शिवपुरी। शिवपुरी जिले की सीमा ने निकली सिंध नदी कोलारस नरवर क्षेत्र के खेतों के लिए जीवनदायिनी नदी हैं,सिंध नदी पर नरवर क्षेत्र में अटल सागर बांध मड़ीखेड़ा डैम बना हुआ है जहां सिंध के प्रवाह को रोका जाता है। अंचल में लगातार बारिश होने के कारण मडीखेडा डैम लबालब हो गया। इस कारण सिंध का केचमेंट एरिया भी ओवर फ्लो होने लगा है,इस कारण अमोला के पास बने सिंध नदी पर बने पुल की आगे की सड़क पर पानी आ गया है। इससे पूर्व 2021 में जमकर बारिश हुई थी जब सडक पर सिंध आ गई थी जब इस पुल की ऊंचाई बढ़ाने की सुगबुआहट शुरू हो गई थी।
अभी तक टोटल भराव क्षमता 346.25 मीटर नहीं भरा गया मड़ीखेड़ा डेम
मड़ीखेड़ा डैम का फुल लेवल 346.25 मीटर है, जिसके फुल होने में अब महज 15 सेमी की जगह शेष रह गई है। यही वजह है कि अमोला पुल के आगे कोटा-झांसी फोरलेन पर सिंध का पानी सड़क किनारे पर हिलोरे मारने लगा। चूंकि तीन साल पूर्व भी जब डैम फुल हुआ था, तब भी हाइवे किनारे लगीं किमी की मुड्डियां भी सड़क के साथ उखड़ कर पानी में जा गिरी थीं।
चूंकि हाईवे पर भारी वाहनों की आवाजाही रहती है, तथा पानी के लगातार टकराने से सड़क के किनारे कमजोर हो जाते हैं। इसलिए सड़क के धंसकने व वाहनों के पानी में पलटने का खतरा बढ़ जाता है। तीन साल पूर्व जब सड़क क्षतिग्रस्त हो रही थी, तब एनएचएआई के अधिकारियों ने दावा किया था कि हम यहां सड़क को ऊंचा करवाएंगे,लेकिन पिछले दो साल डैम न भरने की वजह से इस समस्या को जिम्मेदार भूल गए। इस बार फिर से डैम लबालब हो गया है, इसलिए अब फिर से फोरलेन के धसकने व टूटने का खतरा बढ़ गया।
सड़क के बीच तक लगाए बेरिकेड्स
शिवपुरी से करैरा जाते समय मिलने वाला अमोला का पुल जहां खत्म होता है, उसके आगे सड़क के किनारे तक पानी आ गया है। डैम के फुल होते ही यह पानी सड़क पर आ जाएगा। ऐसे में कोई हादसा न हो, इसलिए हाईवे प्रबंधन ने सड़क की साइड के अलावा बीच तक वेरीकेट्स लगाकर उस रोड को अघोषित सिंगल लेन रोड बनाकर ट्रैफिक को निकाला जा रहा है। इतना ही नहीं हाईवे की टीम भी रात्रि गश्त करके निगरानी बनाए हुए है।
मप्र की सीमा में आने वाली NH 27 की सबसे लंबा पुल
शिवपुरी झांसी फोरलेन हाईवे पर शहर से 28 किमी दूर अमोला का पुल स्थित है। यह फोरलेन जयपुर कानपुर एनएच-27 पर बना है। सिंध नदी पर बना यह पुल मप्र के एनएच 27 हाईवे पर मध्य प्रदेश का सबसे लंबा पुल है। यहां से जो भी वाहन गुजरते हैं पुल की लंबाई अधिक होने और पानी भरे होने के चलते बरबस उनकी निगाहें पुल पर ठहर जाती हैं।
2009 में तैयार हुआ था पुल,ढाई किलो मीटर हैं लंबाई
इस पुल की लंबाई ढाई किलोमीटर है। यह मार्ग राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों से भी इस सड़क का जीवंत संपर्क स्थापित है। इसका निर्माण 2009 में किया गया था। इस पुल से होकर प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं। यह पुल पहाड़ों को काटकर पुल के आसपास की सड़क तैयार की गई। खास बात यह है कि अमोला पुल अटल सागर मड़ीखेड़ा डैम के डूब क्षेत्र में आता है और मानसून में यदि जोरदार बारिश हो तो डैम जब निर्धारित जलस्तर 346 मीटर के आसपास पहुंचता है तो इस पुल पर पानी का नजारा देखने लायक हो जाता है।
प्रस्ताव पर अमल होना है
अमोला पुल के आगे सड़क तक आने वाले पानी की समस्या को दूर करने के लिए प्रस्ताव पहले ही बनकर तैयार हो चुका है। बारिश का मौसम खत्म होने के बाद ही सड़क को पानी से सुरक्षित करने के लिए काम शुरू कर दिया जाएगा। उमाकांत मीणा, पीडी एनएचएआई