SHIVPURI NEWS - पत्नी सहित यादव प्रेम भारी पड़ा डॉ केबी वर्मा को, जांच सिद्ध,दो वेतन वृद्धि रुकी

Bhopal Samachar

शिवपुरी। श्रीमंत राजमाता सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी के तत्कालीन डीन पर स्टाफ के शोषण सहित तमाम प्रशासनिक एवं आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों की शिकायतों की जांच उपरांत डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) दोषी पाया है। उन्हें आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश देने, पत्नी की मेडिकल कालेज में डायटीशियन के पद पर नियुक्त करने सहित कई अन्य मामलों में दोषी मानते हुए उनकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि असंचों प्रभाव से रोक दी हैं।

उल्लेखनीय है कि मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रभारी डीन डा. केबी वर्मा पर स्टाफ नर्स लोकेश नामदेव द्वारा आत्महत्या के प्रयास के पश्चात लोकेश नामदेव को लगातार ज्वाइनिंग के संबंध में परेशान करने, डीन के स्टेनो जुगल यादव व वाहन चालक विनोद रावत को मेडिकल कालेज में संचालित नियमित डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने, अपनी पत्नी रिंकी वर्मा को महाविद्यालय में डायटीशियन के रूप में रखने के पूर्व किसी सक्षम प्राधिकारी अथवा समिति से अनुमोदन नहीं लिए जाने, कालेज में स्थायी अधिकारी, कर्मचारी उपलब्ध होने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारी को महाविद्यालय में नर्सिंग हास्टल वार्डन जैसे जिम्मेदार पद का प्रभार दिए जाने, कालेज में महिला प्राध्यापक व सह प्राध्यापक होने के बावजूद पुरुष कर्मचारी को इन्टर्न हास्टल का सहायक वार्डन बनाकर उनमें निवास करने की अनुमति देने, विनोद रावत पर ड्रायविंग लायसेंस न होने पर भी उनकी ड्यूटी चिकित्सा महाविद्यालय के सभी वाहनों पर ड्राइवऱ के रूप में लगाये जाने संबंधी आरोप लगाते हुए शिकायत डीएमई दिनेश श्रीवास्तव की दर्ज कराई गई।

उक्त मामलों की जांच और तत्कालीन डीन  डा. केवी वर्मा के जवाब उपरांत डोएमई ने पाया कि डा. वर्मा द्वारा स्वयं के स्टाफ में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की कार्य के साथ-साथ मेडिकल कालेज में नियमित पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया गया। यह बात उनके संज्ञान में आने के बाद भी किसी एक जगह से कार्यमुक्त न करते हुए अनुचित लाभ दिया जाना सही पाया गया। डा. वर्मा की पत्नी रिंकी वर्मा को महाविद्यालय में डायटीशियन के रूप में रखने के पूर्व अनुमति व अनुमोदन न लेना व भुगतान किया जाना डा. वर्मा को पक्षपातपूर्ण एवं मनमानी कार्य प्रणाली को दर्शाता है। इसके अलावा महाविद्यालय में अन्य वरिष्ठ एवं स्थायी अधिकारी, कर्मचारी होने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारी को नर्सिंग हॉस्टल के सहायक वार्डन बनाकर नर्सिंग हॉस्टल में निवास करने की अनुमति देने सम्बंधी शिकायत सही पाई गई है।

महाविद्यालय में आडट सोर्स कर्मचारी विनोद रावत अनस्किल्ड कर्मचारी जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, उसे महाविद्यालय के वाहन में ड्राइवर के रूप में कार्य लिया जाना लापरवाही को दशांता है। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 16 (क) सहपठित नियम 10 (4) के तहत तथा मध्यप्रदेश स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 के नियम 14 (3) अंतर्गत दो वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश दिए हैं।

सूची में कांट-छांट के मामले में भी रुकी वेतनवृद्धि
तत्कालीन डीन डा. केवी वर्मा द्वारा उनके पत्र क्रमांक 8615-16 स्था/अराज 20.23 दिनांक 31.07.2023 से गैर-शैक्षणिक संवर्ग की सूची संभागीय आयुक्त के हस्ताक्षर उपरांत अनुमोदन के लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा मप्र भोपाल को भेजी गई। इसके पश्चात कार्यालयीन पत्र क्रमांक 9280/स्था /अराज/2023 दिनांक 14.08.2023 से संशोधित सूची भेजी गई। गैर शैक्षणिक सवर्ग की सूची 4 के कालम दो में शैक्षणिक अर्हता में हस्तलिखित संशोधन कर संशोधित अनुसूची भेजी गई।

इसमें डीन द्वारा मनमर्जी से कांट-छांट कर संशोधन किया गया। इसे डीएमई ने उनकी स्वेच्छाचारिता एवं अनुशासनहीनता एवं कदाचरण माना। इस मामले में डीएमई ने उनकी एक वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने के आदेश जारी किए हैं।