शिवुपरी। अभी हाल मे कागजो में दिव्याग बनकर वास्तविक दिव्यांग अभ्यर्थियों की हक पर कब्जा कर चुके ऐसे शिक्षकों के दिव्यांगता का पुन:परीक्षण किया जाएगा,इससे पूर्व फर्जी दिव्यांगता पत्र के सहारे नवीन शिक्षक भर्ती में नौकरी पा चुके जिले के आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक भांडा फूटने के बाद बर्खास्त किए जा चुके हैं। वहीं कुछ की बर्खास्तगी की कार्रवाई भोपाल स्तर से प्रक्रियाधीन है।
इन मामलों के बाद और सामने आई शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने जिले में 1998 की शिक्षाकर्मी भर्ती से लेकर वर्ष 2003, 2005, 2008 व 2011 में हुई संविदा शिक्षक भर्ती में दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने वाले शिक्षकों की पुनः दिव्यांगता जांच के निर्देश दे दिए हैं।
इस आदेश के बाद 10 से 25 साल पूर्व भर्ती फर्जी दिव्यांग शिक्षकों में हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई है। कलेक्टर के आदेश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने सभी संकुलों से 1998 से 2011 तक दिव्यांगता प्रमाण पत्र के जरिए दिव्यांग कोटे में भर्ती शिक्षकों की जानकारी सात दिन में तलब की है।
बताया जाना है कि नवीन भर्ती में फर्जी दिव्यांगता का भंडाफोड़ होने के बाद लगातार यह बात उठ रही थी कि पूर्व की भर्तियों में भी इस तरह के फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्रों का सहारा लिया गया होगा। यही कारण है कि इस मामले को लेकर शिकायतें भी सामने आई हैं। तत्समय जनपद व जिला पंचायत से भर्तियां हुई थीं। अब इस मामले में संकुलों से उस अवधि में भर्ती दिव्यांग शिक्षकों के नाम, पदनाम, संस्था, नियुक्ति आदेश व मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी सर्टिफिकेट सहित जानकारी मांगी गई है।
संभवत यह जानकारी आते ही इन सभी दिव्यांग शिक्षकों की दिव्यांगता पुनः कैंप लगाकर मेडिकल बोर्ड द्वारा जांची जाएगी। ऐसे में इस जांच के बाद फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी हासिल करने वाले कई शिक्षकों का भांडा फूट सकता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक 1998 से 2011 तक दिव्यांग कोटे में भर्ती शिक्षकों की संख्या करीब तीन सैकड़ा बताई जा रही है।
इनका कहना है
वर्ष 1998 से 20 2011 तक विभिन्न भर्ती के दौरान दिव्यांग कोटे में नियुक्त हुए शिक्षकों की जानकारी हमने सात दिन में उनके नियुक्ति आदेश व दिव्यांगता प्रमाण पत्र के साथ संकुलों से मांगी है। जानकारी प्राप्त होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।
समर सिंह राठौड़,डीईओ शिवपुरी