शिवपुरी। एक सवाल जो सबके मन में होता है कि बच्चा ब्रिलियट पैदा होता है या ब्रिलियट बनाया जाता हैं,शिवपुरी क्यो नही बन सकता शिक्षा का हब? क्यो हर साल शिवपुरी से गिनती के बच्चे ही मेडिकल या पीएससी और आईआईटी में निकल पाते है। ऐसे कुछ सवालो के जबाब दिए शिवपुरी में शिक्षा के क्षेत्र में कठिन परिश्रम कर शहर का नाम रौशन कर रहे किशोर जैमिनी ने शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने शिवपुरी की शिक्षा के विषय के साथ.साथ जीवन की सफलता असफता के विषय में बात की
किशोर जैमिनी पुत्र श्री बालकृष्ण जैमिनी उम्र 45 साल ,शिक्षा बीएस सी, एलएलबी आज शहर के शिक्षा के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है ,किशोर जैमिनी की कोंचिग इंडकटेंस एज्युकेयर शहर में एक ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुकी है। अपने सपने को ब्रांड कैसे बनाया ऐसे कुछ पहलुओ पर बातचीत शुरू करते हुए किशोर जैमिनी से-
कोचिंग शुरू करने से पूर्व क्या टारगेट थे इस पर चर्चा करते हुए किशोर जैमिनी ने कहा कि मैं भटनावर ग्राम का रहने वाला हू। मैं भटनावर मेेें मेधाबी छात्र था एबम मेडिकल के क्षेत्र में जाना चाहता था ,लेकिन मेरी तैयारी के लिए मेरे घर में आर्थिक स्थिति और घर से बाहर इंदौर / कोटा रहने की जागरूकता की कमी थी। इस कारण में मेडिकल के क्षेत्र में नही जा पाया।
मेरे बडे भाई कृष्ण कुमार जैमिनी पोहरी में शांति निकेतन हायरसेकंडरी स्कूल का संचालन करते हैं मैने उस स्कूल में 10 साल पढाया। इन 10 साल के अनुभव में मैने यह पाया कि हर बच्चा ब्रिलिएंट होता हैं ,सिर्फ उसको पढाने वाला उसका सब्जेक्ट से डर खत्म कर, रूचि पैदा कर सके। शिवपुरी से हर साल लगभग 5 सैकडा बच्चे कोटा तैयारी के लिए जाते है किंतु 1या 2 मेडिकल और आईआईटी में सफल हो पाते है ,हर बच्चे पर पैरेंटस का लगभग 3 लाख रूपए खर्च होता हैं। करोडो रूपए शिवपुरी के बर्बाद हो जाते है।
ऐसा नही है जो बच्चे असफल हुए है वे योग्य नही थे। एक तो वह कोटा के माहौल में शुरुआत में ढल नही पाते,होम सिकनेश,फेमलियर काउंसलिंग की कमी दूसरा उनका हाईस्कूल स्तर पर बेस कमजोर रहता है, इस कारण समझ मे न आने से बच्चे डिप्ररेशन में चले जाते है और असफल हो जाते हैं। बस मेरा शिवपुरी में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध कराना ही मेरा टारगेट है।
अपने टारगेट को अचीब करने में परेशानी के बार में किशोरी जैमिनी ने बताया कि बाहर से योग्य फैकल्टी छोटा शहर जानकर बहुत मंहगी आती है, हमेशा भेड चाल ओर सोसाईटी में स्टेटस सिंबल का होना मेरी परेशानी बनी। अगर किसी बच्चे ने मेरे यहा कुछ दिन कोंचिंग पढते हूुए कॉम्पटीशन का मन बना लिया कि मुझे कोटा नही जाना में इंडकटेंस की फैकल्टी से सतुंष्ट हॅ और मैं इसमे पढते हुए कॉम्पटीशन निकाल सकता हुँ ,ऐसे कुछ बच्चे बीच में कोटा चले गए पता चला कि किसी ने उस बच्चे के पेरेंटसो को स्टेटस सिंबल का हवाला दिया कि आप पर क्या पैसो की कमी है,जो अपने बच्चो को यहाँ पढा रहे हों। ऐसी परेशानी का सामना हमे अक्सर करना पडता हैं।
शिक्षा का यह सत्र हमारा तीसरा सत्र हैं हम ऐसे बच्चो से भी रिजल्ट निकालने में कामयाब रहे जो एवरेज स्डूटेंन्ट्स में से थे। कोई भी बच्चा कमजोर नही होता बस टीचर को उसके पढने के प्रति जिज्ञासा पैदा करने होंगी,उसे फिर पढने में आंनद आने लगेगा और वह कामयाव हो जाऐगा। किशोर जैमिनी अपनी सफलता पर कहते हैं कि *शिवपुरी को शिक्षा का हब बनाना ही मेरा उददेश्य हैं। हमारी कोचिंग में मप्र ही नही बाहरी प्रदेश के बच्चो ने भी एडमिशन लिया और हमने रिजल्ट दिए है बिहार के रहने वाले सौरभ कुमार,यूपी के राज चौहान ने रिजल्ट निकाले है। इसके अतिरिक्त तेलगंना ,बिहार,राजस्थान के बच्चो को भी हम बर्तमान में शिक्षा दे रहे हैं।
उन्होने अपनी बात रखते हुए कहा कि शिवपुरी के पैरेटंस मुझ पर यकीन करे,बाहर से पढ़ाई हेतु आने बाले छात्र छात्राओं को शहर का उचित बाताबरण दें, कोई बच्चा कमजोर नही होता बस पढने के प्रति डर का खत्म करना होगा। विश्वास किजिए, शिवपुरी में अब हम गुणवत्ता युक्त शिक्षा दे रहे है और हर वर्ष सैकडो बच्चे को सफलता की ओर अग्रसर करेंगें। किशोर जैमिनी ने सफलता का मूल मुंत्र कठिन और निरन्तर परिश्रम को माना हैं।
अपने अनुभव के आधार पर किशोर जैमिनी ने शिवपुरी समाचार के पाठको को संदेश दिया है कि जीवन में शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी इतनी होनेी चाहिए वह किसी दूसरे पर बोझ नही बन सकेँ और अपनी शिक्षा से दूसरो की भी मदद कर सके।.
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