SHIVPURI NEWS - डॉ देवेन्द्र खरे पर फिर 2 लाख रिश्वत मांगने का आरोप, PM करने तक में मांग चुके है घूस

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले के करैरा अस्पताल में पदस्थ डॉ देवेंद्र खरे पर रिश्वत ना मिलने पर फर्जी एमएलसी बनाने का आरोप लगा है। इससे पूर्व डॉ खरे पर रिश्वत लेकर फर्जी एमएलसी बनाने का आरोप भी सिद्ध हो चुका है डॉ खरे में ने रिश्वत लेकर सिर की हड्डी टूटी होना एमएलसी मे लिख दिया था,इस मामले की शिकायत हुई और जांच हुई तो ग्वालियर के डॉक्टरों ने दूध का दूध पानी का कर दिया। इस बार आरोप 2 लाख रिश्वत का आया है बस फर्क इतना है कि इस बार रिश्वत नहीं मिली तो फर्जी एमएलसी कर दी जिससे आरोपित पक्ष पर 307 का मामला दर्ज हो गया,इस मामले को लेकर पीड़ित पक्ष ने कलेक्टर एसपी से शिकायत की है।

करैरा के ग्राम बगेधरी में रहने वाली सीमा पत्नी सुनील निगम ने अपने परिजनों के साथ गुरुवार को शिवपुरी आकर कलेक्टर एवं एसपी से शिकायत की है। जिसमें उन्होंने करैरा अस्पताल में पदस्थ डॉ. देवेंद्र खरे पर फर्जी एमएलसी बनाकर धारा 307 लगवाए जाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं उक्त लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि डॉ. खरे ने उनसे भी 2 लाख रुपए की मांग की थी और जब हमने पैसा नहीं दिया तो सिर में गंभीर चोट बता दी।

कलेक्टर व एसपी को की शिकायत में सीमा ने उल्लेख किया कि 25 मई को हमारे खेतों से रेत के डंपर निकाले जाने का विरोध करने पर हमारे परिजन के साथ आकाश यादव व उसके साथियों ने मारपीट कर दी थी। करैरा थाने में रिपोर्ट लिखाने गए तो हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी गई और उल्टा मेरे पति सुनील निगम, जेठ कालीचरण के अलावा दो बेटों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

सीमा ने बताया कि करैरा अस्पताल में पदस्थ डॉ. देवेंद्र खरे ने मुझे मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल करके कहा कि यदि 2 लाख रुपए दे दोगे तो 307 की कायमी नहीं होने दूंगा। और जब हमने इतनी बड़ी राशि देने से मना कर दिया, तो उन्होंने फर्जी एमएलसी बनाकर 307 की धारा बढ़वा दी। पीड़ित पक्ष ने पुनः एमएलसी कराए जाने की मांग की है।

वहीं कलेक्टर ने इस मामले में सीएमएचओ को जांच के लिए लिख दिया है। ज्ञात रहे कि पूर्व में भी डॉ. खरे ने एक एमएलसी में सिर की हड्डी में फ्रैक्चर बताकर 307 की कायमी करवा दी थी, लेकिन बाद में जब ग्वालियर में पुनः एमएलसी करवाई गई, तो डॉ. खरे की एमएलसी फर्जी पाई गई थी।

डॉ. खरे ने यह दी सफाई
उस विवाद में पीड़ित के सिर में चोट आई थी, जिसे हमने शिवपुरी रैफर कर दिया था। शिवपुरी में उसके सिर का सीटी स्कैन हुआ और उस रिपोर्ट के आधार पर ही मैंने एमएलसी बनाई है। मैंने किसी से भी रुपयों की कोई मांग नहीं की। - डॉ. देवेंद्र खरे, करैरा अस्पताल 

पीएम करने के एवज में 30 हजार की रिश्वत की डिमांड

डॉ देवेंद्र खरे पर इससे पूर्व कई रिश्वत काण्ड के आरोप लग चुके है, बीते 10 नवंबर 2023 को दिनारा निवासी जीतू उम्र 28 वर्ष पुत्र घनश्याम केवट की सिंघाड़ा तोड़ते समय पानी में डूबने से मौत हो गई थी। जिसका पीएम करने के बदले में डॉ. देवेंद्र खरे ने मृतक के परिजनों से यह कहते हुए 30 हजार मांगे थे कि तुम्हें भी शासन से 4 लाख रुपए की सहायता राशि मिलेगी। डॉ. खरे द्वारा रिश्वत मांगे जाने की वीडियो बनाकर पीड़ित पक्ष ने भाजपा जिलाध्यक्ष राजू बाथम को भेजी, जहां से यह वीडियो कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के पास पहुंचा।

रिश्वत नहीं मिली तो चोटे खा गए डॉ खरे

सुनील कुमार पुत्र कम्मोद सिंह जाटव निवासी सिल्लारपुर को चेहरे व हाथ में चोट व खून निकलने के बाद भी डॉ. खरे ने नो फिजिकल इंजरी इसलिए लिख दिया था, क्योंकि सुनीत ने मुंह मांगी रिश्वत नहीं दी थी। बाद में जब पुनः परीक्षण कराया तो चोटें पाई गई।

सीएम हेल्पलाइन में भी रिश्वतखोरी की शिकायते

डॉ. खरे के विरुद्ध शिकायतकर्ता राम लखन पाल निवासी ग्राम कारोठा द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी कि डॉक्टर द्वारा 5 लाख रुपए की मांग की गई तथा आवेदक के ससुर की झूठी पीएम रिपोर्ट बनाई गईं। बीते 26 दिसंबर को जनसुनवाई में नरविजय यादव ने शिकायत की थी कि डॉ. खरे ने मेडिकल रिपोर्ट के नाम पर 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। डॉ. खरे के खिलाफ धर्मेंद्र यादव ने भी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी।

जनवरी 2024 में कमिश्नर ने किया था सस्पेंड

मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम.1966 के नियम 9, कमिश्नर ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि डॉ. देवेन्द्र खरे ने शासकीय कार्य में बरती जा रही अनियमितता, स्वेच्छाचारिता, लापरवाही एवं उदासीनता बरती जाने के फलस्वरूप उन्हें मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम.1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में डॉ. खरे का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय जिला शिवपुरी रहेगा। साथ ही संभागायुक्त ने आदेश में यह भी लिखा है कि डॉ. देवेन्द्र खरे की कार्यप्रणाली से विभाग की छवि धूमिल हो रही है, एवं उनकी कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो रहा है। जो मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम का उल्लंघन होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है।

करैरा अस्पताल में पदस्थ डॉ देवेन्द्र खरे के कई वीडियो अभी तक वायरल हो चुके है,डॉक्टर देवेन्द्र खरे मरीजो के अटेंडरो को पीटते नजर आए है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कमिश्वर ने डॉ खरे को सस्पेंड कर दिया था,तो वह फिर कैसे नौकरी कर रहे है।