नेताओ के सहयोग से आंगनबाडी के बच्चों का हक छीन रहे है रसूखदार | badarwas news

Bhopal Samachar

बदरवास। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों व समूह माफियाओं की मिलीभगत एवं साठगांठ से नगर के आंगनवाड़ी केंद्रों में नास्ता व पोषण आहार-भोजन व्यवस्था में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया जा रहा है। एक ओर जहां सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने व नौनिहालों को स्वास्थ्य तंदुरूस्त बनाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए खर्च कर आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से योजना चलाई जा रही है।

विभाग के ही अधिकारी समूह माफियाओं से पर्दे के पीछे साठगांठ कर सरकार की इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। समूह माफिया नेताओं की सह पर अधिकारियों की मिलीभगत से आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले नौनिहालों के पेट में लात मार कर सरकार की कल्याणकारी योजना का मखौल उड़ा रहे हैं।

नगर में 15 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित,एक में भी मीनू अनुसार भोजन नही बाँटा जा रहा
बदरवास नगर में 15 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं 15 केंद्रों के नौनिहालों को भोजन देने के लिए अनुबंधित स्व सहायता समूह द्वारा निर्धारित नियमों व मैन्यू का पालन नहीं किया जाता। नगर के 15 आगंबड़ियों में औसतन एक केंद्र में 80 से 120 बच्चा है।

समूह द्वारा गुणवत्ताहीन भोजन बच्चों को दिया जा रहा है। कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ठेकेदार द्वारा एक केंद्र में करीब 50 रोटी व एक कटोरा पतली दाल भेजी जाती है। यहां बता दें कि कार्यकर्ताओं ने समूह के खिलाफ जब जब आवाज उठाने का प्रयास किया और सुपर वाइजरों,परियाेजना अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से शिकायत की तब तब उन्हें ही नाना प्रकार से परेशान किया गया। हर बार कार्यकर्ताओं को इस मामले में मुंह बंद रखने को कहा गया। इससे भयभीत कार्यकर्ता चुपचाप सब सहन कर रही हैं।

बच्चों को नही मिल पा रहा पोषण आहार,कैसे मिटेगा कुपोषण
सरकार व महिला बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषण के खिलाफ अभियान छेड़ा गया है। इसके लिए सुपोषण अभियान सहित अन्य कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य कुपोषण को दूर करना है लेकिन यहां सवाल उठता है कि यदि विभागीय अधिकारियों व स्व सहायता समूहों की ऐसी ही जुगलबंदी चलती रही तो बदरवास नगर कुपोषण से कैसे मुक्त होगा।

यहां एक बात और सामने आई है कि घटिया खाना मिलने के कारण केंद्रों में बच्चों की संख्या लगातार गिरती जा रही है लेकिन अधिकारियों व ठेकेदार की साठगांठ के चलते भुगतान 90 फीसदी से अधिक उपस्थिति का किया जा रहा है। इस मामले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा भेजी गई उपस्थिति को एक कौने में फैंक दिया जाता है।