2 साल से नहीं हुआ भावांतर का भुगतान, शिकायत के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई

Bhopal Samachar

शिवपुरी। खबर जिला कलेक्ट्रेट से है जहां पर ग्राम बूढ़ाखेड़  एवं पहाड़ाखर्द पहाड़ाकलां घिलोदर तहसील खनियाधाना से है, जहां के किसान अपनी चने की फसल को बेचे बीते 2 सालों से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन उसका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है।

किसानों का कहना है कि वह 2 साल से दफ्तरों के चक्कर काट काट कर और जनसुनवाई यों में आवेदन की याचिका लगा लगा कर परेशान हो गए हैं लेकिन आला अधिकारी हैं कि उन्हें उनकी परेशानी नहीं सुनाई दे रही नहीं दिखाई दे रही।

किसानों ने कहा कि बीते 7 सितंबर 2018 को अपने चना को पंजीयन उपार्जन केंद्र सहकारी संस्था के अंतर्गत कराया था और भावान्तर योजना के अंतर्गत किसानों ने अपनी फसल को रन्नौद में जाकर भेजा था।

2 साल बीतने के बाद भी किसान जनसुनवाई और अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर परेशान हैं लेकिन उनकी समस्या का हल निकालने का समय किसी के भी पास नहीं है।

पीड़ित किसानों ने यह भी अधिकारियों से यह भी कहा कि जब योजना के तहत हमारा भुगतान 2 सालों से रूका है तो फिर ऐसी योजना चलाने का फायदा ही क्या है। प्रदेश सरकार ऐसी योजनाओं को बंद क्यों नहीं कर देती। इसकी शिकायत आज बूठाखेड पहाडाखुर्द और पहाडाकलां से आए किसानों ने जनसुनवाई में जिला पंचायत सीईओ के सामने रखी।

बता दें कि बीते 2 वर्षों से किसानों के फसल का भुगतान ना होने के कारण वह आगे फसल करने में असमर्थ होते जा रहे हैं। उनके परिजनों का खर्चा चलाने और बच्चों की पढ़ाई लिखाई का भी खर्चा उठाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

जन सुनवाई
खबर आज जिला कलेक्ट्रेट में हुई जनसुनवाई की है जहां पर शिवनारायण पुत्र नक्टूराम गुप्ता निवासी ग्राम खराईभाट हाल निवासी गांधी कॉलोनी शिवपुरी में रहते हैं।

वह आज जनसुनवाई में शिकायत लेकर आए कि उनकी निजी कृषि भूमि ग्राम खराईभाट में स्थित है। जिस पर गैस पाइपलाइन के ठेकेदार आयुष निवासी गुना द्वारा परिवार की परिवार सहमति भूमि पर कब्जा कर कार्य कर रहा है, जबकि उनकी भूमि सर्वे नंबर 784, 787 डेढ़ साल से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है,

जिससे शिवनारायण अपनी भूमि पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। जिससे उनके परिवार को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

शिवनारायण ने यह भी बताया कि उन्होंने सिरसौद थाने में भी इसकी शिकायत करी थी, लेकिन पुलिस ने ठेकेदार आयुष से सांठगांठ कर ली और ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

जिसके बाद उन्होंने आला अधिकारियों से मांग की कि उनके खेतों से कब्जा हटाया जाए और डेढ़ साल का मुआवजा भी उन्हें दिया जाए।