शिवपुरी। मध्य प्रदेश में मेडिकल के क्षेत्र में इमरजेंसी सेवा के लिए 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी,कि मरीज को तत्काल लाभ मिल सके,लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इस सेवा का स्वरूप बिगड़ चुका है। इस सेवा में अब सरकार ने इस व्यवस्था का ठेका देकर पल्ला झाड लिया है। लापरवाही पर अंतिम शब्द अधिकारी के शब्द होते है जांच करा लेते है,मामला अगर बड़ा है लापरवाही से किसी मरीज की जान जाती है तो जिम्मेदार कंपनी पर जुर्माने का दंड दिया जाता है यह सवाल बड़ा है कि किसी जिंदा आदमी की जान की कीमत जुर्माना है क्या ......?
शिवपुरी जिले में प्रतिदिन 108 एंबुलेंस की लापरवाही भरी खबरे मिलती है जिम्मेदारो एक कथन जांच करा लेते है,वही कंपनी के जिम्मेदारों के शब्द होते है कि जिस समय कॉल किया गया था उस समय एंबुलेंस किसी दूसरे पाइंट पर मरीज को लेने गई थी,समय पर वाहन नहीं था लेकिन यह भी सत्य है कि जिले की एक दर्जन से अधिक एंबुलेंस इस समय वेंटिलेटर पर है कबाड होकर खडी है उनकी जगह दूसरा वाहन कंपनी ने नहीं लगाया है। अब एंबुलेंस की संख्या कम होगी तो किसी ना किसी को नुकसान अवश्य होगा।
शिवपुरी जिले में एंबुलेंस की संख्या 53 है लेकिन 12 कबाड़
शिवपुरी जिले में 53 कुल 108 एंबुलेंस है। इनमें से दर्जनभर एंबुलेंस खराब हालत में है और गुना बायपास स्थित मिस्त्री के गैराज पर धूल खा रही हैं। ऐसे में एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोग व प्रसूताएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहीं। कई बार तो लोगों की जान तक चली जाती है। इधर स्वास्थ्य विभाग इन एंबुलेंसो का प्रदेश स्तर से ठेका देकर अपनी जिम्मेदारी को भूल गया है।
सूत्रों की मानें तो एंबुलेंस तो मरम्मत न होने के फेर में महीनों से खराब होकर अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। खराब एंबुलेंस को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा काम एक निजी कंपनी देखती है और वही इन्हें सही कराएगी। बताया है कि भोपाल से एक निजी कंपनी ने इन एंबुलेंस के संचालन का ठेका लिया है।
अगर कोई गाड़ी खराब होती है तो उसे सही करवाने की जिम्मेदारी भी उसी कंपनी की है। इधर यह कंपनी इन खराब एंबुलेंस को सही कराने में उदासीन हैं। जिले में बैठे अधिकारियों ने बताया कि जो एंबुलेंस किसी कारण से खराब होकर खड़ी हो जाती है और वह सही समय पर ठीक होकर नहीं चलती तो स्वास्थ्य विभाग संबंधित कंपनी पर जुर्माना लगाता है।
खराब होने पर महीनों तक नहीं होती मरम्मत
जिले में अलग-अलग तहसीलों में कुल 53 एंबुलेंस कार्यरत है। हालांकि इनमें से कुछ तो केवल कागजों में ही चलती है। सुरक्षित मातृत्व व एक्सीडेंट के मामलों में घायल लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए इनको शुरू किया गया था, लेकिन आए दिन इनमें से अधिकांश एंबुलेंस खराब रहती है और फिर महीनों तक इनकी मरमत नहीं होती। इस फेर में कॉल करने पर यह एंबुलेंस समय पर जरूरतमंद व्यक्ति के पास नहीं पहुंच पाती।
यह बोले जिम्मेदार
अभी हमारी जननी सहित कुछ एंबुलेंस खराब हैं उनको हम जल्द ही सही करवा रहे है।हमारा पूरा प्रयास रहता है कि लोगो को जरूरत के समय लोगो को एंबुलेंस की सुविधा मिले,पर कभी कभी वाहन खराब हो जाते है।
तरुण सिंह प्रभारी 108 भोपाल
शिवपुरी जिले में प्रतिदिन 108 एंबुलेंस की लापरवाही भरी खबरे मिलती है जिम्मेदारो एक कथन जांच करा लेते है,वही कंपनी के जिम्मेदारों के शब्द होते है कि जिस समय कॉल किया गया था उस समय एंबुलेंस किसी दूसरे पाइंट पर मरीज को लेने गई थी,समय पर वाहन नहीं था लेकिन यह भी सत्य है कि जिले की एक दर्जन से अधिक एंबुलेंस इस समय वेंटिलेटर पर है कबाड होकर खडी है उनकी जगह दूसरा वाहन कंपनी ने नहीं लगाया है। अब एंबुलेंस की संख्या कम होगी तो किसी ना किसी को नुकसान अवश्य होगा।
शिवपुरी जिले में एंबुलेंस की संख्या 53 है लेकिन 12 कबाड़
शिवपुरी जिले में 53 कुल 108 एंबुलेंस है। इनमें से दर्जनभर एंबुलेंस खराब हालत में है और गुना बायपास स्थित मिस्त्री के गैराज पर धूल खा रही हैं। ऐसे में एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोग व प्रसूताएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहीं। कई बार तो लोगों की जान तक चली जाती है। इधर स्वास्थ्य विभाग इन एंबुलेंसो का प्रदेश स्तर से ठेका देकर अपनी जिम्मेदारी को भूल गया है।
सूत्रों की मानें तो एंबुलेंस तो मरम्मत न होने के फेर में महीनों से खराब होकर अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। खराब एंबुलेंस को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा काम एक निजी कंपनी देखती है और वही इन्हें सही कराएगी। बताया है कि भोपाल से एक निजी कंपनी ने इन एंबुलेंस के संचालन का ठेका लिया है।
अगर कोई गाड़ी खराब होती है तो उसे सही करवाने की जिम्मेदारी भी उसी कंपनी की है। इधर यह कंपनी इन खराब एंबुलेंस को सही कराने में उदासीन हैं। जिले में बैठे अधिकारियों ने बताया कि जो एंबुलेंस किसी कारण से खराब होकर खड़ी हो जाती है और वह सही समय पर ठीक होकर नहीं चलती तो स्वास्थ्य विभाग संबंधित कंपनी पर जुर्माना लगाता है।
खराब होने पर महीनों तक नहीं होती मरम्मत
जिले में अलग-अलग तहसीलों में कुल 53 एंबुलेंस कार्यरत है। हालांकि इनमें से कुछ तो केवल कागजों में ही चलती है। सुरक्षित मातृत्व व एक्सीडेंट के मामलों में घायल लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए इनको शुरू किया गया था, लेकिन आए दिन इनमें से अधिकांश एंबुलेंस खराब रहती है और फिर महीनों तक इनकी मरमत नहीं होती। इस फेर में कॉल करने पर यह एंबुलेंस समय पर जरूरतमंद व्यक्ति के पास नहीं पहुंच पाती।
यह बोले जिम्मेदार
अभी हमारी जननी सहित कुछ एंबुलेंस खराब हैं उनको हम जल्द ही सही करवा रहे है।हमारा पूरा प्रयास रहता है कि लोगो को जरूरत के समय लोगो को एंबुलेंस की सुविधा मिले,पर कभी कभी वाहन खराब हो जाते है।
तरुण सिंह प्रभारी 108 भोपाल