शिवपुरी। शिवपुरी जिला का नया चमचमाता कलेक्ट्रेट कार्यालय का निर्माण होना है। लगभग 80 करोड़ की लागत से बनने वाले इस तीन मंजिला इमारत का प्रोजेक्ट फोटो भी 3 साल पूर्व जारी हो चुका है। शहर के पुराने सरकारी बस स्टैंड की जमीन बेचकर कठमई के सामने नई कलेक्ट्रेट का निर्माण होना है। काम फाइलो में पिछले 7 साल से जारी है।
लेकिन यहां एक सवाल का जन्म होता है कि क्या शहर से 8 किलोमीटर दूर कलेक्ट्रेट को ले जाना व्यावहारिक होगा,हम विकास के विरोधी नहीं है, वर्तमान कलेक्टर कार्यालय से बनने वाली नई कलेक्ट्रेट कार्यालय की दूरी 8 किलोमीटर है,अगर इसकी शहर की चर्तु सीमा से देखे तो वर्तमान कलेक्टर कार्यालय चारो दिशाओ से समान दूरी पर है,लेकिन नए प्रोजेक्ट कलेक्ट्रेट से चारों दिशाओं की दूरी समान नहीं है। अगर बड़ौदा से इस कलेक्ट्रेट की दूरी की नाप करे तो 13 किलोमीटर होगी।
कुल मिलाकर शहर की तीन दिशाओं से इस कलेक्ट्रेट की दूरी बढ रही है। केवल सतनवाड़ा वाली दिशा से दूरी घट रही है। ग्वालियर फोरलेन के समीप बन रही कलेक्ट्रेट के समीप के स्थानो की बात करे तो सामने जज कॉलोनी है उसके पीछे वन विभाग है,वही सतनवाडा की ओर की बात करे तो वहां जन सामान्य की आबादी के रहने का स्थान नहीं है एक ओर वन विभाग की भूमि है और दूसरी और 18वीं बटालियन क्षेत्र है।
ग्वालियर फोरलेन बाईपास की दिशा मे वन विभाग आबादी क्षेत्र को बढ़ने से रोक रहा है,जिस प्रकार छत्री रोड और झांसी रोड पर वन विभाग ने रोक दिया है। वन विभाग ने शहर के आबादी क्षेत्र के लिए दो दिशाओं को लॉक कर दिया है। केवल गुना ओर पोहरी वाली दिशा में आबादी क्षेत्र बढ सकता है।
वर्तमान की स्थिति की बात करे तो तहसील और एसडीएम कार्यालय कठमई के पास पहुंच चुका है। दूरी अधिक होने के कारण आमजन का पहुंचने मे मुश्किल हो गया है,मीडियाकर्मियों के लिए भी यह दूरी अधिक हो जाने के कारण प्रेस भी इन कार्यालयों पर नहीं पहुंच रही है। आरटीओ कार्यालय भी अधिक दूरी होने के कारण आमजन नहीं जा पा रहा है और दलालों के भरोसे काम चल रहा है।
कुल मिलाकर लिखने का सीधा सा अर्थ है। अगर चारों दिशाओं की बात करे तो यह नई कलेक्ट्रेट का प्रोजेक्ट अव्यवारिक है। जिले के कलेक्टर को बीच शहर मे ही बैठना चाहिए जिससे आमजन की पहुंच सुलभ हो,ऐसा नहीं है कि शहर में नई कलेक्ट्रेट बनाने का स्थान नहीं है लेकिन शिवपुरी की राजनीति में दूरदर्शाता की कमी के कारण शहर में खुडा क्षेत्र की सरकारी जमीन को नहीं देखा गया है। यह स्थान नई कलेक्ट्रेट के लिए उपयुक्त होता,सर्व सुविधा युक्त है। पर्याप्त जमीन है जहां से नई कलेक्ट्रट को जन्म दिया जा सकता है।
सरकारी नियम` है कि जमीन के बदले जमीन,इस प्रक्रिया का पालन किया जा सकता था। पुराने रेलवे स्टेशन के पास कृषि उपज मंडी है वह भी खाली है,इसका उपयोग भी किसी अन्य विभाग के दफ्तरो के लिए किया जा सकता था। लेकिन ऐसा कुछ नही किया गया।
सोची समझी रणनीति-नेताओ और जमीन कारोबारियो की
शिवपुरी वर्तमान कलेक्ट्रेट कार्यालय की शिफ्टिंग शहर से दूर करने की नेताओं और जमीन कारोबारियों की सोची समझी रणनीति है। नई कलेक्ट्रेट कार्यालय से विकास के सपने दिखाकर जमीनों के दाम आसमान पर पहुंच गए है। हालांकि कलेक्ट्रेट बनने के सपने को 7 साल हो चुके है अभी बस स्टेंड की लैंड भी क्लीयर नही है,कितने साल लगेंगे नई कलेक्ट्रेट कार्यालय को बनाने के लिए कहना मुश्किल होगा,लेकिन 300 रुपए फुट की जमीन 2 हजार रुपए फुट अवश्य पहुच चुकी है यह सत्य है।
शिवपुरी समाचार निर्माण और विकास का विरोधी नहीं
शिवपुरी समाचार निर्माण और विकास का विरोधी नहीं है लेकिन आमजन की सुलभता की चिंता भी करता है। मंगलवार को बार बार जनसुनवाई मे देखा गया है कि आमजन कई बार अपनी शिकायत लेकर आता है उसकी सुनवाई नहीं होती है। शहर से बाहर अगर कलेक्ट्रेट कार्यालय को पहुंचा दिया जाता है तो आमजन की दूरी अधिक होगी,जिसमें वह कलेक्टर कार्यालय से जाने से बचने का प्रयास करेगा। बडौदी आबादी क्षेत्र से कठमई की दूरी 13 किलोमीटर है,कुल मिलाकर पोहरी रोड से कठमई की दूरी भी बढ़ रही हे। हमे शिवपुरी कलेक्टर की पहुच सुलभ चाहिए ना की दुर्लभ,इस पर विचार करना आवश्यक है।
पुराना रेलवे स्टेशन श्रेष्ठ विकल्प,
नए कलेक्टर कार्यालय के लिए पुराना रेलवे स्टेशन श्रेष्ठ है। पर्याप्त जमीन है,गांधी पार्क और अनाज मंडी का पार्किंग के लिए उपयोग किया जा सकता है। चारो दिशाओ से आने का मार्ग है। और भारतीय रेल विभाग की जमीन खाली और अनुउपयोगी है। क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय मंत्री सहित शिवपुरी विधायक और आमजन को इस बात पर विचार अवश्य करना चाहिए।