शिवपुरी। शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व में संख्या के मान से पांच टाइगर और 2 शावक है,लेकिन इन पांच टाइगर में से एमटी-1 टाइगर कैमरा,जमीन और इंसानी नजरो से गायब है, 10 मार्च 2023 को जिन तीन बाघों को यहां बसाया गया था, उनके कालर आइडी बंद हो चुके हैं। रिजर्व प्रबंधन को करीब पांच माह से इनमें से एक भी बाघ की कोई लोकेशन नहीं मिली है।
शिकारियों ने स्वीकारी थी बाघ के शिकायत की बात
अब तक तो गोपनीय रूप से बाघ की खोजबीन जारी थी, लेकिन शिवपुरी श्योपुर से शिकारियों के पकड़े जाने के बाद खलबली मच गई थी। क्योंकि शिकारियों के पास से तेंदुए के साथ ही बाघ सहित अन्य वन्य जीवों के अवशेष भी मिले थे। मामला इतना बढ़ गया कि शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन ने विधानसभा में सवाल लगाया था। रिजर्व प्रबंधन ने हाथियों की मदद से बाघों की खोजबीन शुरू की। अब तक चार बाघ और दो शावकों के पगमार्क या किसी न किसी प्रकार से उनकी उपस्थिति के चिन्ह मिले हैं। जबकि एमटी-1 का अब तक कोई सुराग नहीं लगा है।
शिकारियों ने स्वीकारी थी बाघ के शिकायत की बात
दरअसल स्टेट स्ट्राइक टाइगर फोर्स की टीम ने शिवपुरी एवं श्योपुर से शिकारियों की धरपकड़ की थी। सूत्रों की मानें तो शिकारियों ने शिवपुरी में भी शिकार करने की बात स्वीकार की है। इनके पास से बाघ के अवशेष भी मिले थे। हालांकि प्रबंधन ने शिकार वाली बात नहीं स्वीकारी है, लेकिन ये मामला राजनीतिक मुद्दा जरूर बन गया। विधायक देवेंद्र जैन ने जब विधानसभा में सवाल लगाया तो बाघों की खोजबीन का काम शुरू किया गया।
कूनो के हाथियों से मदद
इसके लिए कूनों से हाथी मंगाए गए। जिनकी मदद से अब तक चार बाघ और 2 शावकों के पगमार्क या नाइट विजन कैमरे में इमेज कैद हुई है। वर्तमान में बसाए बाघ और बाघिन के कालर आइडी अभी चालू हैं। जिन तीन बाघों के कालर आइडी बंद हैं, उनमें से एमटी 1 का अभी तक पता नहीं चला है। जिससे प्रबंधन के भी होश उड़ गए हैं।
माधव टाइगर रिजर्व प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व है। टाइगर की बसाहट होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। हालांकि अभी मानसून सीजन में टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद है। हालांकि रिजर्व प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो अब माधव टाइगर रिजर्व, कूनों के साथ रणथंभौर तक एक अघोषित कॉरिडोर बन चुका है। ऐसे में कालर आइडी बंद होने के कारण टाइगर की खोजबीन करना आसान नहीं है।
यह बोले जिम्मेदार
अब तक चार बाघ और दोनों शावकों के पगमार्क वा जंगल में होने के चिन्ह हमें मिल चुके है। एमटी-1 की खोजबीन जारी है, हालांकि अभी तक उसके कोई चिन्ह हमें नहीं मिले है। टाइगर रिजर्व, कूनों से लेकर रणथंभौर तक अब वन्य जीव विचरण करते है। चूंकि कालर आइडी बंद है, इसलिए बाघ की लोकेशन का पता लगाना आसान नहीं होता है। क्योंकि बाघ जंगल में कितनी भी दूर तक जा सकता है।
उत्तम शर्मा, निदेशक सिंह परियोजना।
कूनो के हाथियों से मदद
इसके लिए कूनों से हाथी मंगाए गए। जिनकी मदद से अब तक चार बाघ और 2 शावकों के पगमार्क या नाइट विजन कैमरे में इमेज कैद हुई है। वर्तमान में बसाए बाघ और बाघिन के कालर आइडी अभी चालू हैं। जिन तीन बाघों के कालर आइडी बंद हैं, उनमें से एमटी 1 का अभी तक पता नहीं चला है। जिससे प्रबंधन के भी होश उड़ गए हैं।
माधव टाइगर रिजर्व प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व है। टाइगर की बसाहट होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। हालांकि अभी मानसून सीजन में टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद है। हालांकि रिजर्व प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो अब माधव टाइगर रिजर्व, कूनों के साथ रणथंभौर तक एक अघोषित कॉरिडोर बन चुका है। ऐसे में कालर आइडी बंद होने के कारण टाइगर की खोजबीन करना आसान नहीं है।
यह बोले जिम्मेदार
अब तक चार बाघ और दोनों शावकों के पगमार्क वा जंगल में होने के चिन्ह हमें मिल चुके है। एमटी-1 की खोजबीन जारी है, हालांकि अभी तक उसके कोई चिन्ह हमें नहीं मिले है। टाइगर रिजर्व, कूनों से लेकर रणथंभौर तक अब वन्य जीव विचरण करते है। चूंकि कालर आइडी बंद है, इसलिए बाघ की लोकेशन का पता लगाना आसान नहीं होता है। क्योंकि बाघ जंगल में कितनी भी दूर तक जा सकता है।
उत्तम शर्मा, निदेशक सिंह परियोजना।