SHIVPURI NEWS - हैप्पी डेज स्कूल में स्पिक की वर्कशॉप, नृत्य की शक्ति मे भक्ति को आत्मसात किया बच्चों ने

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी शहर के प्रसिद्ध हैप्पी डेज स्कूल में इंटरनेशनल संस्था स्पिक ने 3 दिवसीय डांस की वर्कशॉप का आयोजन किया था। बीते रोज इस वर्कशॉप का समापन हुआ। इस वर्कशॉप स्कूल के 90 स्टूडेंट्स ने भाग लिया। सभी स्टूडेंट्स ने एक स्वर में कहा कि नृत्य से भक्ति में प्रवेश कैसे होता है इस वर्कशॉप में हमने सीखा। स्पिक मैके ने इस वर्कशॉप में भारत के असम राज्य के प्रसिद्ध नृत्य सच्चिया नृत्य की बारीकियों से अवगत कराया था। बच्चों ने नृत्य की शक्ति को इस वर्कशॉप में अनुभूति कर आत्मसात किया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक विरासत से छात्रों को परिचित कराना और पारंपरिक नृत्य कला के प्रति जागरूकता और सम्मान उत्पन्न करना था। कार्यशाला का नेतृत्व प्रसिद्ध सत्त्रिया नृत्यांगना ऊषा रानी वैश्य और डॉ. जादब बोरा ने किया, जिन्होंने सत्तरिया नृत्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अहम योगदान दिया है। कार्यशाला की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद, डॉ. जाधव बोरा और ऊषा रानी ने सत्तरिया नृत्य की आध्यात्मिक गहराइयों और इसकी प्रामाणिकता को अपनी प्रस्तुति के माध्यम से जीवंत किया।

कार्यशाला में विद्यार्थियों ने सत्तरिया नृत्य के मूल तत्व, अभिव्यक्तियों और कथा वाचन की कला को सीखा और दो दिनों में ही शानदार प्रस्तुति दी। विद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस तरह की कार्यशालाएं विद्यार्थियों में सांस्कृतिक चेतना, आत्म-अनुशासन, अभिव्यक्ति क्षमता और कलात्मकता का विकास करती हैं। कार्यशाला के समापन समारोह में दीवान अरविंद लाल, प्राचार्या अंजू शर्मा, अभिभावकगण और विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य अंजू शर्मा ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए और धन्यवाद देकर कार्यक्रम का समापन किया।

क्या है सच्चियाय नृत्य

उत्पत्ति:15वीं शताब्दी में, असम के महान वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव ने इस नृत्य को वैश्णव धर्म के प्रचार के लिए विकसित किया.
आकृति:यह एक जटिल और सुंदर नृत्य है, जिसमें विभिन्न प्रकार के हाथ और पैर के आंदोलनों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के संगीत और वेशभूषा का उपयोग किया जाता है.
विषयवस्तु: सत्त्रिया नृत्य में वैष्णव धर्म के विभिन्न पहलू, जैसे कि भगवान विष्णु की कथाएँ, भगवान कृष्ण की लीलाएँ और देवी-देवताओं की पूजा शामिल हैं.
प्रकट होने वाले गुण:
सत्त्रिया नृत्य के माध्यम से, नर्तक धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करते हैं, और वे न केवल सौंदर्य और लय में बल्कि आध्यात्मिक गहराई में भी सुंदरता व्यक्त करते हैं.
स्थान: सत्त्रिया नृत्य मुख्य रूप से असम के वैष्णव मठों (सत्र) में प्रदर्शन किया जाता है.

तीन दिन 72 घंटे में 18 घंटे की प्रैक्टिस

स्कूल में 4 घंटे और शाम को 2 घंटे के अंतराल के आधार पर 18 घंटे की प्रस्तुतियां विद्यार्थियों ने कलाकारों से सीखी। तीन दिन में विद्यार्थी पूरा तो गतिविधि को नहीं सीख सके लेकिन जो इस शास्त्रीय संगीत नृत्य विधा की बेसिक जानकारियां हैं उन्हें पहचान करने और सीखने में नए कलाकार अवश्य सफल रहे।