है और अपनी लेखनी के माध्यम से जैन वांग्मय को अनूठी कृतियां देने का प्रयास भी किया हैं।

मुनि श्री इस अवधि में लगभग पचासी से 90 कृतियों की संयोजना कर चुके हैं उनकी लेखनी निरंतर चलती रहती है और लॉक डाउन में एकांत मिलने से सामूहिक कार्यक्रम नहीं होने से लेखनी कुछ ज्यादा गतिशील हो गई है और इस अवसर पर मुनि श्री ने यही कहा कि आज सभी लोगों की आवश्यकताएं पूर्ति हो रही हैं।

लेकिन इच्छाओं पर नियंत्रण हो चुका है बस इसी तरह से दिगंबर साधु अपनी चरिया का पालन करता है आवश्यकताओं की पूर्ति करता हुआ और इच्छाओं पर नियंत्रण अंकुश लगाकर संयम का पालन करता हुआ हमेशा अपने ऊपर लॉक डाउनलोड आकर ही जीता है लोगों के दिलों पर राज करने के लिए 2 तरीके होते हैं।

या तो सिकंदर बनकर या दिगंबर बनकर सिकंदर बनकर कुछ ही दिनों तक राज किया जा सकता है परंतु दिगंबर अनादि से अनंत काल तक लोगों के दिलों पर राज किया जा सकता है मुनि लोग सिकंदर बनने के पक्ष में नहीं रहती मुनि लोग दिगंबर बनकर लोगों के हृदय में निवास करते हैं इसलिए उन पर यह पंक्तियां सार्थक होती है
हे मुनिवर यह हुनर कहां से सीख लिया।

कोई भी लड़ाई नहीं और सबका दिल जीत लिया।।
मुनि श्री ने यही कहा कि विश्व में अगर सभी लोग आवश्यकताओं की पूर्ति में लगे रहे इच्छाओं पर नियंत्रण रखें रहे तो कोरोनावायरस के संक्रमण से बच सकता है आज कोरोना के कारण सारे विश्व की जरिया दिगंबर साधु ऐसी हो रही है यह एक मजबूरी है स्वेच्छा नहीं लेकिन अगर स्वेच्छा से लोग करना प्रारंभ कर दें।

ऐसे संकट विश्व में कभी नहीं आएंगे ऐसे संकटों से बचने के लिए दिगंबर साधु के लिए गए सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने के भाव हम सभी को रखने चाहिए अगर दिगंबर साधुओं के सिद्धांत हमने अपने होते अहिंसा परमो धर्म के सूत्र होते तो आज विश्व पर यह महामारी का आक्रमण नहीं होता इस महामारी ने सारे विश्व को अहिंसा से सादगी से सादगी से जीना सिखा दिया है।

इस काम को संत महंत धर्म ग्रंथ धर्मात्मा नहीं कर पाए उस काम को कोरोना ने महज कुछ ही दिनों में कर दिया इसलिए संत लोगों का यही कहना है किए जियो और जीने दोए का सिद्धांत कभी ना भूले यही परम दीक्षा दिवस मनाना होगा यही अहिंसा धर्म का सिद्धांत होगा उन्होंने ऐसा संदेश हम सभी को दिया।



G-W2F7VGPV5M