मरने से पहले नाती-नातिन के लिए अनाथाश्रम हेतु कमिश्नर के पास पहुंचे पूर्व सरंपच | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिले के सुभाषपुरा के अंतर्गत आने वाले इंदरगढ गांव के पूर्व सरपंच अपने नाती-नातिन को अनाथाश्रम में रखने के लिए शासन से गुहार लगाने अपने नाती-नातिन को लेकर ग्वलियर मोती महल पहुंच गए। पूर्व सरंपच ने बताया कि मेरी उम्र बहुत हो चुकी हैं,मेरी सांसे कब उखड जाए। मेरे आलवा इनका कोई नही हैं,और मेरे मरने के बाद ये दर-दर की ठोकरे खाए। इसलिए अभी से इन्हें अनाथाश्रम में दाखिल करवा दिया जाए।

इंदरगढ़ गांव में रहने वाले पूर्व सरपंच शंकर मोगिया यह फरियाद लेकर संभागायुक्त महेशचंद चौधरी के ऑफिस में पहुंचे थे। उनके साथ छोटे-छोटे नाती और नातिन भी थे, जो यह नहीं जानते थे कि अपनों के अभाव की वजह उनके दादा उन्हें अनाथाश्रम में छोड़ना चाहते हैं। 

शंकर माेंगिया वर्ष 2010 में सरपंच भी रहे हैं। इसके बाद इनके दुर्दिनों की शुरुआत हो गई। पहले पत्नी शांतिबाई का निधन हुआ। इसके बाद 17 मार्च 2014 को बेटे चंदन की मौत सड़क हादसे में हो गई। बेटे की मौत के कुछ समय बाद ही 26 जुलाई 2015 को बहू सीमा आदिवासी की मौत हाे गई। बेटे-बहू की मौत के बाद नाती राज (7), चमन (5) और नातिन रीतू (5) की जिम्मेदारी शंकर के ऊपर आ गई थी। 

शंकर तब से बच्चों को पाल रहे थे, लेकिन अब उनको लगता है कि उनकी उम्र भी ज्यादा नहीं बची है। उनके जाने के बाद बच्चे अनाथ होंगे और दर-दर भटकेंगे। इसलिए बच्चों का इंतजाम करने के लिए पहले ही भटक रहे हैं। गुरुवार की दोपहर वह संभागायुक्त कार्यालय मोंतीमहल पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने ऑफिस के अफसरों को उन्होंने अपनी व्यथा बताई तो उन्होंने संभागायुक्त से मिलने की सलाह दी। यहीं पर पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर योगेंद्र सिंह पहुंच गए थे। वह भी बच्चों के लिए रहने की व्यवस्था का इंतजाम करने में लगे थे। 

व्यवस्थापन के निर्देश दिए 
बुजुर्ग शंकर मोगिया ने समस्या बताई थी। बच्चों के व्यवस्थापन के लिए संयुक्त संचालक महिला बाल विकास सीमा शर्मा को निर्देशित किया है। वह शिवपुरी के कलेक्टर तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी से संपर्क बच्चों का व्यवस्थापन करवाएंगी। महेशचंद चौधरी, संभागायुक्त 
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