शिवपुरी। शहर के पुलिस लाईन में कंट्रोल रूम के पास नवनिर्माणाधीन श्रीराम जानकी मंदिर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा में कल भगवान श्रीकष्ण का जन्मोत्सब बढी धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान ब्रज में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की सहित कई भजनों पर भक्त जन झूमने पर विबश हो गए।
आज की कथा में कथा बाचक रघुनंदन शास्त्री जी ने माखन चोरी की मनमोहक कथाओं का विस्तार से वर्णन किया। इस दौरान शास्त्री जी ने बताया कि भगवान श्रीकष्ण के माखन चोरी के लिए गोपीयां इंतजार किया करती थी। इसके साथ ही आज की कथा में शास्त्री जी ने गोवर्धन की परिक्रमा का महत्व समझाया। शास्त्री जी ने बताया कि इंद्र देव के प्रकोप से मथुरा, गोकुल और वृदांवन के वासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत उठाया था।
श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी इंद्र की पूजा कर रहे थे। जब उन्होंने अपनी मां को भी इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो सवाल किया कि लोग इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? उन्हें बताया गया कि वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती और हमारी गायों को चारा मिलता है। तब श्री कृष्ण ने कहा ऐसा है तो सबको गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं।
उनकी बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। इसके बाद इंद्र को पता लगा कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं और अपनी भूल का एहसास हुआ।
बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है। यह कथा नक्टूराम मुदगल अमरपुर बालों के यहां आयोजित की जा रही है। जिसमें समस्त ग्रामीणों सहित पूरी पुलिस लाईन कथा सुनने को उमड रही है।
