शिवपुरी। बीते दिनों जिला योजना समिति की बैठक में मेडीकल कॉलेज के नामकरण को लेकर प्रभारी मंत्री और बीरेन्द्र रघुवंशी में हुआ विबाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विबाद के बाद वीरेन्द्र रघुवंशी ने कलेक्ट्रेट से बाहर निकलते ही मीडिया के सामने अपने परिवार और खुद को प्रभारी मंत्री से जान का खतरा बताया।
कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने आज मप्र शासन के मुख्यमंत्री कमलनाथ,मप्र पुलिस के डीजीपी और नेता प्रतिपक्ष से मिले और बताया कि कैसे सत्ता प़क्ष के प्रभारी मंत्री जनता के द्धारा चुने हुए प्रतिनिधियो की आवाज को दवाने का प्रयास कर रहे है।
पहले तो पढे विधायक रघुवंशी द्धारा डीजीपी को दिया गया आवेदन
अपने आवेदन में कोलारस वीरेन्द्र रघुवंशी ने लिखा हैं कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से कोलारस विधानसभा से विधायक है। शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री प्रधुम्मन सिंह तोमर पर प्रभारी मंत्री का प्रभार है। वह सत्ता पक्ष के ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यकर्ता कांग्रेस से है वह गुना शिवपुरी लोकसभा चुनाव में सिंधिया जी की हार के चलते द्धेष भाव रखते है। जब भी वह शासकीय कार्यक्रम उसके विधानसभा क्षेत्र एवं जिले में शासकीय बैठकें होती है।
मुझे क्षेत्र की जनता की समस्याए रखना हो या बैठकों में कोई सुझाव देना हो ता वह बल पूर्वक रोकते है। अभी हाल ही में जिले में हुई जिला योजना समिति की बैठक में मेने शिवपुरी में निर्मित मेडीकल कॉलेज का नामकरण प्रस्ताव के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के नाम पर कॉलेज के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा।
लेकिन वह स्व माधवराव सिंधिया जी के नाम पर कॉलेज का नाम रखना चाहते थे। पर मेरा समिति की बैठक में सुझाव रखने का अधिकार था और फिर सदस्यगण जो भी प्रस्ताव पास करते। लेकिन उन्होंने अपनी कुर्सी से खडे होकर अपना आपा खोकर गाली गलौच करते हुए मुझे इस बात पर बलपूर्वक रोका और ठिकाने लगा दूंगा,यह मत भूल सरकार हमारी है जैसे अपशब्दों का प्रयोग किया।
वीरेन्द्र रघुवंशी ने शिवपुरी समाचार डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि मैने इस विषय में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के सामने भी रखी। नेता प्रतिपक्ष को बताया गया कि जनता के द्धवारा चुने गए प्रतिनिधियो की आवाज को दबाया जा रहा हैं। ऐसा की कुछ शिवपुरी में जिला योजना की समिति में हुआ।
इस कारण नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इस मामले को लेकर प्रदेश के सीएम को पत्र लिखा हैं,और आगे आने वाले विधानासभा सत्र में इस मामले को उठाया जाऐगा कि पूरे प्रदेश में चुने गए प्रतिनिधियो के साथ ऐसा घटनाक्रम न हो और उन्है जनता के हित में अपनी बात रखने का अधिकार हैं।