बकरी पालन योजना में जमकर भ्रष्टाचार:दवा नीति के अनुसार नहीं की दवाइयों की खरीदी | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शासकीय विभागों में पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए शासन द्वारा सूचना के अधिकार के तहत  किसी भी नागरिक को जानकारी लेने का हक दिया था। लेकिन शिवपुरी के पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ. एमसी तमोरी द्वारा आवेदक सत्यम नायक को चाही गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। बल्कि उसके साथ अभद्र व्यवहार भी किया। उक्त जानकारी मुख्य मंत्री के नाम जिलाधीश को सौपे गए ज्ञापन के माध्यम से दी गई है। आवेदन द्वारा 23 बिन्दुओं की जानकारी मांगी गई थी लेकिन एक माह की अवधि गुजर जाने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।

जिलाधीश को सौंपे गए ज्ञापन में सत्यम नायक द्वारा बताया गया है कि बकरी पालन विकास योजना के तहत प्रत्येक हितग्राही को  95 बकरी व पांच बकरे देना दर्शाकर डॉ. तमोली द्वारा 48 लाख रूपया शासकीय खजाने से आहरित कर लिया। जिसका भौतिक सत्यापन तक नहीं कराया गया तथा ब्लॉक स्तर पर भी धनराशि का वितरण समान रूप से नहीं किया गया। ब्लॉक स्तर पर पदस्थ चिकित्सकों से अवैध तरीके से बसूली कर धनराशि प्रदान कर दी गई। जबकि हकीकत यह है कि किसी की अन्य बकरियों के साथ फोटो खिचवाकर शासकीय खजाने से राशि आहरित कर ली गई।

वहीं शासकीय दवानीति का भी डॉ. एमसी तमोली द्वारा सरेआम उल्लंघन करते हुए औषधी के नमूने जांच हेतु ड्रग कन्ट्रोलर भोपाल भेजे जाने थे लेकिन नहीं भेजे गए। जबकि शासन से स्पष्ट निर्देश हैं। डॉ. तमोली द्वारा अपनाई गई उक्त प्रक्रिया से स्पष्ट होता हैं कि खरीदी गई औषधियां की गुणवत्ता घटिया हैं। दवा नीति के अनुसार जो दवा क्रय की जा रही हैं वह वाजार में उपलब्ध होना चाहिए लेकिन ऐसा न करते हुए कमीशन के फेर में ऐसी दवायें क्रय कर दी गई।

जो बाजार में उपलब्ध ही नहीं हैं। साथ ही कार्यालय में पदस्थ डॉ. तमोली द्वारा कर्मचारियों के फर्जी टीए बिल पास किए गए जिन पर 30 प्रतिशत कमीशन प्राप्त होता हैं। जबकि कर्मचारियों द्वारा कोई यात्रा नहीं की गई है। इसीक्रम में वाहन बजट, स्टेशनरी, सिविर संचालन, गोपाल पुरूस्कार योजना मैं भी भारी भ्रष्टाचार करते हुए शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है।

प्रमुख सचिव पशुपालन को भी उक्त मामले की हकीकत से अवगत कराया गया था। जिस पर प्रमुख सचिव द्वारा डॉ. एमसी तमोरी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। लेकिन डॉ. तमोली द्वारा राजनैतिक दवाब बनाकर अपनी शिकायतों को दवाया गया और उसे वापस शिवपुरी स्थानांतरित कर दिया गया। आवेदक द्वारा ज्ञापन के माध्यम मुख्यमंत्री से उक्त मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की हैं।
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