शिवपुरी। शिवपुरी जिले की ग्राम पंचायत सतनवाड़ा कलां की गौशाला कॉलोनी के रहवासी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें महिलाएं कीचड़ भरे रास्तों पर चलकर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं। उनकी मुख्य मांगों में गौशाला कॉलोनी के मुख्य रास्ते को पक्का करवाना, पीने के पानी की समस्या का समाधान करना और बस्ती को आबादी क्षेत्र में शामिल करना शामिल है।
जान जोखिम में डालकर चलने को मजबूर लोग
मुश्किलों भरा सफर
गौशाला कॉलोनी के निवासियों के लिए हर दिन एक चुनौती है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक, सभी को कीचड़ और गड्ढों से भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ समय पहले पानी का एक टैंकर इसी खराब रास्ते की वजह से पलट गया था, जिसमें टैंकर ड्राइवर की जान बाल-बाल बची। यह घटना साफ दिखाती है कि यहां के रास्ते कितने खतरनाक हैं।
वादे सिर्फ वादे ही रहे
कॉलोनीवासियों का कहना है कि वे कई बार अपनी परेशानियों को लेकर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव से मिल चुके हैं, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं। महिलाओं का आरोप है कि गौशाला कॉलोनी के पास ही फिल्टर प्लांट होने के बावजूद उन्हें पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
यह मामला प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि ग्रामीण लंबे समय से इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अब देखना यह है कि वायरल वीडियो और महिलाओं के विरोध के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और इन लोगों को कब तक न्याय मिलता है।
जान जोखिम में डालकर चलने को मजबूर लोग
मुश्किलों भरा सफर
गौशाला कॉलोनी के निवासियों के लिए हर दिन एक चुनौती है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक, सभी को कीचड़ और गड्ढों से भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ समय पहले पानी का एक टैंकर इसी खराब रास्ते की वजह से पलट गया था, जिसमें टैंकर ड्राइवर की जान बाल-बाल बची। यह घटना साफ दिखाती है कि यहां के रास्ते कितने खतरनाक हैं।
वादे सिर्फ वादे ही रहे
कॉलोनीवासियों का कहना है कि वे कई बार अपनी परेशानियों को लेकर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव से मिल चुके हैं, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं। महिलाओं का आरोप है कि गौशाला कॉलोनी के पास ही फिल्टर प्लांट होने के बावजूद उन्हें पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
यह मामला प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि ग्रामीण लंबे समय से इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अब देखना यह है कि वायरल वीडियो और महिलाओं के विरोध के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और इन लोगों को कब तक न्याय मिलता है।