शिवपुरी। मध्य प्रदेश शासन धीरे धीरे नगर पालिका अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र की कटौती कर रही है,अभी कुछ दिन पूर्व सरकार ने सकुर्लर जारी किया है निकाय की केन्द्र सरकार की चल रही योजनाओं के भुगतान में अध्यक्ष के हस्ताक्षर आवश्यक नही है अब नगरीय निकाय से पुन:एक और सकुर्लर जारी हुआ है। इस सकुर्लर को पीआईसी और अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में कटौती माना जा रहा है, क्योंकि परिषद यदि किसी काम को 10 दिन के लिए रोकती है तो फिर सीएमओ लंबित फाइलों पर निर्णय ले सकेंगे।
इनमें राजस्व मामलों के साथ-साथ कर्मचारियों पर कार्रवाई, निर्माण कार्य और अन्य विकास के मुद्दे और योजनाएं शामिल रहेंगी। खास बात यह है कि अब परिषद अपनी मनमर्जी नहीं चला सकेगी। जायज कामों के कोई भी प्रकरण या योजना 10 दिन से अधिक लटकी तो इस पर सीएमओ जिम्मेदार होंगे। यदि सीएमओ ने भी इस पर कोई एक्शन नहीं लिया तो वे राज्य शासन की कार्रवाई के दायरे में आएंगे। इसलिए नगर पालिका को अब समय सीमा में काम पूरे करने होंगे।
इससे परिषद का एकाधिकार होगा खत्म
संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के संयुक्त संचालक मयंक वर्मा द्वारा जारी किए गए नए सर्कुलर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पीआईसी के प्रत्येक प्रकरण के निराकरण के लिए 10 दिन की गाइड लाइन रहेगी। यदि पीआईसी की बैठक का प्रस्ताव पारित होकर नहीं आता और उसमें 10 दिन की समय सीमा निकल जाती है तो सीएमओ को अधिकार रहेंगे कि वह इसे परिषद के सम्मेलन में ले जा सकते हैं। यदि प्रकरण स्वीकृत नहीं होता है तो सीएमओ राज्य शासन को सूचना देंगे।